चुनाव आयोग में भी भ्रष्टाचार, बहुत ही चिताजनक मामला– धुँआ उठा है तो आग भी होगी
चुनाव आयोग में भी भ्रष्टाचार, बहुत ही चिताजनक मामला– धुँआ उठा है तो आग भी होगी
सभी पाठको का विशेष ध्यान परसों की एक खबर की तरफ दिलाना चाहूँगा. परसों TV पर व कल अखबारों में “ शशिकला के भतीजे पर एफ आई आर दर्ज “, “ बिचोलिया अरेस्ट, 50 करोड़ की हुई थी डील” व “ नहीं जानता किसी सुकेश को : दिनाकरन ” “ आदि आदि शीर्षकों के साथ खबरे सुनी व पढ़ी गयी है लेकिन अधिकाँश पाठक खबर के दूसरी ओर की चिंता को शायद नहीं समझ / पढ़ पाए है.
इन खबरों का सारांश यह है कि अन्नाद्रमुक के चुनाव चिन्ह (दो – पत्ती) को अन्नाद्रमुक के एक गुट को देने के लिए चुनाव आयोग के किसी अधिकारी के साथ बिचोलिये सुकेश चंद्रशेखर के मार्फ़त 50 करोड़ की हुई थी डील हुई थी. इसी आरोप में बिचोलिये सुकेश चंद्रशेखर की गिरफ्तारी हुई है तथा अन्नाद्रमुक की जनरल सेक्रेटरी शशिकला के भतीजे पर एफ आई आर दर्ज भी दर्ज की गयी है. लेकिन खबर व चिता सिर्फ इतनी ही नहीं है.
क्या चुनाव आयोग में भी भ्रष्टाचार होता है ? : साधारणतया भारत के चुनाव आयोग के खिलाफ कभी भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं सुने जाते है तथा भारत जेसे प्रजातांत्रिक देश में चुनाव आयोग को एक सजग व इमानदार प्रजातंत्र का संरक्षक माना जाता है. लेकिन 50 करोड़ की एक बड़ी रिश्वत की डील का आरोप साबित करता है कि डील का एक पक्षकार चुनाव आयोग का कोई उच्च अधिकारी है. जिससे यह बड़ी संभावना बनती है कि चुनाव आयोग में भी भ्रष्टाचार हो रहा हो सकता है.
धुँआ उठा है तो आग भी होगी : इस प्रकरण में एक की गिरफ्तारी होना व एक पार्टी के बड़े नेता के खिलाफ एफ आई आर दर्ज होना, साबित करता है कि धुँआ उठा है तो आग भी होगी. यदि मामले में एक प्रतिशत भी सच्चाई है तो कुछ-न-कुछ मामला है तो सही.
बहुत ही चिताजनक मामला है क्योकि चुनाव आयोग बड़े-बड़े मामलों में निर्णायक स्थिति में रहता है : उपरोक्त भ्रष्टाचार एक बहुत ही गंभीर व चिंताजनक मामला है. चुनाव आयोग की इमानदारी पर पूरा भरोसा करते हुए, उपरोक्त प्रकरण में गंभीर आरोप के परिदृश्य में कुछ बड़ी घटनाओं / फेसलो की तरफ ध्यान देना होगा –
- पार्टी अध्यक्ष व मुख्य मंत्री के विवाद में समाजवादी पार्टी की कमान व चुनाव चिन्ह अखिलेश यादव को दे दी गयी.
- चुनाव मशीनो (EVM Machine) में छेडछाड / हेकिंग के आरोप अभी भी लग रहे है.
- नेताओं की जुबान पर लगान लगाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद कई नेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी.
- अन्नाद्रमुक के चुनाव चिन्ह (दो – पत्ती) को किसी एक गुट को देने के लिए होने वाला था फेसला आदि आदि .
यदि आरोप झूठा है तो इसका क्या मतलब हो सकता है ? : हम इस प्रजातांत्रिक पहरी (चुनाव आयोग ) की कितनी भी इज्जत क्यों नहीं करे, भ्रष्टाचार तो हिन्दुस्तान के रग-रग में व्याप्त है, अत: चुनाव आयोग में भी यदि भ्रष्टाचार होता हो, तो कोई बड़ी अतिशयोक्ति वाली बात नहीं होगी. उपरोक्त प्रकरण तो यही दर्शाता है कि चुनाव आयोग के अफसर भी भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते है. लेकिन यदि अन्नाद्रमुक के चुनाव चिन्ह (दो – पत्ती) वाले प्रकरण में 50 करोड़ की रिश्वत की डील की बात झूठी है तो इसके भी निम्न अर्थ निकल सकते है –
- लोकतंत्र के इस मजबूत स्तम्भ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उसे नीचे दिखाने का प्रयास किया जा रहा है या
- भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर शशिकला व उसके गुट को राजनीतिक रूप से घेरने व बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है या
- केंद्र में सतासीन सरकार द्वारा चुनाव आयोग के अधिकारियों को धमकाया / समझाया जा रहा है कि सरकार का साथ न देने की स्थिति में या विरोध करने की स्थिति में या जरूरत पड़ने पर सी बी आई के मार्फ़त चुनाव आयोग के अधिकारियों को भी कभी भी फसाया / घेरा जा सकता है.