जर्मनी का तानाशाह हिटलर है भारत के कई राजनीतिक नेताओं का गुरू
जर्मनी का तानाशाह हिटलर है भारत के कई राजनीतिक नेताओं का गुरू
एक दिन जर्मनी का तानाशाह हिटलर एक मींटिग मे जिंदा मुर्गे के साथ पहुंचे। मीटिंग में मुर्गे को देख कर सभी चकित थे. मींटिग में कुछ समय बाद जाने के बाद तानाशाह हिटलर ने मुर्गे के पंखों को एक एक करके खींचना / तोड़ना शुरू कर दिया और इससे मुर्गे को रक्तस्राव शुरू हो गया. मुर्गे को बहुत पीड़ा होने लगी, लेकिन हिटलर ने अनजान बनते हुऐ उसके सभी पंखों को नोच दिया और उसे नंगा कर ज़मीन पर छोड़ दिया और फिर कुछ अनाज के दाने अपनी जेब से निकाले और मुर्गे के आगे फेंक दिऐ.
मुर्गा अपना दर्द भूल अन्नाज के दाने खाने में व्यस्त हो गया. मुर्गें ने अपना भोजन खत्म किया और फिर तानाशाह के पैरों के पास बैठ गया. फिर उसने कुछ और अनाज के दाने फैंक दिए, फिर मुर्गे ने दानो को खाया. अब तानाशाह उठकर चलने लगा तो मुर्गा भी उसके पीछे-पीछे चलने लगा. फिर हिटलर ने मीटिंग में उपास्थित सभी सभासदों को सदस्यों को बताया कि आम जनता भी इस मुर्गे की तरह हैं, इन्हें असहाय और अति असहाय बनाऐं.
जनता को जितना हो सके आतंकित करें. जनता को बेबस और लचार हालत मे छोड़ दें. जब ये लोग असहाय और लाचार व बेबस हो जाते हैं तो इनके आगे एक-एक टुकड़ा खाने के लिए डालते रहे ताकि वे जीवन भर के लिए आपके दास बन जाऐंगे. आपके अत्याचारों को भूल जाएंगे और आप भी खुश होंगे.
यह कहानी हमें facebook से मिली है. इसे प्रकाशित करने वाले मित्र को बहुत धन्यवाद. भारत के कई राजनेता तो इस मामले में न केवल हिटलर तानाशाह के शिष्य है बल्कि’ गुरू गुड रह गया चेला शक्कर हो गया’ कहावत को चरितार्थ करते हुए, हिटलर से काफी आगे है .
हिटलर की जर्मनी में तो तानाशाही थी और तानाशाही मे ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन हिन्दुस्तान में तो प्रजातंत्र है, भारते के कई नेता तो प्रजातंत्र में भी ऐसा ही करते है. वैसे भी, आजकल के कई राजनेता जनता को बाँट कर ऐसा ही कर रहे हैं. लेकिन ध्यान होना चाहिए कि किसी भी तरह का तुष्टिकरण वस्तुतः उपरोक्त घटना का प्रथम चरण है ।
वेसे भी यह कहानी कुछ नई बात है बल्कि एक राजनीतिक फोर्मुले की तरफ हमारा खींचती है. भारत में रोजमर्रा की जिन्दगी में राजनेता इस फोर्मुले का इश्तेमाल करते रहते है.