जुलाई 2023 की न्यूज़ क्लब भारत जॉर्नल

नमस्ते! जुलाई में हमने चार अलग‑अलग, लेकिन दिलचस्प टॉपिक पर गहरी चर्चा की। चाहे आप पुरुषों के डर, करियर के पैसे, या राजनीति की संभावनाओं की बात कर रहे हों, यहाँ सब कुछ आसान भाषा में मिला है। चलिए, एक‑एक करके देखते हैं कि क्या क्या पढ़ा गया और क्यों यह आपके लिये उपयोगी हो सकता है।

भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?

पहले लेख में हम ने बताया कि भारतीय पुरुषों को सिर्फ भूत‑प्रेत नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के खर्च, बॉस की डांट और बच्चों की परीक्षा के परिणाम जैसी चीज़ें डराती हैं। लेखक ने इसे हल्के‑फुल्के अंदाज़ में लिखा, लेकिन साथ ही बताया कि ये डर अक्सर आत्मविश्वास बढ़ाने का काम भी करते हैं। अगर आप भी काम‑काज या परिवार की जिम्मेदारियों से घबराते हैं, तो यह लेख आपको थोड़ा हँसाते हुए समझा देगा कि आप अकेले नहीं हैं।

जीवन कोच की कमाई और करियर चुनौतियाँ

दूसरा लेख जीवन कोच के पेशे की कमाई पर केंद्रित है। लेखक ने बताया कि भारत में जीवन कोच की आय बहुत वैरिएबल है—कभी लाखों में, कभी सिर्फ खर्च चलाने तक। यह जानना चाहेंगे कि इस फ़ील्ड में कैसे एंट्री ले और क्या चीज़ें आपको सफल बना सकती हैं? लेख में कुछ वास्तविक उदाहरण और टिप्स भी हैं, जो आपके कोचिंग करियर को दिशा दे सकते हैं।

तीसरे पोस्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स के भारत के बारे में आलोचनात्मक कवरेज का कारण समझाया गया है। लेखक ने कहा कि अक्सर विदेशी मीडिया भारत की समस्याओं को उजागर करने में रूचि लेता है, जिससे भारत के सकारात्मक पहलू अक्सर पीछे छूट जाते हैं। इस लेख से आप मीडिया बैलेंस की समझ बढ़ा सकते हैं और यह जान सकते हैं कि खबरें कैसे फ़्रेम होती हैं।

अंत में, चौथा लेख अमित शाह के राष्ट्रपति पद की संभावना पर चर्चा करता है। यहाँ राजनीतिक प्रक्रिया, संविधानिक शर्तें और पार्टी की भूमिका को सरल शब्दों में समझाया गया है। यदि आप भारतीय राजनीति में रुचि रखते हैं या भविष्य की संभावनाओं पर विचार करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके सवालों का जवाब दे सकता है।

इन चार लेखों ने जुलाई 2023 को न्यूज़ क्लब भारत के पाठकों के लिये विविधता भरे दृष्टिकोण लाए। चाहे आप सामाजिक मनोविज्ञान, करियर गाइड, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया या राष्ट्रीय राजनीति में दिलचस्पी रखें, यहाँ सब कुछ संक्षिप्त और स्पष्ट रूप में उपलब्ध है। हम आशा करते हैं आपकी जिज्ञासा और समझ दोनों बढ़ी होंगी।

31
जुल॰
भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?
मनोविज्ञान और समाज

भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?

भारतीय पुरुषों को क्या डराता है? अरे वाह, यह एक बहुत ही रोमांचक विषय है! अगर आप सोच रहे हैं कि हमें सिर्फ भूत-प्रेत, या फिर बाल का काला होना डराता है, तो आप गलत हैं! हमें आतंकित करने वाली चीजें शायद आपको हंसी उड़ाने पर मजबूर कर दें, जैसे की जीवनसंगिनी का खर्चा, बॉस की डांट, या फिर बच्चों की परीक्षा के नतीजे! लेकिन मज़ाक मज़ाक में यह भी सत्य है कि हमारे डर हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने का कारण बनते हैं!

अर्पित विलोकन
28
जुल॰
भारत में एक जीवन कोच कितना कमाता है?
व्यक्तिगत विकास और करियर

भारत में एक जीवन कोच कितना कमाता है?

अरे वाह! जीवन कोच बनने का सोच रहे हो? तो सबसे पहले तो आपको बधाई हो! भारत में एक जीवन कोच का कमाई बहुत ही अनिश्चित होता है, जैसे की हमारा भारत देश। कुछ जीवन कोच महीने में लाखों रुपये कमा लेते हैं, जबकि कुछ बस अपने खर्च चलाने लगे होते हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि यदि आप सचमुच अच्छे होते हैं, तो आपको जीवन कोच के रूप में अच्छी कमाई मिल सकती है। हाँ, और याद रखिए, यह आपकी लाइफ कोचिंग की 'जिंदगी की जीत' नहीं, बल्कि आपकी जेब को मोटी करेगी। तो चलो, खुद को तैयार करो और दुनिया को दिखाओ कि आप में कितना है दम!

अर्पित विलोकन
22
जुल॰
न्यूयॉर्क टाइम्स भारत की आलोचना क्यों करता है?
समाचार और राजनीति

न्यूयॉर्क टाइम्स भारत की आलोचना क्यों करता है?

मेरे अनुसार, न्यूयॉर्क टाइम्स भारत की आलोचना करता है क्योंकि वह अक्सर भारत की समस्याओं को उजागर करने का प्रयास करता है। इससे वे अपने पाठकों को विश्व स्तर पर हो रही घटनाओं और मुद्दों के प्रति जागरूक करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, कई बार यह आलोचना अनुचित या एकतरफा मानी जाती है। मेरा मानना है कि हर समाचार संस्थान को निष्पक्ष और संतुलित होना चाहिए। न्यूयॉर्क टाइम्स को भी भारत के सकारात्मक पहलुओं को उत्तेजित करने की कोशिश करनी चाहिए।

अर्पित विलोकन
19
जुल॰
क्या अमित शाह को भारत का राष्ट्रपति बनाया जा सकता है?
राजनीति और समाचार

क्या अमित शाह को भारत का राष्ट्रपति बनाया जा सकता है?

मेरे ब्लॉग में आज हम बात करेंगे कि क्या अमित शाह को भारत का राष्ट्रपति बनाया जा सकता है? अमित शाह, जो अब भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं, उनके राजनीतिक करियर और उनकी नेतृत्व क्षमताओं के बारे में चर्चा की गई है। इसमें उनके राष्ट्रपति पद की उम्मीदों के संभावनाओं पर भी विचार किया गया है। लेकिन, यह निर्णय अंततः भारतीय संविधान और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करेगा। यह एक रोमांचक विचार है, जिसे हमने विश्लेषण किया है।

अर्पित विलोकन