Monday, March 4, 2019

पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों के निर्धारण में जनता को लूटा जा रहा है – नया भारत पार्टी  

पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों के निर्धारण में जनता को लूटा जा रहा है – नया भारत पार्टी (Naya Bharat Party)

 

देश में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों (Retail Prices of Petrol and Diesel) आग लगी हुई है और सरकार पेट्रोल-डीजल के ‘जीएसटी (GST)’ से बाहर रहने के कारण  इस तेजी को जिम्मेदार बता रही है. लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार सरासर झूठ बोल रही है और जनता को लूट रही है, कीमते बढ़ा कर. इसी लेख के नीचे एक तुलनात्मक चार्ट (Comparision Chart) दिया जा रहा है जिससे पाठक समझ सकते है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का न तो ‘जीएसटी’ से कोई सम्बन्ध है और न ही क्रूड (कच्चे तेल) की कीमतों का (Prices of Crude Oil).

पेट्रोल-डीजल की कीमतों का ‘जीएसटी’ से कोई सम्बन्ध ही नहीं है ( No relation of GST with Retail Prices of Petrol and Diesel) : देश में ‘जीएसटी’ 1 जुलाई, 2017 से लागू किया किया. लेकिन पेट्रोल-डीजल पर ‘जीएसटी’ नहीं लगाया गया. यानिकी पेट्रोल-डीजल पर 1 जुलाई, 2017 से पहले भी वैट था (‘जीएसटी’  नहीं) और बाद में भी वैट (‘जीएसटी’  नहीं) लग रहा है. तो फिर ‘जीएसटी’ से इसे क्यों जोड़ा जा रहा है. July 31, 2014 को डीजल की रेट मुंबई में 66.63 रू. प्रति लीटर थी, तब ‘जीएसटी’ नहीं लगता था, June 30, 2017 को डीजल की रेट 58.80 रू. थी तब भी  ‘जीएसटी’ नहीं लगता था और कल (September 8, 2018) जब डीजल की रेट 76.98 रू कर दी गयी, तब भी  ‘जीएसटी’ नहीं लगता था. अत: देश को सिर्फ भ्रमित किया जा रहा है और देश के सामने एक झूठ परोसा जा रहा है.

पेट्रोल-डीजल की कीमतों का क्रूड (कच्चे तेल) की कीमत से भी कोई  सीधा सम्बन्ध ही नहीं है ( No Direction relation of GST with Crude Prices) : आप नीचे दिए गए चार्ट का अवलोकन करे. आप पायेंगे कि July 31, 2014 को डीजल की रेट मुंबई में 66.63 रू. थी, तब कच्चे तेल की बाजारू कीमत 105.23 डॉलर प्रति बेरल थी. June 30, 2017 को कच्चे तेल की बाजारू कीमत 105.23 डॉलर प्रति बेरल से 56.12% गिरकर मात्र 46.17 डॉलर प्रति बेरल रह गयी थी, तब डीजल की रेट को मात्र 11.75% ही कम किया गया और पेट्रोल की कीमत को तो मात्र 07.49% ही घटाया गया था.

कल यानिकी 08 सितम्बर, 2018 की तुलना June 30, 2017 से करे तो पता चलेगा कि डीजल रेट 30.92% बढाई गयी और पेट्रोल की कीमत 17.72% ही बढाई गयी जबकि कच्चे तेल की बाजारू कीमत में 53.95% की बढ़ोतरी हुई थी. इससे स्पष्ट है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का क्रूड (कच्चे तेल) की कीमत से कोई सीधा सम्बन्ध ही नहीं है.

महंगाई बढाने वाले डीजल के साथ पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा अन्याय किया गया है : महंगाई बढाने वाले डीजल के साथ पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा अन्याय किया गया है जो कि यह साबित करता है कि सब कुछ मनमाने तरीके से हो रहा है. पूरे देश ने देखा कि गुजरात विधान-सभा चुनावों के समय कई दिनों तक कीमते नहीं बढाई गयी लेकिन चुनाव समाप्त होते ही कीमते बढानी चालू कर दी गयी.

June 30, 2017 से September 8, 2018 के बीच डीजल की कीमतों में 30.92% की बढ़ोतरी की गयी जबकि पेट्रोल में 17.72% बढ़ोतरी ही की गयी. हकीकत में तो एक निश्चित अनुपात में ही बढ़ोतरी या कमी होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, जो साबित करता है कि कीमत निर्धारण में मनमानी हो रही है. यही नहीं, डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर ग्रामीण भारत, कृषि व परिवहन लागत को महँगा कर सरकार ने अपना खजाना भरा है जिससे डीजल उपभोक्ताओं और देश के आम उपभोक्ता को बड़ा नुकसान पहुचाया गया है.

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