Friday, June 23, 2017

हिंसात्मक आन्दोलनो से देश को बचाया जा सकता है, बेशर्ते……. ? 

हिंसात्मक आन्दोलनो से देश को बचाया जा सकता है, बेशर्ते……. ?

 

मेने न्यूज़ क्लब पर 10 जून को ही लिखा था कि  सूरज की गर्मी से तपता जून, आंदोलनों की आग से झुलसेगा. दिखने भी लगा है कि एक के एक बाद राज्यों में आंदोलनों की आहट सुनाई दे रही है. ऐसे सारे आन्दोलन कुल मिलाकर देश के कर्णधारों की गलतियों का ही परिणाम है.

यदि किसी भी बीमारी का इलाज ढूंढना हो तो सबसे पहले बीमारी का कारण मालूम पड़ना चाहिए. ठीक इसी तरह देश को ऐसे आंदोलनों से देश को बचाना हो तो उन कारणों  को ढूंढना होगा ताकि इलाज किया जा सके. वेसे तो कई कारण गिनाये जा सकते है लेकिन इस समस्या का एक मात्र मुख्य कारण है,  सत्ता प्राप्ति के लिए हमारे नेताओं के ‘प्रलोभन युक्त वादे’. सता प्राप्ति के लिए  हमारे नेता कुछ भी यानिकी असम्भव तक वादा भी करते है और हमारा चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहता है. जब तक वोटो के खातिर ऐसे ‘प्रलोभन युक्त वादे’ किये जाते रहेंगे, तब तक वादा पूर्ति के अभाव में आन्दोलन होते रहेंगे. खासतोर पर जब देश के प्रधान मंत्री कोई वादा (चाहे एक राज्य के लिए ही क्यों नहीं) करते है तो सभी लाभार्तियो का लोभ युक्त अधिकार जागृत हो जाता है जिससे आन्दोलन ही पैदा होंगे.

समस्या का इलाज क्या है :  समस्या का एक ही इलाज है कि चुनाव आयोग ऐसे ‘प्रलोभन युक्त चुनावी वादों ’ पर रोक लगाए अथवा चुनावी घोषणा पत्र के समर्थन में सभी पार्टियों से विस्तृत शपथ पत्र ले जिसमे उन्हें बताना होगा कि वादे  की पूर्ति  के लिए फण्ड कहा से आयेगा तथा घोषणा की पूर्ति कब तक की जायेगी. यदि चुनावी  घोषणाए पूरी नहीं होती है तो ऐसी पार्टियों पर न केवल प्रतिबन्ध लगाया जाए बल्कि बहुत भारी पेनल्टी भी ऐसी पार्टियों / नेताओं पर लगाईं जाए. साथ ही सत्ता धारी पार्टी पर तो ऐसी किसी भी चुनावी घोषणाओ का कोई अधिकार होना ही नहीं चाहिए.

माफी कहा तक उचित : चाहे कर्ज माफी हो या टैक्स की माफी, यह सब इमानदारो के साथ बेईमानी है तथा सरकार / नेता लोग ऐसी योजनाओं से कर्ज / टैक्स नहीं जमा कराने के लिए प्रेरित करते है तथा इमानादारो को बेईमानी करने के लिए प्रेरित करती है. अत: माफी ही सभी समस्यायों का इलाज नहीं है बल्कि सरकारे नीतियों की वजह से ही ऐसी समस्याए पैदा होती है, अराजनीतिक रास्तो से समस्यायों को सुलझाना चाहिए – सीए के.सी.मूंदड़ा

 

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