राजस्थान वाणिज्य कर विभाग की भ्रष्ट ऑनलाइन व्यवस्था से दुखी है पूरा देश
राजस्थान सरकार ने अपने आप को आधुनिक व तकनीक के मामले में अग्रणी व दक्ष दिखाने के होड़ में वाणिज्य कर विभाग की लगभग सभी गतिविधिया ऑनलाइन कर दी है लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान वाणिज्य कर विभाग की भ्रष्ट ऑनलाइन व्यवस्था से पूरा देश दुखी व परेशान है तथा कई मामलो में तो ऑनलाइन नाम मात्र का ही है.
बिकी कर (वेट) के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए यानिकी टिन नंबर लेने लिए आवेदन ऑनलाइन लगाना अनिवार्य है लेकिन हर तरह से पूर्ण ऑनलाइन आवेदन के बावजूद, टिन नंबर नहीं मिलेगा / रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. रजिस्ट्रेशन तभी होगा जब आवेदक या उसका प्रतिनिधि आवेदन व सभी दस्तावेज की हार्ड कॉपी विभाग में जाकर जमा कराएगा. यानिकी ऑनलाइन आवेदन नाम मात्र का है तथा व्यापारियों को कई गुना बेगार करनी पड़ती है तथा विभाग का चक्कर लगाना ही पड़ता है. वेट से बहुत बड़ा कंपनी रजिस्ट्रेशन का शतप्रतिशत ऑनलाइन होता है लेकिन राजस्थान में वेट रजिस्ट्रेशन आज भी विभाग में हाजरी के बाद ही होता है. हालाकि एक व्यवस्था यह दी गयी है कि यदि ऑनलाइन एप्लीकेशन DSC से लगाई जाये तो ऑफलाइन दस्तावेज नहीं देने पड़ेंगे यानिकी रु. 1000/- से रू. 1500/- का डीएससी का खर्चा ओर करना पडेगा.
वाणिज्य कर विभाग से किसी भी तरह का घोषणा पत्र लेना हो तो उसके लिए पुन: ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा लेकिन रजिस्ट्रेशन होने की कोई गारंटी नहीं है. इस रजिस्ट्रेशन के लिए भी व्यापारी को विभाग का चक्कर लगाना पड़ सकता है. और रजिस्ट्रेशन होने के बाद कोई व्यापारी राज्य के बाहर से आयात करने के लिए फॉर्म-47 या राज्य के बाहर निर्यात करने के लिए फॉर्म-49 के लिए आवेदन करता है तो कितने घंटो में फॉर्म मिलेंगे यह उस समय की वेबसाइट की स्पीड पर निर्भर करेगा.
यदि किसी को सी-फॉर्म लेना हो तो व्यापारी को ऑनलाइन आवेदन करना होगा लेकिन राजस्थान सरकार का कंप्यूटर ऐसी ऐसी बेतुकी लॉजिक लगाकर सी-फॉर्म अटका देगा जिसका व्यापारी से कोई सम्बन्ध ही नहीं होता है. जिससे अंतर्राजीय व्यापार करने वाले व्यापारियों को समय पर / हाथो-हाथ सी-फॉर्म नहीं मिलता. हालाकि चिंता की बात नहीं है क्योकि विभाग में व्यापारी की ऑफलाइन हाजरी लगाने के बाद उसको ऑनलाइन सी-फॉर्म मिल जाता है. सोचिये, यह केसी ऑनलाइन व्यवस्था है.
यदि व्यापारी को उसके विरुद्ध कायम की गयी मांगो के विरुद्ध स्टे एप्लीकेशन लगानी हो तो ऑनलाइन ही लगानी होगी लेकिन जब ऑनलाइन स्टे एप्लीकेशन लगाने जायेंगे तो ऑनलाइन फॉर्म ही नजर नहीं आयेगा. ऑनलाइन फॉर्म के आभाव में यदि व्यापारी ने स्टे एप्लीकेशन हार्ड कॉपी में लगा दी तो विभाग का दया भाव देखे, वो स्टे एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर देगा.
सरकार ने ‘व्यापारी के द्वार पर ऑडिट’ की व्यस्था की है जिसका चयन कमिश्नर स्तर पर होता है लेकिन वेबसाइट पर कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जाता है बल्कि ‘व्यापारी के द्वार पर ऑडिट’ की व्यस्था के नाम पर भ्रष्टाचार का नया व सटीक रास्ता विभाग ने पैदा कर लिया है.
ये तो कुछ उदाहरण है मात्र है, ऐसी कई तकलीफों से भरी पडी है राजस्थान सरकार की यह ऑनलाइन व्यवस्था. हकीकत में राजस्थान सरकार की यह वेबसाइट भले ही टी.सी.एस. ने बनाई हो, यह एक बेहद घटिया वेबसाइट है जिसके फीचर को बिना टेस्टिंग के ही व्यापारियों पर थोप दिया जाता है. यही नहीं यह वेबसाइट यूजर फ्रेंडली तो है ही नहीं. चलते चलते यह सरकारी वेबसाइट थोड़ा सा लोड बढ़ते ही बंद हो जाती है या धीरे हो जाती है. कुल मिलाकर बहुत ही दुखियारी है राजस्थान सरकार की यह अधूरी ऑनलाइन व्यवस्था जिससे भ्रष्टाचार पर भी नियंत्रण संभव ही नहीं है बल्कि कुछ मामलो में तो भ्रष्टाचार ओर ज्यादा बढ़ गया है. यह व्यवस्थागत स्थिति सिर्फ सुमेरपुर की नहीं है बल्कि पूरे राजस्थान की है. – सुमेरपुर | Sumerpur | पाली | Pali | राजस्थान | Rajasthan से विजय सिंह राठोड़ / Vijai Singh Rathod.