Thursday, March 7, 2019

बायोडीजल पर जीएसटी की मार  

बायोडीजल पर जीएसटी की मार

हाल में घोषित जीएसटी दरों के तहत बायोडीजल, एथेनॉल और अन्य मिश्रित उत्पादों को 18 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है। बायोडिजल शत्-प्रतिशत नवीनीकरणीय स्रोतों से बनाया जाता है। यह परम्परागत इंधनो का एक स्वच्छ विकल्प है। इसको भविष्य का इंधन माना जा रहा है। बायोडीजल में पट्रोलियम नहीं होता किन्तु इसे सम्यक अनुपात में पेट्रोलियम में मिलाकर विभिन्न प्रकार की गाडियों में प्रयोग किया जा सकता है। बायोडीजल विषैला नही होता; यह बायोडिग्रेडेबल भी है।

वर्ष 2022 तक कच्चे तेल के आयात में कम से कम 10 फीसदी की कमी लाने की योजनाओं के साथ स्वच्छ ऊर्जा मोदी सरकार के लिए मददगार साबित हो सकती है। लेकिन भारत के स्वच्छ ईंधन में व्यापक भागीदारी रखने वाले बायोडीजल उद्योग पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाना इन योजनाओं के लिए समस्या खड़ी कर सकता है। इस उद्योग की कंपनियों का कहना है कि बायोडीजल पर अधिक जीएसटी दर से डीजल महंगा हो जाएगा और स्वच्छ ऊर्जा ईंधन के तौर पर कम प्रतिस्पर्धी रह जाएगा।

हाल में घोषित जीएसटी दरों के तहत बायोडीजल, एथेनॉल और अन्य मिश्रित उत्पादों को 18 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है। पिछले 10 साल से बायोडीजल पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगता था और कुछ राज्य बायोडीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) भी नहीं वसूलते थे। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान मुख्य रूप से शामिल हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक 5 प्रतिशत बायोडीजल मिश्रण की योजना बना रहा है। इस लक्ष्य के साथ उद्योग को लगभग 27,000 करोड़ रुपये के व्यवसाय के साथ 6.75 अरब लीटर की मांग पैदा होने की उम्मीद है।

बायोडीजल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीडीएआई) के अध्यक्ष संदीप चतुर्वेदी ने कहा, ” यह विरोधाभास है कि जब शहरों में प्रदूषण की समस्या गहराती जा रही है तो ऐसे में प्रदूषण घटाने में मददगार बायोडीजल जैसे उत्पाद को कर छूट के बजाय अधिक कर ढांचे में रखा गया है। 5 रुपये प्रति लीटर की ऊंची कर वृद्घि तेल विपणन कंपनियों, रेलवे जैसे मौजूदा उपयोगकर्ताओं को भी खपत को सीमित करने के लिए बाध्य करेगी। किसान फिर से प्रदूषण वाले ईंधनों और अन्य उत्पादों के इस्तेमाल की ओर रुख करेंगे।” उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ जैव ईंधनों को बढ़ावा दिए जाने के लिए कच्चे तेल की खपत में कमी लाने और उपकर के साथ स्वच्छ भारत पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में बायोडीजल पर अधिक जीएसटी लगने से इस स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को झटका लगेगा।’

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