Friday, December 1, 2017

‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-12)  

‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-12)

मेने इस विषय पर मेरा पिछला लेख  ” ‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-11) “  में लिखा था, जो न्यूज़ क्लब पर 5 फरवरी,2017  को प्रकाशित हुआ था. जिसमे मेने कुल 7 प्रश्न / बिंदु / उदाहरण आप सभी पाठको के मनन / मंथन  के लिए लिखे थे .  मै आग्रह करूंगा कि इस लेख को पढ़ने से पहले एक बार पिछला लेख भी अवश्य पढ़े जिसके लिए इन वाक्य पर व पिछले वाक्य पर कही भी क्लिक  कर  आप उसे पढ़ सकते है.

मैं मूल बात, सेव नीचे यानि जमीन पर ही क्यों गिरी?, केवल इसी बात को आधार मानते हुए ही आगे की सम्पूर्ण चर्चा करूंगा जिससे यह साबित हो सके कि वास्तव में इसके पीछे गुरुत्त्वाकर्षण नहीं, बल्कि मूल में कोई अन्य कारण मौजूद हैं। स अन्य कारण की बात करने से पहले,  मैं आपके समक्ष पिछले 7  प्रश्नों से आगे कुछ ओर सवाल व  बिंदु रखना चाहता हूँ, जिस पर आप स्वयं मनन / मंथन  करें ताकि आप स्वयं न्यूटन के सिद्धांत की त्रुटियों व अर्थहीनता को समझ सके –

(8) हम किसी जगह का लेवल (स्तर) पानी द्वारा चैक करते हैं। भवन निर्माण के तहत आज भी कारीगर, एक रबर की पाइप में पानी भरकर, उससे लेवल (स्तर) चैक करते हैं। रबर की पाईप के दोनों मुंह जब एक साथ मिलाकर देखते हैं, तो पानी समान स्तर पर रुका हुआ मिलेगा। लेवल (स्तर) चैक करने का यह तरीका आज भी सबसे उत्तम व विश्वसनीय माना जाता हैं। क्या हमारे महासागरों का पानी एक ही लेवल (स्तर) में रहता है?
(9)  हमने विज्ञान की पुस्तक में यह भी प्रयोग पढ़ा हैं कि आप एक गिलास को पूरा पानी से भर दें। उस पर कागज रखकर हाथ से कागज को दबाकर तुरन्त गिलास को पूरा उल्टा कर दें। फिर कागज पर से अपना हाथ हटा लें। आप देखेंगे कि गिलास का पानी नीचे नहीं गिरेगा और न ही गिलास पर लगा कागज नीचे गिरेगा। क्या गिलास पर लगा कागज उस पानी को नीचे गिरने से रोक रहा हैं? क्या उस समय पृथ्वी का गुरुत्त्व बल कार्य नहीं करता हैं?
(10) जब अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग दी जाती हैं तो उन्हें गुरुत्त्व बल से मुक्त कर अंतरिक्ष में होने वाली स्थिति से अवगत कराया जाता हैं, ताकि वो अंतरिक्ष यान में तैरते हुए भी अपना कार्य, कुशलता से सम्पादित कर सकें। इस प्रक्रिया को सिखाने हेतु क्या किया जाता है? पृथ्वी पर रहते हुए भी उन्हें, गुरुत्त्व बल से रहित अवस्था में जीने व रहने की ट्रेनिंग किस तरह से दी जाती हैं?
(11) जमीन के अंदर बनाये गए कुओं से हम पानी निकालकर उपयोग में लेते आये हैं। आज विद्युत मोटरें लग गयी हैं, लेकिन हमारे ग्रामीण इलाकों में आज भी डोली को रस्सी से बांधकर कुओं से पानी निकालते देखा जा सकता हैं। जब तक डोली पानी के अंदर डूबी रहती हैं, तब तक उसे खींचने में ताकत / श्रम नहीं लगता हैं। ऐसा लगता हैं कि जैसे डोली खाली हो। क्या पानी के अंदर गुरुत्त्व बल कार्य नहीं करता हैं? ज्योंही डोली पानी के बाहर आती हैं, उसे ऊपर खींचने में काफी ताकत / श्रम लगाना पड़ता हैं। ऐसा क्यों होता हैं?
(12) कुएँ के चारों तरफ जमीन रहती हैं, पर डोली तो किधर भी खिंचती हुई महसूस नहीं होती हैं, बल्कि डोली को खींचने पर सीधी ऊपर की ओर ही आती हैं। क्या चारों तरफ स्थित कुँए की जमीन में गुरुत्त्व बल नहीं रहता हैं?
(13) कई चीजे हमें आज भी हवा में तैरती हुई दिखाई दे जाती हैं। वो नीचे की बजाय ऊपर की ओर जाती हुई भी दिखाई देती हैं। क्या उन पर गुरुत्त्व बल का प्रभाव नहीं होता हैं?
(14) समुद्र में ज्वार-भाटा क्यों आता हैं? तालाब, बांध व झीलों में ज्वार-भाटा क्यों नहीं आता हैं?
(15) क्या हमारे सौर मण्डल के सभी ग्रहों में गुरुत्त्व बल विद्यमान हैं? यदि विद्यमान हैं, तो सब ग्रहों पर समान गुरुत्त्व बल हैं अथवा असमान?
(16) जब ग्रीष्म ऋतु में हवा के तेज बवंडर आते हैं, रेगिस्तान या उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में हवा के भयंकर बवंडर बनते हैं, तो उस बवंडर में हर वस्तु ऊपर की ओर उड़ने लगती हैं। वह वस्तु उस बवंडर से बाहर आने पर ही पुनः नीचे गिरती हैं। इसका क्या कारण हैं?
(17) पानी में भँवर बनता है, उस समय जो भी वस्तु उस भँवर के दायरे में आती है, वो वस्तु तीव्र गति से भँवर के पेंदे (तल) की ओर जाने की प्रक्रिया देखने को मिलती है, क्या इसके पीछे गुरुत्त्वाकर्षण कार्य कर रहा है?
(18) हमारे ग्रह पर जो वायु मण्डल स्थित हैं, वो अंतरिक्ष में विलीन क्यों नहीं हो रहा हैं?
(19) हम ज्यों-ज्यों ऊपर अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हैं, त्यों-त्यों वायु दाब घटने क्यों लगता हैं।
(20) विज्ञान ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता प्रकट कर रहा हैं, उसके पीछे क्या कारण हैं?
शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा
   

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