न्यूटन का प्रतिपादित गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-23)
न्यूटन का प्रतिपादित गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-23)
हम पिछले कुछ भागो में वायु दाब ( Air Pressure) की शक्ति व उसकी कार्य प्रणाली के बारे में चर्चा कर रहे थे तथा आज का यह भाग भी भाग-22 से क्रमश: है –
14-किसी गुब्बारे में हवा भर कर उसके मुंह को बिना धागे से बांधे ही छोड़ दो। आप देखेंगें कि गुब्बारा हवा निकलने की विपरीत दिशा में तेजी से दौड़ने लगता हैं। यहाँ हवा गुब्बारे के सिकुड़ने से अपने आप निकलती हैं। यदि इसकी जगह कोई ऐसी वस्तु होती जो स्वतः सिकुड़ने वाली न हों तो उसकी हवा अपने आप नहीं निकलती, चाहे उसका मुँह खुला ही क्यों न हों।
15- आपने फाउंटेन पेन का उपयोग जरूर किया होगा। पहले चाइना का बना हुआ एक फाउन्टेन पेन आता था, जिसके अंदर रबर की ट्यूब लगी हुई आती थी। उस पेन में जब स्याही भरनी होती थी तब उस रबर की ट्यूब को दबा कर पेन का अगला हिस्सा स्याही की बोतल में डूबा देते थे। फिर हम ट्यूब पर से अपना दबाब हटा देते थे, जिससे स्याही स्वतः उस ट्यूब में आ जाती थी। यह भी वायु की कार्य प्रणाली का ही उदाहरण हैं।
16- डॉक्टर इंजेक्शन भरता हैं, तो किस तरह दवाई इंजेक्शन के लिवर के साथ खींची चली आती हैं, यह भी वायु दाब का ही करिश्मा हैं।
17-जब आप बहुत तेज गति से गाड़ी चला रहे होते हैं और अचानक ब्रेक लगाना पड़ जाय, तो दुर्घटना की सम्भावना ज्यादा रहती हैं, क्योंकि पीछे से हवा का दबाब आपकी गाड़ी पर तीव्र गति से पड़ेगा, जो कि आपकी गाड़ी को तेज धक्का मारेगा। इससे आप अपनी गाड़ी का नियन्त्रण खो सकते हैं। ऐसे में समझदार चालक दो याँ तीन बार ब्रेक लगाकर गाड़ी को रोकने की कोशिश करेगा। जिससे गाड़ी पर नियन्त्रण बना रहे, पर इसके लिए गाड़ी की स्पीड के अनुसार चालक को सतर्क व सावधान रहना पड़ता हैं, ताकि समय रहते निर्णय लिया जा सके।
18- हम वायुयान से छलांग लगाना चाहें तो किस चीज की जरूरत पड़ेगी? आप सभी जानते हैं कि उस समय पैराशूट की जरूरत पड़ती हैं। वो पैराशूट हमें सुरक्षित जमीन पर उतार देता हैं। क्या पैराशूट की मदद से हम गुरुत्त्वाकर्षण को कम करते हैं या वायु दाब का उपयोग कर हम गति पर नियन्त्रण करते हैं? निश्चित तौर पर हम वायु दाब का उपयोग कर गति पर नियन्त्रण करते हैं, जिससे सुरक्षित जमीन पर उतर सकें।
19- समुद्रों में युद्ध के लिए बनाये जाने वाले जंगी जहाजी बेड़ों पर वायु यान के उड़ने व उतरने हेतु रनवे भी बनाया हुआ होता हैं, परन्तु वायुयान की गति को देखते हुए वो रनवे काफी छोटे पड़ते हैं इसलिए वहाँ भी वायुयान की गति को नियन्त्रित करने हेतु पैराशूट की मदद ली जाती हैं, जो कि बेड़े में शामिल सभी वायुयानों में अनिवार्य रूप से लगा हुआ रहता हैं। यदि ऐसा न हों तो वायुयान का बेड़े से उडान भरना तो सम्भव हो सकता हैं, पर उतरना सम्भव नहीं हो सकता।
20-पहले ट्रेनों को भाप के इंजनों से चलाया जाता था। पानी को भाप में बदलने हेतु कोयले का उपयोग किया जाता था। भाप का इंजन वायु की ताकत व कार्य प्रणाली को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था।
वायु की शक्ति का अंदाज उसके रोद्र रूप को देखकर ही लगाया जा सकता हैं, जब तेज तूफानों में बड़े-बड़े पेड़ धराशायी होने लगते हैं। जब इमारतों पर लगे टीन शेड उड़ने लगते हैं। जब टीनशेड के नीचे लगी लोहे की कैंचियां भी प्लास्टिक की तरह तुड़-मुड़ जाती हैं। कई बार मोटर-कारें भी हवा की गति में उलट पुलट जाती हैं। इस प्रकार हमारी पृथ्वी पर अनेकों उदाहरण वायु दाब के प्रमाण में आपको मिल जायेंगें, परन्तु गरुत्त्वाकर्षण को सिद्ध करने वाला कोई एक भी उदाहरण आप इस धरती पर बता सकते हैं? यदि आपके पास ऐसा कोई प्रमाणिक उदाहरण हो तो कृपया इस लेख के नीचे अपने कमेंट के रूप में मुझे अवश्य लिखें।
शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा