वेट – जी.एस.टी. मुक्त भारत की मांग व परिकल्पना
कल खाली व शांत राज्य सभा में जी.एस.टी. से सम्बंधित 122 वे संविधान संशोधन बिल पर फिक्स्ड मैच की तरह बड़ी सालीन व सकारात्मक बहस से अस्पष्ट है कि जी.एस.टी. से सम्बंधित ‘संविधान संशोधन बिल’ आज या कल तक राज्य सभा से भी पास जो जाएगा जो की पास हो भी गया लेकिन इस बीच ‘‘वेट – जी.एस.टी. मुक्त भारत’’ की मांग व परिकल्पना की तरफ बहुत कम लोगो का ध्यान है.
जून के प्रथम सप्ताह में राजस्थान के एक प्रमुख छोटे से शहर सुमेरपुर में ‘नया भारत’ के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमे बहुत सी मांगो व परिकल्पनाओ के साथ साथ एक प्रमुख ‘‘वेट – जी.एस.टी. मुक्त भारत” मांग व परिकल्पना पर गंभीरता से चर्चा की गयी थी.
कार्यक्रम में लीक से हटकर विचारधारा रखने वाले कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सीए. के.सी.मूंदड़ा ने आह्वान किया कि अब समय आ गया की भारत के विकास के लिए भारत को अब वेट – जी.एस.टी. से मुक्त हो जाना चाहिए. के.सी.मूंदड़ा ने वर्तमान वेट व्यवस्था व प्रस्तावित जी.एस.टी. की कड़ी आलोचना की तथा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगो ने ‘‘वेट – जी.एस.टी. मुक्त भारत” की मांग का जोर-शोर से समर्थन किया.
के.सी.मूंदड़ा ने वर्तमान वेट व्यवस्था में भ्रष्टाचार, विभागीय व्यवहार से बर्बादी व करचोरी के कई प्रसंगों को सभी के सामने रखा तथा के.सी.मूंदड़ा ने जी.एस.टी. को भी देश की जरूरत व विकास के विरुद्ध बताया. उन्होंने स्पष्ट करते हुए घोषणा की कि लम्बी नूरा कुश्ती के बाद जी.एस.टी. बिल तो पास हो जाएगा लेकिन उससे देश को कुछ भी हासिल होने वाला नही है. मोदी सरकार से सरलीकरण की उम्मीद के विपरीत यह नया कानून और ज्यादा कलिष्ठ व पेचीदा होगा.
आज यह वाकई विचारणीय विषय है की क्या भारत के ‘‘वेट – जी.एस.टी. मुक्त” हो जाने से सुखद व विकसित भारत की कल्पना की जा सकती है – जयपुर (राजस्थान) से मनीष मेवाड़ा / Manish Mewara.