Saturday, June 24, 2017

जी एस टी के मारे व्यापारी बेचारे – हुआ असंभव रजिस्ट्रेशन, मोदीजी विचारे.. 

जी एस टी के मारे, व्यापारी बेचारे.

हुआ असंभव रजिस्ट्रेशन, मोदीजी विचारे.. 

 

सरकार बिना पूरी व्यवस्था व तेयारी के ही जीएसटी लागू करने के लिए आमादा है लेकिन डरे हुए कई व्यापारी अपना रजिस्ट्रेशन तक नहीं करवा पा रहे है.  इस स्थिति में केसे तो १ जुलाई से जीएसटी लागू होगा और केसे व्यापारी बेचारे १ जुलाई से पहले-पहले कष्टमुक्त रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे. पूरे मामले को सिलसिलेवार सबूतों  के साथ समझने का प्रयास करते है.

पहला कष्ट  : जीएसटी की इस कहानी  के व्यापारी-पात्र के पेन कार्ड व आधार कार्ड की नक़ल सामने  प्रकाशित की जा रही है लेकिन गोपनीयता का पालन करते हुए पेन नंबर व आधार नंबर हटा दिए गए है. यह विजयकुमार पी. घांची जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए अपने कर-सलाह कार के पास गया तो उन्होंने सलाह दी कि पेनकार्ड व आधार कार्ड के नाम में फर्क है, अत: उसे पेनकार्ड के अनुसार आधार में करेक्शन करवा लेना चाहिए ताकि भविष्य में कोई कष्ट नहीं होगा. विजयकुमार ने सलाहकार की राय मानते हुए आधार सेण्टर पर गया  तथा आधार सेण्टर से पेनकार्ड के अनुसार करेक्शन करने के लिए निवेदन किया. करेक्शन के लिए रू. 100/- भी दिए.

दूसरा कष्ट  : भारत सरकार की आधार संस्था ने आधार कार्ड का करेक्शन किया लेकिन फिर नई गलती कर दी. पेनकार्ड में VIJAYKUMAR एक शब्द था लेकिन भारत सरकार की संस्था UIDAI ने VIJAYKUMAR को दो शब्दों में बाँट कर VIJAY KUMAR कर दिया जो कि इस रिपोर्ट के साथ संलग्न फोटो में दिख रहा है. यह आधार कार्ड करेक्शनके बाद का है.

तीसरा कष्ट  : पेनकार्ड में दिख रहे नाम VIJAYKUMAR P GHANCHI से अनुशासित व सक्रिय  मालिक-व्यापारी ने  जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पहले ही राउंड में ऑनलाइन आवेदन किया. उसके बाद रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही सरकार द्वारा स्थगित कर दी गयी.

इस स्थगन वाली समयावधि में व्यापारी के पास एक एसएम्एस आया जिसके अनुसार व्यापारी का पेन नंबर गलत है. सभी पाठको के सामने पेनकार्ड भी है तथा  एसएम्एस भी. कोई फर्क नहीं है फिर भी भारत सरकार की  जीएसटी का कंप्यूटर पेन नंबर गलत बता रहा है. व्यापारी समझ ही नहीं पा रहा है जो नाम पेन कार्ड पर है वो ही आवेदन (Application) में है, फिर गलत केसे हो सकता.उधर सरकार ने वेबसाइट बंद कर दी, अब व्यापारी करे तो क्या करे

चौथा कष्ट   :  १ जून से वापिस रजिस्ट्रेशन खोले गए. व्यापारी वापिस सलाहकार के पास जाता है कि आखिर माजरा क्या है ? सलाहकार इस मामले की रिसर्च करता है. रिसर्च में पता चलता है कि इस व्यापारी-पेन धारक  का नाम पेनकार्ड व पेनकार्ड के डेटाबेस में अलग-अलग है. पेनकार्ड पर तो नामहै VIJAYKUMAR P GHANCHI जबकि डेटाबेस में नाम दिखा रहा है VIJAYKUMAR PADMAJI GHANCHI. अब व्यापारी का सर चकराने लगा कि  मै तो वर्षो से इसी नंबर से आयकर का रिटर्न भर रहा हूँ., ऐसा केसे हो सकता है. लेकिन समस्या वही की वही.

अंतहीन पांचवा कष्ट   :  रिसर्च पूरी हो जाने के बाद, व्यापारी के सलाहकार की राय पर  जीएसटी की वेबसाइट पर आयकर के डेटाबेस के हिसाब से नाम बदला गया. कुछ मेहनत के बाद गाडी आगे बढ़ी लेकिन अंतत: कंप्यूटर स्क्रीन  पर आया X Error  यानिकी रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया और पता नहीं रजिस्ट्रेशन कब होगा, व्यापारी को सलाहकार के कितने चक्कर लगाने होंगे तथा कितना समय और  पैसा खर्च करना होगा.

निष्कर्ष : जीएसटी की भुलभुलेया में डरा-सहमा व्यापारी सरकार को सहयोग भी करना चाहता है लेकिन सरकारी अव्यवस्था इतनी ज्यादा है कि व्यापारी सहयोग करना चाहे तो भी सरकारी अव्यवस्था करने नहीं देगी. जेटली जी अब भी जाग जाए और इस बिना टेस्टिंग की जीएसटी गाडी को नहीं दोड़ाये  वरना ‘व्यापार जगत में आराजकता’ के रूप में एक्सीडेंट तो होने ही है.

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