Saturday, December 2, 2017

जीएसटी के अटकने की पूरी-पूरी संभावना ?  

जीएसटी के अटकने की पूरी-पूरी संभावना ?

जो हालात देश में दिख रहे है, उससे इस बात की प्रबल संभावनाये बन रही है कि जीएसटी का क्रियान्वयन अटक जाएगा तथा शायद अगले 1 अप्रैल, 2017 से यह लागू नहीं हो पायगा.

सामान्यतया देश का वाणिज्य जगत इस बात की उम्मीद कर रहा है कि 1 अप्रैल, 2017 से जीएसटी लागू हो जाएगा तथा सरकारी स्तर पर तेयारी भी पूरे जोर-शोर से चल रही है. लेकिन राजनीतिक हालात कुछ ओर ही संकेत दे रहे है.

शायद, प्राइम मिनिस्टर मोदी को यह अहसास होने लगा था कि उनकी नोटबंदी योजना के विरूद्ध राजनीतिक स्तर पर भले ही मोखिक व मूक विरोध हो रहा हो लेकिन भारतीय जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है. इसी सोच के परिणाम स्वरुप, अभी हाल ही में प्राइम मिनिस्टर मोदी ने भारतीय जनता को व्यापक स्तर पर जापान व गोवा सहित तीन स्थानों पर संबोधन किया था जिसमे प्राइम मिनिस्टर मोदी ने नोटबंदी योजना के बहाने अपने गेर-जरूरी, अहंकार युक्त शब्दों, व्यंग बाणों व बॉडी लैंग्वेज से कई विपक्षी पार्टियों व उनके नेताओं की तौहीन (Insult)  करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी.

इस नोटबंदी योजना के कारण पहले ही, विपक्ष के अधिकाँश नेताओं को जबरदस्त आर्थिक नुकसान पहुचा जिससे ऐसे सभी नेता सदमें थे और ऊपर से प्राइम मिनिस्टर मोदी  के शब्दों, व्यंग बाणों व बॉडी लैंग्वेज से कई विपक्षी पार्टियों व उनके नेताओं का दिल छलनी कर डाला जिससे उनके अन्दर ही अन्दर विरोध के स्वर उग्र होते जा रहे है. प्राइम मिनिस्टर मोदी द्वारा की गयी तौहीन (Insult)  का तात्कालीन बदला लेने के लिए एक बार फिर जीएसटी को मोहरा बनाया जा सकता है.

शायद प्राइम मिनिस्टर मोदी को अपनी अहंकारयुक्त तौहीन करने वाली भाषा में हुई गलती का कुछ अहसास भी हुआ है. परिणाम स्वरुप संसद के शीत-कालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष के कुछ नेताओं की कुर्सी के पास जाकर सलाम-दुआ कर अपनी नम्रता, झुकाव व सरलता दिखाने (दिखावा) का प्रयास किया. कल हुई उत्तरप्रदेश की सभा में भी सिर्फ मायावती व ममता को ही निशाना बनाकर विपक्ष में भी दरार डालने का पूरा-पूरा प्रयास किया है. लेकिन कोई भी विपक्षी नेता प्राइम मिनिस्टर मोदी की अहंकारयुक्त तौहीन करने वाली भाषा को भुला नहीं है अत: वो बदला लेने से नहीं चुकेंगे.

इस बदले की कार्यवाही के लिए संसद में हंगामा कर पुन: जीएसटी को मोहरा बनाया जाएगा तथा किसी न किसी बहाने जीएसटी के नियमो से जुड़े बिलों को अटकाने का पूरा प्रयास होगा. ध्यान रहे कि जीएसटी अधिनियम व संविधान संशोधन अवश्य संसद ने स्वीकार कर दिए थे लेकिन जीएसटी सम्बन्धित नियमो को भी लोकसभा व राज्य सभा से पास करवाना अभी बाकी है. विपक्षी पार्टिया अब इस मोके को शायद हीं छोड़ेगी और उस स्थिति में जीएसटी का क्रियान्वयन एक बार फिर अटक सकता है.

प्राइम मिनिस्टर मोदी  की नोटबंदी योजना से कही बीजेपी के नेता भी सख्त नाराज व दुखी है. देखना होगा कि इन हालातो में प्राइम मिनिस्टर मोदी  की टीम क्या प्रलोभन या डर दिखाकर विपक्षी पार्टियो को जीएसटी पर राजी कर पाती है या उन पर दबाव बना पाती है. लेकिन इतना तय है कि संसद का शीत कालीन सत्र होगा हंगामेदार.  

सीए के. सी. मूंदड़ा

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