पूरे देश में होलसेल व्यापार रूक सा गया है, भारी मंदी का दौर – लेकिन क्यों?
पूरे देश में होलसेल व्यापार रूक सा गया है, भारी मंदी का दौर – लेकिन क्यों?
मोदी राज में एक बार फिर पूरे देश में होलसेल व्यापार रूक सा गया है. कई फेक्ट्रियो ने उत्पादन बंद कर दिया है या काफी कम कर दिया है. यह सिलसिला 2-3 महीने पहले ही चालू हो गया था लेकिन अब सब कुछ जबरदस्त ठहराव पर आ गया है. 2016 की नोट बंदी से तो व्यापार जगत अभी तक ढंग से उबर भी नहीं पाया था कि जीएसटी की भुल-भुलेया के संभावित परिणामो से घबराकर व्यापारियों ने नई खरीदी व उत्पादकों / फेक्ट्रियो ने नया उत्पादन बंद सा कर दिया.
ऐसा नहीं है कि अभी हाल यह सब कुछ जीएसटी की घबराहट में हो रहा है बल्कि एक साधारण व्यापारी भी नई संभावित जीएसटी टैक्स-रेट से अपने नुकसान को कम करने में लग गया है. बहुत कम आइटम ऐसे है जिनकी रेट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ हो, बल्कि अधिकाँश आइटम की रेट में बदलाव होने जा रहा है. जिस आइटम की रेट में जितना ज्यादा बदलाव होने वाला है, उस आइटम का नया व्यापार उतना जल्दी बंद होता जा रहा है. जीएसटी रेट दुधारी तलवार बन चुकी है.
जिन आइटम पर जीएसटी बढ़ने वाली है : जिन आइटम पर जीएसटी बढ़ने वाली है, उनका भी नया व्यापार घटने लगा है या बंद होने लगा है. जितना ज्यादा पुराना स्टॉक व्यापारी के पास रहेगा, १ जुलाई के बाद उस आइटम पर टैक्स की मार उतनी ही ज्यादा बढ़ जायेगी, जिससे व्यापारी एक तरफ अपना स्टॉक खाली करने में लगे है तो दूसरी ओर नई खरीदी बंद कर दी जिससे ऐसे आइटम के भाव घटाकर व्यापारी जेसे तेसे माल अपने गले से निकाल सके.
जिन आइटम पर जीएसटी कुछ घटने वाली है : जिन आइटम पर जीएसटी कुछ घटने वाली है, उनका भी नया व्यापार घटने लगा है या बंद होने लगा है. जितना ज्यादा पुराना स्टॉक व्यापारी के पास रहेगा, १ जुलाई के बाद उस आइटम पर भी टैक्स की मार बढ़ जायेगी क्योकि व्यापारी को स्टॉक पर लग चुके टैक्स में से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) पूरी नहीं मिलने वाली है. जिससे व्यापारी एक तरफ अपना स्टॉक खाली करने में लगे है तो दूसरी ओर नई खरीदी बंद कर दी जिससे ऐसे आइटम के भाव घटाकर व्यापारी जेसे तेसे माल अपने गले से निकालने में लग गया है.
जिन आइटम पर जीएसटी बहुत ज्यादा घटने वाली है : जिन आइटम पर जीएसटी बहुत ज्यादा घटने वाली है, उनका भी नया व्यापार घटने लगा है या बंद होने लगा है. जितना ज्यादा पुराना स्टॉक व्यापारी के पास रहेगा, १ जुलाई के बाद उस आइटम पर भी टैक्स की मार कम पड़ेगी जिससे व्यापारी को रिफंड तक मिल सकता है, जिससे व्यापारी ने ऐसे आइटम की बिक्री रोक दी है.
भारी मंदी का दौर : जीएसटी की रेट घट रही है या बढ़ रही है, दोनों ही स्थिति में व्यापारियों को कम या ज्यादा नुकसान होगा, अत: व्यापारी इंतज़ार की (Wait & Watch) की मुद्रा में जेसे तेसे स्टॉक घटाने में लगा है जिससे भयंकर मंदी आ चुकी है तथा ओर आने वाली है. जीएसटी लगभग १ जुलाई से नहीं लग पायेगा लेकिन सरकार यह तथ्य स्पष्ट नहीं कर रही है. इस सरकारी निष्क्रियता / लापरवाही से स्थिति बदतर होती जा रही है.
सीए के सी मुंदडा (कैलाश चंद्रा)