Friday, December 1, 2017

पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-9)  

पदार्थ की अवस्थाएं तीन नहीं बल्कि पाँच होती हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-9)

पदार्थ की अवस्थायेठोस तत्व स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उसमें पदार्थ के अणुओं की सघनता ज्यादा होती हैं। ठोस पदार्थ का हर रूप हमें अलग- अलग दिखाई पड़ता हैं। यह पदार्थ की अंतिम अवस्था हैं।  हमारी धरती भी कहने को ठोस ही कही जाती हैं,  जबकि आज भी हमारे इस ग्रह पर लगभग 70 प्रतिशत जल हैं।

मारा शरीर भी आकार लिए हुए हैं। ठोस रूप में ही दिखता हैं पर हमारे शरीर में भी लगभग 70 प्रतिशत जल तत्व ही हैं। एक सीमा के बाद यदि शरीर में जल तत्व कम हो जाय, तो व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल में भर्ती करना पड़ता हैं। उसे डीहाईड्रेशन कहते हैं। इसमें अगर लापरवाही हो जाय तो आदमी मर भी सकता हैं।

न बातों का उल्लेख इसलिए किया गया हैं कि, अंतिम अवस्था पृथ्वी (ठोस) से चौथी अवस्था जल (द्रव्य) का घनत्व कम होने से उसकी मात्रा पृथ्वी तत्त्व की अपेक्षा सर्वदा ज्यादा ही रहेगी। जल से ज्यादा तेज (ऊर्जा) तत्व होता है, क्योंकि उसका घनत्व जल से भी कम रहता हैं। हमें अपनी आँखों से तेज तत्व दृष्टिगोचर ही नहीं होता हैं। केवल रोशनी, प्रकाश या  उजाले के रूप में दृष्टिगोचर होता हैं अथवा जब यह तत्व अग्नि के रूप में आकार लेता हैं, तब दिखाई पड़ता हैं। कहीं अग्नि की लपटें उठ रही हों तो हमारी दृष्टि उन लपटों को भेदकर आगे नहीं देख सकती हैं लेकिन उन लपटो को हम पकड़ नही सकते।

म सूर्य की किरणों अथवा प्रकाश को इकट्ठा नहीं कर सकते हैं क्योंकि तेज तत्व का घनत्व उसके मूल रूप में इतना नहीं हैं, परन्तु जब यह तत्व विकराल या  विकृत रूप में आता हैं, तब हमें इसका आकार लपटों या प्रकाश के रूप में दिखाई देने लगता हैं परन्तु उसका घनत्व फिर भी कम ही रहता हैं। विद्युत, तारों में दौड़ता है पर दिखाई नहीं देता हैं। जब शार्ट सर्किट होता हैं और उसमें चिंगारी या  आग निकलती हैं, तब तारों में विद्युत होने का पता लगता हैं। विद्युत भी तेज का ही रूप हैं। सेल व बैटरी में भी तेज तत्व विद्यमान है, पर दिखाई नहीं देता हैं।

मारा सूर्य तेज तत्व का विशाल स्त्रोत हैं। वहाँ इसकी प्रचुरता व सूर्य के विशाल आकार की वजह से हमें सीधे रूप में यह तत्व दृष्टिगोचर होता हैं, और इसी कारण से कई लोग तेज तत्त्व की जगह सूर्य को ही तत्व के रूप में बोल देते हैं लेकिन शास्त्रो के अनुसार यह गलत हैं। तेज तत्व का घनत्व  जल तत्व से कम होने के कारण तेज तत्व की उपस्थिति जल से ज्यादा होगी। इसके बावजूद भी हमें इसका अहसास  नहीं हो पाता हैं। जल तत्व को हम किसी साधन या  वस्तु में संग्रहित कर सकते हैं लेकिन तेज तत्व को हम संग्रहित नहीं कर सकते हैं। कम घनत्त्व होने से ऐसा कर पाना सम्भव नहीं हो पाता हैं।

तेज तत्व से भी ज्यादा, चौथा वायु (गैस) तत्व रहता हैं, क्योंकि इसका घनत्व और भी कम होता हैं। वायु तत्व हमें दिखाई भी नहीं देता है, केवल अहसास मात्र होता हैं। हमारी दृष्टि को भी वायु तत्व रोक नहीं सकता। हमारे ग्रह पर वायु तत्व सर्वत्र हैं व मात्रा में इसकी उपलब्धता तेज तत्व से भी अधिक हैं, परंतु घनत्व इतना कम हैं कि दृष्टि इसे पार कर जाती है। इसका कोई आकार नहीं दिखता। केवल इसका अहसास स्पर्श से होता हैं।

शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा

सूर्य व गैससूर्य - SUN

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