तीन लाख फर्जी कंपनियों को बंद कराने का कालाधन (Black Money) व नोटबंदी (Demonetization) से कोई सम्बन्ध ही नहीं है – अध्यक्ष, नया भारत पार्टी NBP
तीन लाख फर्जी कंपनियों को बंद कराने का कालाधन (Black Money) व नोटबंदी (Demonetization) से कोई सम्बन्ध ही नहीं है – अध्यक्ष, नया भारत पार्टी (Naya Bharat Party -NBP)
कल 30 जनवरी, 2019 को ही माननीय प्रधानमंत्री जी ने सुरत में युवाओं के एक कार्यक्रम में पुन: कहा कि नोट बंदी (Demonetization) के बाद उनकी सरकार ने ‘तीन लाख फर्जी कंपनियों (Fake Companies)’ के ताले लगवा दिए. यह कुछ महाभारत के ‘अश्वथामा’ प्रसंग जेसा ही सत्य-असत्य है. सच्चाई इसमें सिर्फ इतनी ही है कि लगभग तीन लाख ‘निष्क्रिय (Dormant / Non-functioning) कंपनियों’ का पंजीयन (Company Registration) रद्द कर दिया गया था और संयोग से इस कार्यवाही की तारीख / तारीखे नोटबंदी के बाद की है.
इससे पूर्व ‘तीन लाख फर्जी कंपनियों को बंद कराने’ की कार्यवाही को काले-धन के विरूद्ध एक बड़ी कार्यवाही बता कर वाही-वाही लेने और उपलब्धि के रूप में बताने का प्रयास किया जाता रहा है जबकि इन ‘निष्क्रिय (Dormant / Non-functioning Companies) कंपनियों’ का काले-धन से कोई लेना देना ही नहीं था और न ही ऐसी किसी भी कम्पनी के विरूद्ध कालेधन को लेकर एक भी कार्यवाही हुई.
ऐसी ‘निष्क्रिय (Dormant / Non-functioning companies) कंपनियों’ को फर्जी कहना बिकुल ही गलत है. और यदि ये कंपनिया फर्जी थी तो इनकी खिलाफ कानूनी दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की और उल्टा उन्हें माफी क्यों दे दी गयी ?
प्रशासनिक रूप से पहले भी ऐसी ‘निष्क्रिय (Dormant / Non functioning) कंपनियों’ का रजिस्ट्रेशन रद्द (Deregister) करने का मौका कम्पनी प्रबंधको को दिया जाता था जिसमे सरकार ने समझोता राशिया (Compound Amounts) भी वसूली तथा कंपनी प्रबंधको से कम्पनी के संभावित वितीय दायित्वो के लिए शपथ-पत्र भी लिए. ऐसा करने से सरकार को अच्छी मात्रा में आय भी हुई.
लेकिन मोदी सरकार ने बिना एक रूपये की पेनेल्टी या समझोता राशि (Compound Amount) वसूल किये लगभग 3 लाख ‘निष्क्रिय (Dormant / Non-functioning) कंपनियों’ का रजिस्ट्रेशन ख़त्म कर दिया था जिससे पेनेल्टी या समझोता राशि (Compound Amount) से होने वाली अरबो रूपये की आय का सरकार को नुकसान भुगतना पडा. फिर भी एक बात अवश्य है कि नए कम्पनी कानून में यह सरलीकरण का एक अच्छा प्रावधान है.
सच्चाई तो यह है कि नए कम्पनी कानून, 2013 के अनुसार लगातार 3 साल तक जो भी कंपनिया ‘‘निष्क्रिय (Dormant / Non-functioning)’ रहेगी, उनका रजिस्ट्रेशन ख़त्म हो जाएगा और क़ानून के तहत ही ऐसी लगभग 3 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन ख़त्म किया गया जिसका कालेधन (Black Money) और नोटबंदी का कोई लेना देना ही नहीं था.