Friday, August 26, 2016

मंत्री नहीं मानते जिंदा पेंशनर्स को मृत बताना अपने विभाग की गलती 

जयपुर.पहले जामडोली विमंदित गृह के बच्चों की मौतें और फिर जिंदा लोगों को मृत बताकर बंद की गई पेंशन के मामले से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इन दिनों विवादों में है। लापरवाह अफसरों के कारण पूरी सरकार की छवि तो बिगड़ी ही, विपक्ष को भी बड़ा मुद्दा मिल गया है। सीधे गांव-गरीब से जुड़े पेंशन जैसे मामले में भले ही समीक्षा या वेरिफिकेशन के नाम पर फिलहाल कई तर्क आ रहे हों लेकिन विभाग के मंत्री अरुण चतुर्वेदी की छवि इन प्रकरणों से धूमिल जरूर हुई है।  सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर उनसे एक दैनिक अखबार ने बात की और पूछे सीधे सवाल…
पहले जामडोली में विमंदित बच्चों की मौत, फिर बुजुर्गों की पेंशन रोकना, क्या इससे सरकार की छवि खराब नहीं हुई?
 जामडोली मामले में हमने एक आईएएस के खिलाफ कार्रवाई की। बच्चों के बीमार होते ही उन्हें तुरंत जेके लोन अस्पताल भेजा। अच्छे से इलाज करवाया। फिर भी कुछ बच्चों की मौत हो गई। हमने किसी को मरा हुआ बताकर पेंशन बंद नहीं की। ऐसे जो मामले आए वो सब अनक्लेम्ड थे।
दोहरे अकाउंट के मामले सामने आ रहे हैं तो आपने दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की?
अभी प्रारंभिक रिपोर्ट है। हमने जांच के लिए 15 दिन का समय और दे रखा है। फिर देखेंगे क्या कार्रवाई की जाए।
हर जिले-गांव में ऐसे मामले सामने आए हैं, उनका क्या करेंगे?
इसके लिए प्रावधान हैं। जिनकी पेंशन कट गई, वह तीन महीने में एसडीएम कार्यालय जाकर अपील कर सकते हैं। अगर उसका दावा सही है तो पेंशन फिर से शुरू कर दी जाती है। अब हम टाइम लाइन को हटाने का प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।
चर्चा है कि अगर मंत्रीमंडल फेरबदल में आपसे महकमा छिन सकता है?
फेरबदल का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का है। मैं यह कह सकता हूं कि अपने विभाग के काम से पूरी तरह से संतुष्ट हूं। खुद केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत मेरे काम की तारीफ कर चुके हैं।
आप यह क्यों नहीं मानते कि यह आपके विभाग की लापरवाही से हुआ है?
 हमने कोई लापरवाही नहीं की है। जब वास्तविक पेंशनर्स के नाम काटने की प्रारंभिक सूचनाएं आईं तो विभाग के डायरेक्टर ने सभी कलेक्टर्स को पत्र लिखकर वेरिफिकेशन के लिए कहा।

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