Sunday, December 3, 2017

अव्यवस्थित जीएसटी में MRP व्यवस्था का ध्यान ही नहीं रखा गया – उपभोक्ता को नहीं मिल रहा लाभ !  

अव्यवस्थित जीएसटी में MRP व्यवस्था का ध्यान ही नहीं रखा गया – उपभोक्ता को नहीं मिल रहा लाभ !

 

गुजरात चुनावों को देखते हुए, नोट बंदी की तर्ज पर GST में भी लगातार भूल सुधार हो रहे है. ताजा परिवर्तन में कई 28% वाली विलासिता वाली वस्तुओ पर जीएसटी की रेट घटा कर 18% कर दी गयी.  इससे पूर्व भी कई बार जीएसटी की रेट में बदलाव किया गया है लेकिन एमआरपी पर वृध्दि या कमी का क्या और केसे असर होगा, इस पर सरकार की कोई बंधनकारी नीति है ही नहीं.

उपभोक्ता भगवान भरोसे :  सरकार भले ही घोषनाए करे या दबाव बनाने का प्रयास करने का नाटक करे लेकिन हकीकत में व जमीनी स्तर पर उसका कोई असर नहीं  दिखता जिससे उपभोक्ता भगवान यानिकी बाजार के भरोसे पर ही है. इसमे कोई शंका नहीं कि बड़े आइटम जेसे वाहन जिसमे एमआरपी होती ही नहीं, वहा पर अवश्य कुछ फायदा उपभोक्ता को मिल जाए लेकिन जन-साधारण उपभोक्ता को कोई फ़ायदा जीएसटी की रेट की कमी का नहीं मिलता है.

जीएसटी व्यवस्था में एमआरपी से जुड़े मामलों का मैकेनिज्म है ही नहीं : पूरे GST क़ानून में जीएसटी व्यवस्था में एमआरपी से जुड़े मामलों का मैकेनिज्म है ही नहीं. पूरे क़ानून में इस मामले का ध्यान ही नहीं रखा गया. जब भी सरकार की नींद खुलती है , वह जीएसटी की रेट में कमी का फ़ायदा पहुचाने का एक धमकी भरा statement दे देती है, फिर सरकार गायब.

जीएसटी कानून की अव्यवहारिक व्यवस्था के कारण व्यवहार में इस बीमारी का इलाज संभव ही नहीं है : इस मामले को एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिये एक वस्तु की एमआरपी 1000/- रूपये है जिस पर पहले 28% GST था. जब उपभोक्ता खरीदता है तो उसे दो तरह के बिल बाजार में मिलते है. एक व्यापारी (फुल GST वाला) माल की कीमत 781/-  +  GST (28%) रूपये 219/-  = रू. 1,000/- का बिल जारी करता लेकिन कम्पोजीशन वाला व्यापारी के बिल में माल की कीमत 1000/-  = रू. 1,000/- का ही बिल देगा. इस स्थिति में कम्पोजीशन वाला व्यापारी 1% फीस अपनी जेब से  भरेगा लेकिन दोनों ही स्थिति में सरकार का राजस्व एक समान नहीं रहेगा.

अब मान लीजिये सरकार ने GST की रेट घटाकर 18% कर दी और मान ले व्यापारी के पास 28% GST चुकाया हुआ माल बेचता है तो एक व्यापारी (फुल GST वाला) माल की कीमत 847/- +  GST (18%) रूपये 153/-  = रू. 1,000/- /- का बिल जारी करता लेकिन कम्पोजीशन वाला व्यापारी के बिल में माल की कीमत 1000/-  = रू. 1,000/- का ही बिल देगा. इस स्थिति में कम्पोजीशन वाला व्यापारी 1% फीस अपनी जेब से  भरेगा लेकिन पहली स्थिति में व्यापारी को रू. 66/- (219 – 153) का रिफंड या क्रेडिट मिलेगी.

इस गडबडी को रोकने का कोई तरीका है क्या : नया भारत द्वारा सुझाये गए सरलीकृत GST से यह समस्या ही नहीं रहेगी और कम से कम 80% व्यापारी GST से मुक्त हो जायेंगे

लेखक : कैलाश चंद्रा, अध्यक्ष, नया भारत पार्टी.

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