बेरोजगारी से मुक्त है – सुमेरपुर शहर ( Sumerpur )
पता नहीं, देश के और कितने शहर है जो बेरोजगारी से मुक्त है लेकिन राजस्थान के पाली जिले का एक छोटा मात्र 30000 की आबादी वाला लेकिन महत्वपूर्ण शहर सुमेरपुर (Sumerpur) बेरोजगारी से पूर्ण रूप से मुक्त है.
वेसे यह आज की बात नहीं है बल्कि कई वर्षो से सुमेरपुर बेरोजगारी से मुक्त ही नहीं है बल्कि अतिरोजगार यहाँ सुमेरपुर की एक बड़ी समस्या है. राजस्थान के कई बड़े शहरों के मुकाबले यहाँ स्किल्ड व अनस्किल्ड श्रमिक बहुत महंगा है तथा बड़ी मुश्किल से मिलता है.
सुमेरपुर का शिक्षा स्तर उतना उच्चा नहीं है लेकिन फिर भी काफी अच्छा है. यहाँ के ज्यादातर पढ़े लिखे लोग मुंबई व बेंगलुरु आदि दक्षिण भारतीय शहरों में उच्च स्तरीय रोजगार में अपना अच्छा स्थान रखते है. कोई वक्त था जब कहा जाता था कि सुमेरपुर में तीन वर्ग ही मुख्य है –व्यापारी, दलाल व हमाल. वर्तमान में सुमेरपुर की लगभग यही स्थिति है और अब आप कह सकते है कि सुमेरपुर में चार वर्ग मुख्य है – व्यापारी (व फैक्ट्री मालिक), दलाल (ब्रोकर कंपनिया), हमाल (व मुनीम) एवं यात्री व माल का ट्रांसपोर्ट सिस्टम.
कुल मिलाकर सुमेरपुर का वाणिज्य जगत इतना सुदृढ़ है कि काम करने वाले के लिए कोई काम की कमी नहीं है. सुमेरपुर का ड्राईवर व हमाल औसतन रोजाना 1000/- आराम से कमा लेता है. शादी में पहली बार ‘कार’ यहाँ के ‘वाल्मिकी समाज’ के परिवार द्वारा दहेज़ दी गयी थी. यहाँ के प्लम्बर चोपहिया वाहन में मरम्मत / अपनी ड्यूटी करने आते है. यहाँ शत-प्रतिशत परिवारों के पास अमूमन कम से कम एक दुपहिया वाहन तो है ही. पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा मोटर-साइकिल सुमेरपुर में बिकती है. सुमेरपुर के विकसित व्यापार का सारा श्रेय यहाँ कि उद्यमशीलता से भी ज्यादा से यहाँ के उन्नत ट्रांसपोर्टेशन व ब्रोकर सिस्टम तथा जवाई बांध को जाता है.
सुमेरपुर का ग्रामीण क्षेत्र भी काफी विकसित व खुशहाल है और इसके साथ इसके जुड़वा शहर शिवगंज के जुड़ते ही तो सुमेरपुर के चार चाँद लग जाते है. वेसे भी शिवगंज -सुमेरपुर का नाम साथ साथ ही पुकारा जाता है. दोनों शहर जुड़वा होने बावजूद दोनों का जिला, व्यापार व सामाजिक सरोकार एकदम अलग-अलग है. आगे के लेखो में आपको सुमेरपुर की एक-एक विशेषताओं पर आपको पढ़ने को मिलेगा.