भ्रष्टाचार व कालेधन की समाप्ति के लिए बजट – 2017 के लिए कुछ सुझाव
भ्रष्टाचार व कालेधन की समाप्ति के लिए बजट – 2017 के लिए कुछ सुझाव
अब यह तो फाइनल है कि आगामी केन्द्रीय बजट-2017, 1 फरवरी को संसद में पेश होने जा रहा है. लेखक चाहता है कि देश के विकास के लिए, जन-हित में तथा भ्रष्टाचार व कालेधन की समाप्ति के लिए उसके सुझाव न्यूज़ क्लब के मार्फ़त वित्त मंत्री को भेजे जाए. अत: इस लेख के माध्यम से निम्न सुझाव सूक्ष्म रूप से यहाँ नीचे प्रस्तुत किये का रहे है –
कालेधन की समाप्ति के लिए : यह तो अब स्थापित सत्य है कि भारत में देश के वर्तमान व प्रचलित कानूनों व प्रयासों से कालेधन का उत्पादन को समाप्त नहीं किया जा सकता है क्योकि वर्तमान व प्रचलित कानून ही कालेधन के उत्पादक है. अत: लेखक निम्न सुझाव व मांगे प्रस्तुत कर रहा है –
- वर्तमान में लागू 1961 का आयकर क़ानून पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाना चाहिए तथा भारत को आयकर मुक्त कर देना चाहिए. यह नोटबंदी के बाद सबसे कारगर साधन साबित होगा.
- यदि लीक से हटकर यह क्रांतिकारी कदम अभी नहीं उठाया जा सकता है तो वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 में निम्न विषयो पर आवश्यक संशोधन अवश्य कर देने चाहिए-
- सभी तरह की कर योग्य आय (आयकर अधिनियम की धारा 44एडी / 44एइ में घोषित आय सहित) पूर्ण रूप से फिक्स कर दी जानी चाहिए तथा आय को कम या ज्यादा दिखाने की कोई तरह का कोई option कर-दाता के लिए नहीं छोड़ना चाहिए.
- हर कार्यवाही के लिए सभी सरकारी अथॉरिटी की जबावदेही व समय सीमा को सम्बंधित क़ानून में तय किया जाना चाहिए क्योकि सिटिज़न चार्टर, निर्देश, परिपत्र व गाइड लाइन्स का कोई व्यवहारिक अर्थ / मतलब ही नहीं है.
- सरलीकरण के विपरीत, आयकर अधिनियम, सर्विस टैक्स क़ानून व एक्साइज लॉ में धाराएं उपधाराए बढ़ती ही जा रही है. सर्विस टैक्स का तो कोइ अधिनियम तक नहीं है. अत: सभी कानूनों को हर संभव सरलीकृत किया जाना चाहिए.
- अभी हाल प्रस्तावित जीएसटी क़ानून को लागू ही नहीं करवाना चाहिए या राज्य के अन्दर ही अन्दर व्यापार करने वाले व्यापारियों (Traders) को जीएसटी क़ानून से मुक्त रखना चाहिए या कम्पोजीशन जेसी योजनाये भी दी जा सकती है.
भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए : यह भी अब स्थापित सत्य है कि भारत में देश के वर्तमान व प्रचलित कानूनों व प्रयासों से भ्रष्टाचार के उत्पादन को समाप्त नहीं किया जा सकता है क्योकि वर्तमान व प्रचलित कानून ही भ्रष्टाचार के उत्पादक है. अत: लेखक निम्न सुझाव व मांगे प्रस्तुत कर रहा है –
- जेसा कि ऊपर सुझाया गया है, सबसे पहले कालेधन को रोकने के लिए यथोचित कदम उठाने चाहिए.
- हर कार्यवाही के लिए सभी सरकारी अथॉरिटी की जबावदेही व समय सीमा को सम्बंधित क़ानून में तय किया जाना चाहिए तथा करदाता के हाथ में अधिकार दिया जाना चाहिये ताकि भ्रष्ट व लापरवाह अथॉरिटी के खिलाफ वह स्वयं कानूनी / दंडात्मक कार्यवाही कर सके.
- हर मामले में सरकारी अथॉरिटी को दिए गए विवेकाधिकार हर संभव समाप्त कर देने चाहिए क्योकि विवेकाधिकार से ही भ्रष्टाचार पैदा होता है.
उपरोक्त विवेचित किसी भी सुझाव पर, यदि वित् मंत्रीजी को विस्तृत स्पष्टीकरण चाहिए तो लेखक स्पष्टीकरण देने को तेयार है. लेखक का मानना है कि बिना राजस्व को नुकसान पहुचाये देश हित में उपरोक्त सुझावों पर आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते है.
Author : सीए के.सी. मूंदड़ा ईमेल : [email protected]