Tuesday, August 6, 2019

आदर्श निवेशको को 6 माह में पैसा मिल सकता है, यदि मोदी सरकार चाहे : Naya Bharat-नया भारत  

आदर्श निवेशको को 6 माह में पैसा मिल सकता है, यदि मोदी सरकार चाहे.

(इस विषय का विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करे)

1. हर निवेशक यह सोचकर परेशान है कि पैसा कब और केसे मिलेगा या क्या पैसा डूब चुका है.
2. अपने हक़-अधिकार के लिए दायर होने वाली FIR को पुलिस दर्ज नहीं कर रही है या आनाकानी कर रही है.
3. सरकारे भी अपना रिकॉर्ड / Statistics नहीं बिगाड़ने के लिए FIR को हतोत्साहित करने में लगी है.
4. लाखो FIR दर्ज होने से सरकारों पर दबाव बनेगा. अत: निवेशक FIR दर्ज करवाकर अपनी ड्यूटी पूरी करे.

5. मोदी सरकार चाहे तो 6 माह में सब को पैसा दिलवा सकती है, केसे ?
A. यदि मोदी सरकार हकीकत में ही जन-हितेषी और आम आदमी की शुभ-चिन्तक सरकार है ?
B. जरूरत है आम निवेशक और देशवासियों के हितो की चिंता मोदी सरकार को हो.
C. भाजपा और आदर्श प्रबंधको के बीच रहे घनिष्ठ संबंधो को भुलाकर मोदी सरकार काम करे.
D. संसद का सत्र चल रहा है और सरकार इसी सत्र में विधेयक लाकर उसे पास कराकर आदर्श घोटाले से पीडितो के हितो की रक्षा के लिए नया क़ानून बना दे.

E. नए क़ानून में क्या हो प्रावधान –
(a) घोटाले से जुडी सभी कंपनियों की बकाया राशि के बराबर स्थाई सम्पतियो को आदर्श सोसाइटी की सम्पति घोषित कर दी जाए और सोसाइटी को मालिक बना दिया जाए.

(b) सोसाइटी के सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभान्वितो की सम्पतियो में से भोगे गए लाभ के बराबर वसूली की जाए और यदि 30 दिन के अन्दर-अन्दर रोकड़ वसूली नहीं हो तो लाभ के बराबर सम्पतियो को सोसाइटी की सम्पितिया घोषित कर दी जाए.

(c) लिक्वीडेटर को सोसाइटी का प्रशासक घोषित कर उसे और पावरफुल बना दिया जाए.

(d) सभी ऐसी सम्पतियो को नीलामी द्वारा बेचने के लिए लिक्वीडेटर को अधिकृत व जिम्मेदार और बाध्य घोषित कर दिया जाए.

(e) सोसाइटी की बुक्स के अनुसार देनदारी (लाभान्वितो और घोटाले में सम्मिलित लोगो को छोड़कर) को स्वीकार कर लिया जाए और क्लेम को आमंत्रित करने में समय खराब नहीं किया जाए.

(f) वर्त्तमान में विभिन्न सस्थाओं, कोर्ट या NCLT या सरकारी विभागों द्वारा attach प्रॉपर्टीज तो अटैचमेंट से फ्री कर सोसाइटी में निहित घोषित कर दिया जाए.

(g) वसूल की गयी राशि में से अनुपातिक रूप से सबसे पहले मूल धन को लोटाया जाए.

(h) शेयर कैपिटल में सिर्फ निवेश (मूल राशि) को भी बकाया देनदारी माना जावे.

(i) स्पेशल ऑडिटर की नियुक्ति द्वारा क़ानून सम्मत सभी तरह की देनदारी तय करवाई जाए.

(j) सबसे पहले निवेशको के मूलधन का भुगतान हो
 फिर निवेशको को ब्याज.
 फिर अधिकतम 20000/- रू. प्रति माह वेतन भोगियो को वेतन दिया जाए.
 कुछ बचता हो, सरकारी दायित्वों का भुगतान किया जाए.

(k) मोदी सरकार चाहे तो मै 2 दिन में विधेयक बनाकर दे सकता हूँ.

6. जरूरत है –
(a) जनप्रतिनिधियों (खासतोर पर बीजेपी सांसदों-विधायको) के मार्फ़त निवेशक सरकार पर दबाव बनाए

(b) निवेशक लाखो FIR दर्ज करवाकर दबाव बनाए.

(c) विभिन्न प्रजातांत्रिक तरीको से दबाव बनाए.

7. क्या नहीं करे –
 हालफिलहाल FIR के अलावा और कोई कानूनी कार्यवाही नहीं करे.
 किसी को जल्दी भी हो तो भी सीधा हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट नहीं जाए.
 पहले से ही लुटे हुए निवेशक, अनावश्यक खर्चा नहीं करे.

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