अजीब दास्ताँ है यह, कहा शुरू कहा ख़त्म, ये मंजिले है कौन सी, न वो समझ सके, न हम.
मोदी नोटबंदी – अजीब दास्ताँ है यह, कहा शुरू कहा ख़त्म, ये मंजिले है कौन सी, न वो समझ सके, न हम.
देश में प्रत्येक सरकारी क़ानून व कार्यवाही के पीछे कोई उद्देश्य निहित होता है और उसके परिणाम भी उसी अनुरूप पूरे या अधूरे दिखाई देते है लेकिन ठीक इसके उलट, मोदी नोटबंदी की दास्तान ही बड़ी अजीब है जो समझ में ही नहीं आ रही है कि यह शुरू कहा से हुई और कहा ख़त्म होने जा रही है. लगता है इस योजना व इसके उद्देश्यों को न तो अभी तक वो समझ पा रहे और न ही आम जनता.
इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले 08.11.2016 को रिज़र्व बैंक की घोषित मोदी नोटबंदी योजना के लिखित / घोषित उद्देश्यों की तरफ ध्यान देना उचित होगा. 500 व 1000 रूपये की मोदी नोटबंदी मात्र निम्न घोषित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गयी थी जिसमे इश्तेमाल भले ही रिज़र्व बैंक का किया गया हो लेकिन इसकी घोषणा स्वयं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने की, इसी कारण इसे मोदी नोटबंदी कहा जाता है :–
पहला उद्देश्य – जाली मुद्रा नोट (Fake Currency) को समाप्त करना.
दूसरा उद्देश्य – काला धन (अघोषित धन – Undeclared Black Wealth / Income) को समाप्त करना.
तीसरा उद्देश्य – मादक पदार्थो के अवैध व्यापार को समाप्त करना व
अंतिम उद्देश्य – आतंकवाद को समाप्त करना.
जेसा प्रतीत हो रहा है, मोदी जी की गणित / गणना के विपरीत भारी मात्रा में पुराने नोट जमा हो रहे है, यहाँ तक कि बड़ी मात्रा में नकली नोट भी बैंको में जमा हो रहे है, पुराना रोकड़ी काला धन नए 2000 के नोटों वाला का रोकड़ी कालेधन की शक्ल ले रहा है, सीमा पर आतंकवाद यथावत जारी है तथा मादक पदार्थो का अवैध व्यापार आम भारतीय नागरिक को (टीवी व अखबारों को छोड़कर) पहले भी नजर नहीं आ रहा था, तो फिर आखिर मोदी नोटबंदी पहुच कहा गई.
अब दुनिया की सबसे अनोखी, अजीब व लक्ष्य से भटकी नोटबंदी को सफल बनाने के लिए काम लिए जाने वाले रास्तो को ही इसके उद्देश्य बताये जाने लगे है. अब मोदी नोटबंदी के नए ज़ुबानी उद्देश्य मैदान में है जिसका मोदी नोटबंदी के वास्तविक उद्देश्यों से कोई लेना देना नहीं है.
अब मोदी नोटबंदी अपनी असफल समाप्ति की ओर है और अब 500 व 1000 रूपये की नोटबंदी के नए अलिखित उद्देश्यों (शगूफे) सरकार व उसके अंध-भक्तो द्वारा उछाले जा रहे है जिनकी सूची नीचे दी जा रही है –
- फिजूलखर्ची को कम करवाना.
- देश में से महंगाई को समाप्त करना.
- बैंको का NPA (डूबत) कम / समाप्त करना.
- नोटबंदी से देश में रोजगार का सृजन करना.
- गरीबी समाप्त करना व गरीबो की इज्जत बढ़ाना.
- 50 दिन के बाद भारत देश का काया पलट करना .
- 60 साल तक देश के लूटने वाले कालेधन वालो को सबक सिखाना.
- नोटबंदी की लाइन देश की अंतिम लाइन होगी, इसके बाद देश में से लाइन समाप्त करना.
- कैश-लेस का व्यापार करने वाले 2.00 करोड़ तक के टर्नओवर वाले छोटे व्यापारियों को आयकर की छुट देना.
- नोट बंदी योजना के कारण सरकारी सक्रियता से नए व पुराने नोट पकड़ / सीज कर काला धन समाप्त करना.
- कैश-लेस से खरीदी करने वाले को रोज लाटरी से 1.00 करोड़ का इनाम बांटकर देश से गरीबी समाप्त की जायेगी.
- जन-धन खातो में जमा अमीरों के काले धन के मालिक जन-धन खाते वाले बन जायेंगे जिससे गरीबी दूर हो जायेगी.
- कैश-लेस इंडिया (स्वयं वित मंत्री ने कहा कि नोट बंदी के पीछे कैश-लेस इंडिया भी एक उद्देश्य था तथा पी.एम मोदी ने तो कैशलेस के लिए एक कैशलेस भिखारी का उदाहरण तक दे डाला).
- असफल कठिन शर्तो वाली आयकर घोषणा योजना, 2016 में कालेधन को सफ़ेद करने से चुकने वालो आयकर चोरो को रियायती शर्तो पर 50% आयकर देकर सफ़ेद करने का मोका दिया जाएगा.
इस तरह से घोषित 4 उदेश्यों की अब कोई बात ही नहीं करता बल्कि हर रोज एक-दो नई बाते कीजाती है या नए नए शगूफे छोड़े जाते हैजिनका मोदी नोटबंदी से कोई लेना देना नहीं होता, अत: अंत में, एक बार यही गाना ही पड़ेगा ………
अजीब दास्ताँ है यह…, कहा शुरू कहा ख़त्म…,
ये मंजिले है कौन सी, न वो समझ सके, न हम.
लेखक : सीए. के. सी. मुंदड़ा