साइक्लोन 'मोंथा' तेजी से तीव्र हो रहा, 27-31 अक्टूबर तक भारत के कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

साइक्लोन 'मोंथा' तेजी से तीव्र हो रहा, 27-31 अक्टूबर तक भारत के कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि साइक्लोन 'मोंथा' बंगाल की खाड़ी में तेजी से तीव्र हो रहा है और 28 अक्टूबर की शाम तक काकीनाडा, आंध्र प्रदेश के तट पर आ जाने की संभावना है। इसकी गति 18 किमी/घंटा है और तूफान की गति 90-100 किमी/घंटे तक पहुंच सकती है, जिसके साथ 110 किमी/घंटे की तीव्र लहरें भी आ सकती हैं। यह तूफान सिर्फ तटीय इलाकों के लिए नहीं, बल्कि देश के अधिकांश हिस्सों के लिए एक बड़ी आपदा का कारण बन सकता है।

कैसे बना साइक्लोन 'मोंथा'?

24 अक्टूबर, 2025 को शाम 5:30 बजे दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में एक संगठित निम्न दबाव क्षेत्र बना, जिसने 25 अक्टूबर की सुबह तक अपनी तीव्रता बढ़ा ली। इसका केंद्र 10.8° उत्तर अक्षांश और 88.8° पूर्व देशांतर पर था। थाइलैंड द्वारा नामित 'मोंथा' अब एक तूफानी तूफान बन चुका है, और अगले 24 घंटों में यह 'गंभीर चक्रवाती तूफान' में बदल जाएगा। IMD के अनुसार, 27 अक्टूबर की शाम तक पश्चिमी केंद्रीय बंगाल की खाड़ी में हवाओं की गति 100 किमी/घंटे तक पहुंच जाएगी।

किन-किन राज्यों को भारी बारिश की चेतावनी?

27-29 अक्टूबर के बीच, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके और यानम में 21 सेमी से अधिक बारिश होने की संभावना है। यह बारिश इतनी भारी होगी कि कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति बन सकती है। दक्षिणी ओडिशा को 28-29 अक्टूबर को भारी बारिश का सामना करना पड़ सकता है। चत्तीसगढ़ को 28 अक्टूबर को बारिश का असर होगा। पूर्वी राजस्थान में 27 अक्टूबर को बहुत भारी बारिश के साथ बिजली और तूफान आएंगे — और यह अगले पांच दिनों तक जारी रहेगा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को 26-27 अक्टूबर के बीच असामान्य मौसम का सामना करना पड़ सकता है, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश को 30-31 अक्टूबर को तूफान के बाद के असर झेलने पड़ सकते हैं। गुजरात के कुछ हिस्सों, खासकर सौराष्ट्र और कच्छ, में 27-30 अक्टूबर तक भारी बारिश और तेज हवाएं आ सकती हैं।

देश के अन्य हिस्सों में क्या हो रहा है?

अरब सागर में भी एक निम्न दबाव क्षेत्र गतिशील है, जो मुंबई और गोवा से कई सौ किमी दूर है। यह उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है और अगले 24 घंटों तक निष्क्रिय नहीं होगा। इसके अलावा, 27 अक्टूबर से पश्चिमी हिमालय क्षेत्रों में एक नया पश्चिमी विक्षेप आने की उम्मीद है — जो उत्तरी भारत में तापमान में गिरावट और बिखरी हुई बारिश का कारण बन सकता है।

उत्तर-पूर्वी भारत में 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में हल्की से मध्यम बारिश की भविष्यवाणी है। लेकिन अरुणाचल और असम में 29-30 अक्टूबर को तेज बिजली और तूफानी हवाएं आ सकती हैं — जो अभी तक के अनुभवों से भी अधिक खतरनाक हो सकती हैं।

क्या चेतावनियां जारी की गई हैं?

IMD ने तमिलनाडु के तटीय जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। यह अलर्ट उन लोगों के लिए है जो तट पर रहते हैं, मछुआरे, या छोटे बंदरगाहों के पास काम करते हैं। साइक्लोन 'मोंथा' के कारण उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में लोगों को 30-31 अक्टूबर तक अत्यधिक सावधान रहने की सलाह दी गई है।

अस्थायी शरण स्थलों को तैयार किया जा रहा है, और नौसेना और आपातकालीन बलों को तैनात किया गया है। राज्य सरकारें ने अपने अधिकारियों को तैयार होने के लिए निर्देश दिए हैं। लोगों को बारिश से पहले आपातकालीन सामग्री — बैटरी, पानी, दवाएं, और जरूरी कागजात — तैयार करने की सलाह दी गई है।

इतिहास के संदर्भ में कैसा है यह तूफान?

इतिहास के संदर्भ में कैसा है यह तूफान?

पिछले 10 सालों में बंगाल की खाड़ी में ऐसा तेज चक्रवात आखिरी बार 2020 में 'चूरू' चक्रवात के रूप में आया था, जिसने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 500 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। उसके बाद 2023 में 'दीपाक' ने आंध्र प्रदेश के तट को नुकसान पहुंचाया था। लेकिन 'मोंथा' उनसे भी अधिक विशाल है — इसकी गति, बारिश की मात्रा और फैलाव का क्षेत्र अभी तक के किसी तूफान से अधिक है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि बंगाल की खाड़ी में समुद्र का तापमान पिछले दो वर्षों में 1.5°C बढ़ गया है — जो तूफानों को अधिक तीव्र बनाने का कारण बन रहा है। यह एक खतरनाक रुझान है।

अगला क्या होगा?

28 अक्टूबर के बाद, चक्रवात का असर आंतरिक भारत पर फैलेगा। उत्तर प्रदेश और बिहार में बाढ़ के खतरे के साथ, खेतों में फसलों को नुकसान हो सकता है। रेलवे और हवाई सेवाएं रद्द हो सकती हैं। बिजली की आपूर्ति लगभग 48 घंटे तक बाधित रह सकती है। अगर तूफान जल्दी से कमजोर हो जाए, तो बाढ़ का खतरा कम हो सकता है — लेकिन अगर यह धीमे चले, तो बारिश का असर और भी बढ़ जाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइक्लोन 'मोंथा' किस तरह से आम नागरिकों को प्रभावित करेगा?

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में 90-110 किमी/घंटे की हवाएं घरों, बिजली के खंभों और बाजारों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारी बारिश के कारण बाढ़ आ सकती है, जिससे सड़कें बंद हो सकती हैं और आपातकालीन सेवाएं अवरुद्ध हो सकती हैं। गुजरात और राजस्थान में भी बिजली की लहरें और तूफानी बारिश आ सकती हैं, जिससे घरों में बिजली जाने का खतरा बढ़ जाएगा।

क्या इस तूफान का कारण जलवायु परिवर्तन है?

हां। बंगाल की खाड़ी के समुद्री तापमान में पिछले दो वर्षों में 1.5°C की वृद्धि हुई है, जो तूफानों को अधिक तीव्र और लंबे समय तक बनाए रखने में मदद कर रही है। IMD के डेटा के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में भारत में 70% अधिक तीव्र चक्रवात आए हैं। यह एक स्पष्ट जलवायु संकेत है।

क्या बारिश के बाद बीमारियां फैल सकती हैं?

जरूर। बाढ़ के बाद पानी से फैलने वाली बीमारियां जैसे टाइफाइड, पेचिश और डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं। आंध्र प्रदेश और ओडिशा में स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण अभियान शुरू कर दिए हैं। लोगों को पीने के लिए उबला हुआ पानी और साफ जगहों पर रहने की सलाह दी जा रही है।

क्या आंध्र प्रदेश और ओडिशा तैयार हैं?

दोनों राज्यों ने आपातकालीन योजनाएं तैयार की हैं। आंध्र प्रदेश ने 400 से अधिक अस्थायी शरण स्थल खोले हैं और 12,000 से अधिक लोगों को स्थानांतरित कर दिया है। ओडिशा ने अपनी बाढ़ प्रबंधन टीमों को अलर्ट पर रखा है — जो 2019 के चक्रवात 'बुबले' के बाद बनाई गई थीं। लेकिन अभी भी कई गांवों में संचार और बिजली की समस्या है।

क्या इस तूफान का प्रभाव दिल्ली जैसे शहरों पर पड़ेगा?

प्रत्यक्ष रूप से नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हां। पश्चिमी विक्षेप के साथ मिलकर यह तूफान उत्तरी भारत में तापमान में 5-7°C की गिरावट ला सकता है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के शहरों में बारिश और धुंध बढ़ सकती है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है।

अगले 72 घंटे में क्या करना चाहिए?

तटीय इलाकों में रहने वाले लोग अपने घरों को मजबूत करें, बाहर निकलने से बचें, और अपने पास दवाएं, पानी और बैटरी रखें। IMD के ऐप और रेडियो से अपडेट लेते रहें। बिजली के खंभों के पास न जाएं, और बारिश के बाद बहते पानी में न चलें — यह जानलेवा हो सकता है।