वाणिज्य कर विभाग का भ्रष्टाचार कंप्यूटर तकनीक पर भारी
सुमेरपुर | Sumerpur | पाली | राजस्थान : कहने में भले ही आश्चर्यजनक लगे लेकिन यह सत्य है कि राजस्थान के वाणिज्य कर विभाग का भ्रष्टाचार कंप्यूटर तकनीक पर भारी है परिणाम स्वरुप ऑनलाइन हो जाने से भ्रष्टाचार ओर ज्यादा बढ़ गया..
यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि सरकारी कामकाज ऑनलाइन होने से भ्रष्टाचार कम होता है लेकिन यह एक अर्ध सत्य है. बल्कि इसके विपरीत राजस्थान के वाणिज्य कर विभाग की कुछ ऑनलाइन कार्यवाहियों ने उल्टा भ्रष्टाचार बढ़ाया है. ऑनलाइन कार्यवाहियों में कुछ ऐसे आप्शन / औजार डाले गए है जो सिर्फ भ्रष्टाचार में मददगार होते है.
समझने के लिए आप सी-फॉर्म का उदाहरण ले सकते है. पुरानी व्यवस्था में अधिकतम रू. 100/- ‘ सुविधा शुल्क ‘ ( अन्य खर्चे सहित ) में 25 सी-फॉर्म की एक पूरी बुक आ जाती थी लेकिन अब प्रत्येक सी-फॉर्म के लिए एक एक करके ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है लेकिन अधिकाँश मामलो में सी-फॉर्म को अटका दिया जाता है तथा फोर्सफुल अप्रूवल (FORCEFUL APPROVAL) लेने के लिए कहा जाता है. इस फोर्सफुल अप्रूवल का अधिकार वाणिज्य कर विभाग के सम्बंधित वाणिज्य कर अधिकारी / सहायक वाणिज्य कर अधिकारी के पास होता है , यही से FORCEFUL APPROVAL की भ्रष्टाचार तकनीक शुरू होती है.
अब व्यापारी या उसके प्रतिनिधी को वाणिज्य कर विभाग के सम्बंधित कार्यालय में जाकर सी-फॉर्म के आवेदन को फोर्सफुल अप्रूवल के लिए प्रयास करना होगा. वह व्यापारी भाग्यशाली होगा यदि एक चक्कर में ही काम हो गया अन्यथा अधिकारी या सम्बंधित लिपिक या कंप्यूटर ऑपरेटर की अनुपस्तिथि के बहाने 2-4 चक्कर के बाद लगभग रू. 100/- का सुविधा शुल्क देकर ही सी-फॉर्म ले पाता है. पहले मुश्किल से एक सी-फॉर्म की सुविधा शुल्क सहित लागत लगभग रू. 4/- आती थी, अब वही लगत रू. 100/- आने लग गयी है. है ना ऑनलाइन से भ्रष्टाचार पैदा करने की तकनीक या भ्रष्टाचार पैदा करने वाली ऑनलाइन व्यवस्था ??