Wednesday, September 27, 2017

जीएसटी (GST) से सरकारी ठेकेदार (Civil Contractors) बर्बादी के कगार पर – कई विकास कार्य रुके (Development Held Up).  

जीएसटी (GST) से सरकारी ठेकेदार (Civil Contractors) बर्बादी के कगार पर – कई विकास कार्य रुके (Development Held Up).

 

बेचारे असहाय सिविल ठेकेदारों की भी सेकड़ो  मिन्नतो का हमारी लोकप्रिय बाहुबली सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. हजारो ठेकेदार जीएसटी की अव्यवस्था के कारण बेरोजगार हो रखे है और बर्बादी के कगार पर है. इतने बुरे हालातो के चलते भी डरा-सहमा हुआ ठेकेदार सरकार से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.

आज ही एक नगरपालिका के सिविल ठेकेदारों ने ठेकों का बहिष्कार कर दिया. जिसका कारण  जीएसटी की विसंगतिया और इससे होने वाला नुकसान है. नगरपालिका स्तर के ठेकेदार बहुत छोटे ठेकेदार होते है. इन हालातो में जहा एक तरफ ठेकेदारी जगत में मातम छाया हुआ तो दूसरे ओर उनकी सुनने वाला कोई नहीं.

पुराने ठेकों पर जीएसटी की भरपाई विभाग / नगरपालिकाए  नहीं कर रही है :  कई ठेके 30 जून, 2017  यानिकी जीएसटी से पहले हो गए थे. कुछ ठेकों का काम तो 30 जून से पहले ही पूरा हो गया था लेकिन बिल 30 जून के बाद बना. कुछ ठेकों का काम ही बाद में प्रारम्भ हुआ. दोनों स्थिति में विभाग / नगरपालिकाए  स्वयं जीएसटी  देने को तेयार नहीं है बल्कि उसे ठेकेदार स्वयं द्वारा भरने के लिए दबाव डाल रहे है. जीएसटी  की टैक्स रेट भी 12% व 18% है. इतनी उच्ची रेट पर जीएसटी  अपनी जेब से भरना किसी भी ठेकेदार की बर्बादी का ही रास्ता है. किसी भी ठेकेदार के यह समझ में नहीं आ रहा है कि जीएसटी में उनकी गलती कहा है.

ठेकों पर जीएसटी का टीडीएस  भी बना आफत :  जीएसटी  में ठेकों पर टीडीएस  की व्यवस्था की गयी है लेकिन ऐसे पुराने ठेकों पर भी टीडीएस काटा जा रहा है. पूरी ठेका राशि पर TDS काटा जा रहा है लेकिन जीएसटी ठेकेदार को ही भरना. ऐसी स्थिति में उसका टीडीएस भी ज्यादा काटा जा रहा है. उद्दाहरण के लिए 1,00,000/- का ठेका था जिस पर 18 % जीएसटी देय है. यदि ठेकेदार अपनी जेब से 18% जीएसटी  भरता है तो उसका ठेका तो 82,000/- (रू. 1,00,000/- – 18,000/-) का ही रह गया जबकि टीडीएस पूरे 1,00,000/- पर काटा जा रहा है.

ठेकेदार जीएसटी  रिटर्न ही नहीं भर पा रहे है : जीएसटी  पोर्टल के कष्ट अपनी जगह है लेकिन परेशानी यह हो रखी है कि कई नगरपालिकाओं व सरकारी विभागों का जीएसटी का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया है तथा GST पोर्टल पर जीएसटी  संबंधी व्यवस्थाये व्यवथाये उपलब्ध ही नहीं है, जिससे ठेकेदारों को टीडीएस की क्रेडिट ही नहीं मिल पा रही है जिससे वो अपना रिटर्न ही नहीं भर पा रहे है. रिटर्न नहीं भर पाने या लेट भरने की पेनल्टी रू. 200/- प्रतिदिन भी ठेकेदार को ही भरनी है जिसमे उसकी कोई गलती नहीं है.

विकास कार्य हो जायेंगे बंद : कुछ स्थानों पर ठेकों का बहिष्कार होना चालू हो चुका है और यही हालात रही तो कई जगह ठेकेदारी की व्यवस्था बंद हो जायेगी जिससे सारे विकास कार्य ही रूक गए है और रूक जायेंगे. लेकिन सरकार है कि न केवल मूक दर्शक है बल्कि  दादागिरी से पेनल्टी वसूलने में लगी है वो भी बिना ठेकेदार की गलती के.

लगता है देश ऐसे ही विकास करेगा.

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