ताशकंद : भारत ने नाटो की तोड़ के तौर पर देखे जा रहे शक्तिशाली सुरक्षा समूह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पूर्ण सदस्यता के लिए प्रकिया की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को दायित्व ज्ञापन (एमओओ) पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्रालय में सचिव (पूरब) सुजाता मेहता ने एससीओ सम्मेलन में दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए।
भारत को सदस्यता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आने वाले समय में करीब 30 ऐसे अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे। पाकिस्तान को भी एससीओ के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा है। संभावना है कि एससीओ की सदस्यता से आतंकवाद से मुकाबले के अलावा सुरक्षा और रक्षा से जुड़े मुद्दों में भारत का प्रभाव बढ़ेगा। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा उर्जा की खपत करने वाले देशों में से एक है। उम्मीद है कि एससीओ का सदस्य बन जाने के बाद मध्य एशिया में तेल एवं गैस उत्खनन परियोजनाओं तक भारत की वृह्द पहुंच हो सकेगी। एससीओ के कई सदस्य देशों के पास तेल एवं गैस का विशाल भंडार है।
भारत को समूह का सदस्य बनाने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत पिछले साल जुलाई में उफा में हुए एससीओ सम्मेलन में हुई थी जब भारत, पाकिस्तान और ईरान को सदस्यता प्रदान करने के लिए प्रशासनिक बाधाओं को दूर कर दिया गया था। एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किरगिज गणराज्य के राष्ट्रपतियों ने की थी। भारत, ईरान और पाकिस्तान को 2005 के अस्ताना सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रूप में इसमें शामिल किया गया था।