Thursday, August 24, 2017

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-39)  

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-39)

 

मने अभी तक विज्ञान द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में किये गए विकास कार्यों व अविष्कारों का उल्लेख करते हुए मानव समाज एवम् संसार को उनसे प्राप्त वास्तविक परिणामों पर चर्चा की हैं। इसके अंतर्गत हमने कुछ कड़ियों में पचास साठ वर्ष पूर्व की हमारी जीवनशैली का विवरण देते हुए बाद में विज्ञान के प्रवेश से जीवन में हो रहे बदलावों पर प्रकाश डाला।

मने बिमारियों, चिकित्सा विज्ञान, हमारी वर्तमान शारीरिक क्षमता में आये बदलाव,  परिवहन व यातायात में क्रांति, व विज्ञान युग से खेती में आये बदलाव आदि बाबत चर्चा की हैं। आज हम विज्ञान द्वारा संचार क्षेत्र में की गयी क्रांति बाबत विचार करते हैं। हले सन्देश के प्रचलित साधन में सन्देश वाहक के रूप में इंसान, पशु पक्षी (घोड़ा, बाज, कबूतर, श्वान आदि) का उपयोग होता था। कोई समय में टेलीपैथी का भी उपयोग होता था, लेकिन आज की पीढ़ी के सामने इस बात को समझाना कठिन होगा।

र्तमान विज्ञान के उदय के साथ ही संचार के क्षेत्र में उत्तरोत्तर क्रांति आने लगी। डाक सुविधा, टेलीग्राम, रेडियो, ट्रांजिस्टर, रिकॉर्ड प्लेयर, केसिट, टेपरिकार्ड, प्रिंटिंग मशीने, अख़बार, चलचित्र, टेलीफोन, टेलीविजन, कोडलेस फोन, फैक्स, पेजर, वायरलेस, मोबाईल, इंटरनेट, वाईफाई, ईमेल, आदि एक से बढ़कर एक सुविधा हमें विज्ञान द्वारा  उपलब्ध कराई गयी हैं। आज कोई भी विशेष खबर या सुचना कुछ ही मिनटों में पुरे विश्व में फैलाई अथवा पहुंचाई जा सकती हैं। यह विज्ञान की ही देन थी कि मोरवी (गुजरात) में अगस्त 1979 में बांध के टूट जाने से आई भयंकर बाढ़ से हम भारतीय अनजान थे, जबकि अमेरिका में इस आपदा को टेलीविजन पर लाइव दिखाया जा रहा था। हमें इसकी जानकारी हुई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

ह संचार क्रांति की ही देन थी कि पुरे विश्व में फैले हम हिंदुओं ने 22 साल पहले अपने देवताओं की मूर्तियों को एक ही दिन में दुग्धपान करा दिया था। यहाँ एक उदाहरण मोरवी में आई बाढ़ का हैं, जिससे यह स्पष्ट होता हैं कि हम यदि उस समय अमेरिका की तरह ही विज्ञान की इस उन्नत तकनीक से लेस होते तो शायद जनधन की हुई भारी क्षति से बच जाते। वहीं दूसरा उदाहरण दुग्धपान का हैं, जिससे स्पष्ट हो रहा हैं कि किस तरह से व किस गति से अफवाह फैलाई जा सकती हैं? किस प्रकार से लोगो को भ्रमित किया जा सकता हैं? जबकि उस समय तो मोबाइल, फेसबुक और व्हात्सप्प था ही नहीं.

संचार के साधनो में हुई इस प्रगति से, आज पूरा विश्व एक समुदाय की भाँति हो गया हैं। गूगल की नजर आज पुरे विश्व पर हैं। हम घर में बैठे बैठे पुरे विश्व का दर्शन टेलीविजन पर कर सकते हैं। व्यापार को भी विश्वव्यापी बनाने में संचार क्रांति का अहम व मुख्य योगदान रहा हैं। यह सब हमारे आधुनिक विज्ञान की देन हैं। इन अविष्कारों का उज्जवल पक्ष ही विज्ञान ने देखा या सोचा होगा, पर इसका साईड इफेक्ट विज्ञान द्वारा यहाँ पर भी नहीं सोचा गया। 

इन सब अविष्कारों की वास्तविक परिणीति क्या हुई?

इनका आज क्या वास्तविक उपयोग हो रहा हैं?

इस संचार क्रांति से मानव सभ्यता या संसार लाभान्वित हुआ अथवा पीड़ित हुआ?

न बातों पर भी हमें सोचना होगा। इसी से हमें पता चलेगा कि इन सबसे हम विकास की ओर बढ़ रहे है, अथवा विनाश की ओर—

ज इन साधनों के विकास से अपराधों में भारी बढ़ोतरी हुई हैं। आज टेलीविजन पर दिखाए जा रहे प्रोग्राम, धारावाहिक, फ़िल्में आदि से सीखकर लोग अपराध की दुनियां में प्रवेश करने लगे हैं। अब अपराध को सीखने के लिए किसी अपराधी का संग साथ आवश्यक नहीं रहा हैं। आपको घर बैठे ही अपराधों के तरीके व साधनो की जानकारी मिल जाती हैं। आज के समय में पकड़े जाने वाले अधिकांश अपराधी यही कहते मिलेंगें कि हमने यह अपराध की योजना अमुख फ़िल्म से सीखी थी या अमुख सीरियल से देखकर बनाई थी।

मोबाईल आने से व्यक्ति स्वकेंद्रित हो गया। पढ़ाई करने वाला विद्यार्थी अपने कमरे में क्या कर रहा हैं? इसका भी पता नहीं चल पाता। हर व्यक्ति मोबाईल के आने के बाद झूठ बोलना सीख गया। व्यक्ति के जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ गया, जिससे झूठ बोलना भी लोग अपनी मजबूरी बताने लगे हैं। फ़िल्में देखने को भी बुरा मानने वाला अपना समाज, आज पुरे परिवार के साथ टीवी पर फिल्में देख रहा हैं। अब तो हर रूम में टीवी लगने लगा हैं। हर हाथ में मोबाईल हैं। सोशल मिडिया पर अधिकांश झूठी व भ्रामक खबरें फैलाई जाती हैं।

शेष अगली कड़ी में—–

 

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