‘आधार’ सेवाओं से वंचित है ‘लेह-लद्दाख’
‘आधार’ धीरे-धीरे भारत के नागरिको के लिए महत्वपूर्ण व अनिवार्य दस्तावेज बन चुका है लेकिन अभी भी जम्मू-कश्मीर राज्य का ‘लेह-लद्दाख’ ‘आधार’ सेवाओं से मोटे-तोर पर वंचित है.
देश के कई राज्यों में छोटे-छोटे स्थानों पर अधिकृत स्थाई आधार केंद्र खोले गए है. कई राज्यों में इ-मित्र या इ-डिस्ट्रिक्ट आदि नामो से कई केंद्र खोले है जहा आधार की स्थाई या अस्थाई सेवाए मिल जाती है लेकिन इस मामले में ‘लेह-लद्दाख’ ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध ही नहीं है. पूरे जम्मू-कश्मीर में मात्र उधमपुर के एक आधार एनरोलमेंट सेण्टर है.
देश की सीमा पर स्थित ‘लेह-लद्दाख’ में एक जांच में मिले तथ्यों के अनुसार ‘आधार’ के लिए 4-6 महीनो में साल में एक-दो बार कैंप लगते है, उसके बाद वहा कि जनता आधार सेवाओं से वंचित रहती है. वहा की जनता ही नहीं बल्कि ‘लेह-लद्दाख’ में सेवारत देश के जवान (फोजी) भी आधार सेवाओं के लिए तरसते है.
‘नया आधार’ तो ‘आधार सेण्टर’ पर ही बनता है लेकिन स्थाई केन्द्रों के अभाव में आवश्यकता अनुसार सेवा नहीं मिल पाती है. जहा तक इ-आधार व आधार करेक्शन की ऑनलाइन सुविधा की बात है, वहा का आम नागरिक इन्टरनेट की सुविधाओं से वंचित है. न केवल इन्टरनेट की सुविधाओं से दूर है बल्कि मोबाइल कनेक्शन तक उपलब्ध नहीं है.
शेष भारत के विपरीत, ‘लेह-लद्दाख’ में मोबाइल के प्रीपेड कनेक्शन उपलब्ध ही नहीं है जिससे ऑनलाइन सेवा का उपयोग करना लगभग असंभव है. यही नहीं अधिकाँश ‘आधार’ धारको के मोबाइल नंबर आधार रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है जिससे ऑनलाइन सेवा का उपयोग वेसे भी संभव नहीं हो पाता. देश की सीमा पर ‘लेह-लद्दाख’ के नागरिक वेसे भी बहुत कठिन परिस्थितियों में अपना जीवनयापन करते है वेसे में यह ‘सरकारी सुविधा’ की ‘अव्यवस्था व दुविधा’ उन्हें अहसास कराती है कि भारत सरकार धरातल पर आम आदमी के लिए उपलब्ध नहीं है.