Thursday, August 30, 2018

क्या ईवीएम मशीन (EVM) से वोटिंग (Voting) में संभावित फर्जीवाड़ा रोका जा सकता है ?  

क्या ईवीएम मशीन (EVM) से वोटिंग (Voting) में संभावित फर्जीवाड़ा रोका जा सकता है ?

कल मेनेक्या ईवीएम मशीन (EVM) से वोटिंग में फर्जीवाड़ा किया जा सकता है ?” विषय पर लिखा था तथा सारांशत: यह बताने का प्रयास किया था कि भारतीय EVM / ईवीएम मशीन (Indian EVM Machine) में काम में ली जाने वाली चिप एक विदेशी कंपनी द्वारा बनाई जाती है तथा मिलीभगती से चुनावी वोटिंग (Election Voting) में चिप (Chip) के जरिये फर्जीवाड़ा संभव है. और यह मिलीभगती (Collusion) किसी भी स्तर [चिप बनाने वाली विदेशी कंपनी से लेकर रखरखाव ठेकेदार (Maintenance Contractor) तक] पर संभव हो सकती है.

आज मै एक तरह से उलट लिखने जा रहा हूँ.  भारतीय EVM / ईवीएम मशीन की चिप भले ही विदेशी कंपनी द्वारा बनाई जा रही हो या मिलीभगती से चुनावी वोटिंग में चिप के जरिये फर्जीवाड़ा संभव हो लेकिन बिलकुल ही देशी तरीके से फर्जीवाड़ा रोका जा सकता है या नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है चुनाव आयोग का निष्पक्ष सहयोग और उम्मीदवारों की सक्रिय जागरूकता.

भारतीय EVM / ईवीएम मशीन की ट्रायल ( Trial of EVM Machine) की वर्तमान व्यवस्था क्या है : वोटिंग से ठीक कुछ दिन पहले, चुनाव अधिकारी सभी उम्मीदवारों / उनके प्रतिनिधियों को  ईवीएम मशीन की ट्रायल के लिए आमंत्रित करता है और सभी उम्मीदवारों / उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में कुछ ईवीएम मशीन से मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) की जाती है. मोक वोटिंग / Mock Voting (ट्रायल वोटिंग – Trial Voting) संख्यात्मक दृष्टि से बहुत छोटी, ओपचारिक  व लापरवाहीयुक्त  होती है.

फर्जीवाड़े की संभावना को केसे समाप्त किया जा सकता है : जेसा कि मेने ऊपर ही लिखा है कि इसके लिए जरूरी है चुनाव आयोग का निष्पक्ष सहयोग और उम्मीदवारों की सक्रिय जागरूकता.

चुनाव आयोग (Election Commission) केसे करे निष्पक्ष सहयोग :  वर्तमान में मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) संख्यात्मक दृष्टि से बहुत छोटी होती है व ओपचारिक होती है, लेकिन  फर्जीवाड़े की संभावना को समाप्त करने के लिए चुनाव आयोग निम्न सुविधाए उपलब्ध करवाए –

  1. मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के ईवीएम मशीन का चयन करने का अधिकार उम्मीदवारों / उनके प्रतिनिधियों को दे (Machine Selection by Candidate).
  1. मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के लिए ईवीएम मशीन की संख्या पर कोई नियंत्रण / कण्ट्रोल नहीं होना चाहिए. मांग किये जाने पर शत-प्रतिशत मशीनों की ट्रायल की इजाजत दे (Unlimited Trial).
  1. मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के लिए चयनित प्रत्येक ईवीएम मशीन पर उस क्षेत्र के सबसे बड़े बूथ की मतदाता संख्या तक ट्रायल की इजाजत दे (ट्रायल के लिए वोट की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए – No limitation on Number of Voting).
  1. मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के बाद पूर्ण गणना (काउंटिंग) की भी इजाजत देनी चाहिए (पूरे प्रोसेस (वोटिंग से लेकर गणना तक की ट्रायल होनी चाहिए – Complete trial from Voting to Counting).
  1. यदि चुनाव आयोग शत-प्रतिशत मशीनों की ट्रायल की इजाजत एक साथ नहीं देना चाहे तो भी प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम 10 मशीनों की ट्रायल की छूट मिलनी चाहिए और यदि एक भी मशीन में वोटिंग व काउंटिंग की गलती निकलती हो तो ऐसी प्रत्येक एक मशीन के बदले में 10 और मशीन की ट्रायल की छूट मिलनी चाहिए.

उम्मीदवार (Candidate) केसे अधिकार पूर्वक सक्रियता दिखाए : फर्जीवाड़े की संभावना को समाप्त करने के लिए स्वयं उम्मीदवार / उसका अधिकृत प्रतिनिधि निम्न बातो / अधिकारों पर गंभीरता से ध्यान दे और बिना लापरवाही (Carelessness)के कठोरता से पालन कराये –

  1. उम्मीदवार / उसका अधिकृत प्रतिनिधि अपने हिस्से की मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के लिए प्रत्येक ईवीएम मशीन का चयन स्वयं करे.
  1. उम्मीदवार / उसका अधिकृत प्रतिनिधि अपने हिस्से की मोक वोटिंग (ट्रायल वोटिंग) के लिए अधिक से अधिक ईवीएम मशीन की मांग करे और जरूरत लगने पर शत-प्रतिशत मशीनों की ट्रायल करवाए.
  1. मान लीजिये, उस क्षेत्र के सबसे बड़े बूथ की वोटर संख्या 1200 है तो प्रत्येक ईवीएम मशीन पर 1200 वोट की काउंटिंग सहित सम्पूर्ण ट्रायल करे / करवाए.
  1. यदि चुनाव आयोग शत-प्रतिशत मशीनों की ट्रायल की इजाजत एक साथ नहीं देना चाहे तो भी प्रत्येक उम्मीदवार को अधिक से अधिक मशीनों की ट्रायल करनी चाहिए / करवानी चाहिए.
  1. सिर्फ 2-4 ईवीएम मशीन व 10-20 (आंशिक) वोट की ट्रायल वाली लापरवाही कभी नहीं करे.

यदि स्वयं उम्मीदवार / उसका अधिकृत प्रतिनिधि उपरोक्त सुझावों का पालन करे और चुनाव आयोग भी पूरा सहयोग दे, तो बड़े स्तर के संभावित फर्जीवाड़े को रोका जा सकता है. जरूरत समझे तो चुनाव आयोग अपने नियमो व दिशा-निर्देशों में आवश्यक बदलाव करे (If needed, Election Commission should amend it’s relevant rules and guidelines).   

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