Thursday, March 9, 2017

भारत में काला-धन / दो-नंबर कम नहीं होगा , क्यों ? 

भारत में काला-धन / दो-नंबर कम नहीं होगा , क्यों ?

black-moneyजाहिर तोर पर नोटबंदी का एक उद्देश्य काले धन को समाप्त करना भी बताया गया था लेकिन कभी भी यह पता नहीं चल पायेगा कि कितना काला धन समाप्त हुआ. नोट-बंदी से पैदा हुई नकदी की समस्या के एक इलाज के रूप में सरकार ने डिजिटल लेनदेन व केशलेस पर सरकार ने खूब फोकस किया लेकिन कितनी मदद मिली, यह तो सब कुछ हमारे सामने है ?

नोट-बंदी के दोरान व ख़ास तोर से दिसंबर 2016  में नकदी की भारी किल्लत के चलते डिजिटल लेनदेन में काफी बढ़ोतरी देखी गयी थी लेकिन उम्मीद के विपरीत, जनवरी, 2017 में डिजिटल लेनदेन में काफी बढ़ोतरी की जगह उल्टा घट गया है. हकीकत यह है कि डिजिटल लेनदेन देश में प्रचलित तोर-तरीको व अशिक्षा, साधनों की कमी के चलते उतना लोक-प्रिय हो ही नहीं सकता.

एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. डिजिटल लेनदेन = केशलेस = एक नंबर.  जब लोगो को यह बात समझ में आई कि उनका हर डिजिटल लेनदेन / केशलेस व्यवहार (Transaction) कही न कही रिकॉर्ड हो रहा है तो लोगो ने डिजिटल लेनदेन / केशलेस से दूरी बनानी चालू कर दी. आम भारतीय रोकड़ लेन-देन में विश्वास करता रहा है तथा टैक्स की चोरी को कोई भी चोरी मानता ही नहीं, फिर भी, इतनी जल्दी डिजिटल लेनदेन / केशलेस में उतार आ जाएगा, इसकी उम्मीद भारत सरकार को कतई नहीं रही होगी. 

भारत सरकार की कार्य प्रणाली से स्पष्ट है कि वो सख्त कानून बनाकर व  डरा-धमाका कर काला धन / दो नंबर समाप्त कर देगी, तो सरकार बड़ी गलत-फहमी में है. इसमे कोई शंका नहीं है कि कुछ हद तक सख्त कानून बनाकर व  डरा-धमाका कर काला धन / दो नंबर कुछ समय के लिए थोड़ा सा कम हो सकता है. लेकिन हमारी सभी सरकारे मानती रही है कि जितना सख्त क़ानून होगा, टैक्स की चोरी और ज्यादा बढ़ेगी. टैक्स की चोरी को रोकने के लिए ही तो सरकारे टैक्स की दरे समय-समय पर कम करती रही है तथा कालेधन को सफ़ेद करने की योजनाये लाती रही है. भारत में इमानदार करदाता हमेशा घाटे में ही रहा है तथा कर-चोरी में एक्सपर्ट लोगो के हमेशा चांदी रही है.

मात्र सख्त कानून बनाकर व  डरा-धमाकाने  से या तो  कुछ व्यापार ही खत्म हो जायेंगे या फिर नए रास्ते खोजे जायेंगे और मिल भी जायेंगे. हकीकत  में वर्तमान कालाधन / दो नंबर रत्ती भर भी ख़त्म  नहीं  हुआ है और उसके सृजन को रोकने के लिए मात्र कुछ सख्त क़ानून बनाए गए है, जिससे काला धन / दो नंबर नजदीक भविष्य में तो कम नहीं होगा. पुलिस द्वारा कुछ नोट मिलने या नकली नोट पकडे जाने आदि घटनाये तो ‘ऊट’ समान काला धन / दो नंबर के सामने ‘जीरे’ से भी कम है और ऐसी  छोटी-मोटी घटनये तो इतने बड़े देश में तो रोज होती रहती है.

सारांशत: लिखना चाहूंगा कि मात्र सख्त कानून बनाकर व  डरा-धमाकाने  से काला धन / दो नंबर बढेगा ही, कम नहीं होगा.

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