Wednesday, August 21, 2019

आदर्श क्रेडिट कोपरेटिव सोसाइटी (Adarsh Credit Cooperative Society – Accsl) द्वारा 43% कमीशन सिर्फ मोदी परिवार को – 4 लाख लोगो को रोजगार (Employment) का झूठा दावा – अध्यक्ष, नया भारत पार्टी (President Naya Bharat Party)  

आदर्श क्रेडिट कोपरेटिव सोसाइटी (Adarsh Credit Cooperative Society – Accsl) द्वारा 43% कमीशन सिर्फ मोदी परिवार को – 4 लाख लोगो को रोजगार (Employment) का झूठा दावा – अध्यक्ष, नया भारत पार्टी (President Naya Bharat Party)

 

आदर्श-मोदी घोटाले (Adarsh-modi Scam) की परते धीरे-धीरे खुल रही है. अपने गलत कारनामो को छिपाने के लिए सोसाइटी के पूर्व प्रबंध द्वारा सोसाइटी द्वारा रोजगार, यह दावा कर रही है कि आदर्श सोसाइटी से 4 लाख एजेंट्स को रोजगार (Employment to 4 Lacs Youth) मिला हुआ है और सोसाइटी के बंद हो जाने से 4 लाख लोग बेरोजगार (Unemployment) हो जायेंगे, लेकिन सोसाइटी पूर्व प्रबंध का यह दावा एकदम गलत व झूठ है.

20 लाख निवेशक (20 Lacs Investors) और 4 लाख एजेंट (4 Lacs Agent) : अर्थात औसतन हर 5 निवेशक पर 4 एजेंट. मात्र 5 निवेशक से कितना कमीशन (Commission) पाकर किसी को स्थाई रोजगार (Permanent Employment) मिल सकता ? और तो ओर कुल 800+ शाखाओं (800+ Branches) का दावा यानिकी प्रत्येक शाखा में औसतन 500 एजेंट (Agent), जो कि असंभव है. हमारा दावा है कि इस सोसाइटी (Society) की एक भी ऐसी शाखा नहीं है जिसमे 500 एजेंट है. ये आंकड़े बताते व सत्यापित (Figures Certify) करते है कि सोसाइटी का पूर्व प्रबंध कितना झूठ व अफवाह फेला रहा है.

सच्चाई क्या है (What is Truth) : सच्चाई यह है कि आदर्श सोसाइटी (Adarsh Society) ने अधिकांश निवेशको को खुद या उनके परिजनों ( Family Members of Agents) को कागजी एजेंट (Fake Agents) बना रखा है जिससे कमीशन के नाम पर और बहुत भारी ब्याज (Commission in Lieu of Interest) दिया जाना दिखा कर ज्यादा से ज्यादा निवेशको को फंसाए (Trap Investors) जा सके. इन तथाकथित 4 लाख एजेंट्स में से अधिकाँश तो स्वयं निवेशक या उनके परिजन ही एजेंट है. पक्का आंकड़ा तो नहीं है लेकिन एक अनुमान के अनुसार इन तथाकथित 4 लाख एजेंट्स में से 75% से ज्यादा ऐसे ही कागजी एजेंट्स है और ऐसे एजेंट्स का भी मूल, ब्याज और कमीशन ( Principal, Interest and Commission) सभी कुछ इस सोसाइटी में फंसा (Trapped in Society) हुआ है.

चौकाने वाला तथ्य – 43% कमीशन सिर्फ मोदी परिवार (43% Commission to Modi Family only) के एक एजेंट को : 4 लाख एजेंट्स की बात को यदि सही भी मान ले तो भी फर्जी वादे (False Promise) को साबित करने वाला एक रोचक सत्यापित तथ्य आपके सामने रख रहे है. वर्ष (Year) 2017-18 में इन तथाकथित 4 लाख एजेंट्स को ऑडिट रिपोर्ट (Audit Report) के अनुसार कुल 950.49 करोड़ के कमीशन का भुगतान दर्शाया गया है, उसमे से एक अकेले एजेंट M/s महावीर इंटरप्राइजेज (M/s Mahaveer Enterprises) को 406.68 करोड़ के कमीशन का भुगतान किया गया यानिकी अकेले महावीर इंटरप्राइजेज को पूरी सोसाइटी के कमीशन का 42.79% कमीशन दिया गया, तो फिर वास्तविक बेरोजगारों को क्या मिला ?

यही नहीं, मोदी परिवार की भागीदारी फर्म (Partnership of Modi Family) M/s महावीर इंटरप्राइजेज सहित टॉप 200 एजेंट्स – Top 200 Agents (जिसमे से कई बेनामी भी हो सकते है – Many may be Benami) को कुल 509.73 करोड़ के कमीशन का भुगतान किया गया जो कुल कमीशन का 53.62% होता है. अर्थात लगभग 399800 (यदि 4 लाख एजेंट्स मानते है तो) एजेंट्स को कुल 440.76 करोड़ कमीशन दिया गया जो प्रति एजेंट औसतन रू. 11,025/- एक साल का कमीशन यानिकी प्रति माह रू. 919/- कमीशन. यह केसा रोजगार है ? हमें यह भी शंका है कि रू. 950.49 करोड़ के कमीशन में सोसाइटी के कर्मचारियों ( Employees of Society) को दिया गया कमीशन भी शामिल हो सकता है और यदि ऐसा है तो ऊपर गणना किया गया प्रति माह रू. 919/- कमीशन का औसत (Average Rs. 919/- Commission per month) काफी कम हो सकता है.

सदस्यों के साथ ही व्यापार तो एजेंट्स कहा से आये (कानूनी स्थिति) – Agents Between Members and Society : मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज एक्ट ( Multi State Cooperative Societies Act) के प्रावधानों के अनुसार ऐसी सोसाइटी सहकारिता  प्रिंसिपल्स ( Cooperative Principles) के साथ अपने सदस्यों के साथ ही व्यापार / लेनदेन कर सकती है और जब सदस्यों के साथ ही व्यापार करना है तो सोसाइटी व सदस्य के बीच एजेंट केसे हो सकता है क्योकि सदस्य अपनी सोसाइटी को भी जानता है और सोसाइटी की योजनाओं को भी लेकिन भोले-भाले नोजवानो (Innocent Youth) को इस काम में फंसाया गया. हमारी राय में तो सोसाइटी और उसके सदस्य के साथ एजेंट के माध्यम से व्यापार में दिया जाने वाला कमीशन भी गेर-कानूनी (Unlawful Commission) है.

क्या गेर-कानूनी काम रोजगार का कानूनी माध्यम हो सकता है (Employment for Illegal Activities) : सोसाइटी के प्रबंध की तो बात छोडिये, कई एजेंट व निवेशक भी सोचते है की इस सोसाइटी ने लाखो लोगो को रोजगार (Employment) दिया है. यदि एक हथियारो के फर्जी लाइसेंस (Fake Pistol License) दिलाने वाला गिरोह का मुखिया (Leader of Fake Pistol License Gang) इस काम में मदद के लिए कई अनजान लोगो (Innocent Persons) को एजेंट नियुक्त कर रोजगार देता है तो क्या रोजगार के नाम पर हथियोरो के फर्जी लाइसेंस की दलाली का धंधा क़ानून सम्मत हो जाएगा, भले ही उन एजेंट्स को पता भी नहीं है कि वो किसी गेर-कानूनी काम में शामिल हो गए है.

आदर्श क्रडिट सोसाइटी (Adarsh Credit Society) सरकारी संरक्षण के अधीन सहकारिता  प्रिंसिपल्स का बेहिसाब उल्लघन (Violations of Cooperative Principles) किया और क़ानून-कायदों को ताक पर रख कर क़ानून के विरूद्ध गतिविधिया चलाती रही और उन गलत कामो के लिए रोजगार व कमीशन (Employment and Commission for Wrongful Acts) के बहाने कुछ युवाओं को फंसा कर रोजगार दिया लेकिन यह रोजगार का क़ानून सम्मत साधन नहीं हो सकता था. बेरोजगारो से भरे इस देश में ऐसे युवाओं का ऐसे घोटालो में अनजाने में सहयोगी बनाना फंसना कोई बड़ी बात नहीं बल्कि आम बात है.

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