Sunday, September 24, 2017

हमेशा की तरह जापान पुरानी तकनीक व माल (बुलट ट्रेन) ही भारत को बेच रहा है ?  

हमेशा की तरह जापान पुरानी तकनीक व माल (बुलेट ट्रेन) ही भारत को बेच रहा है ?

 

जापान एक विकसित राष्ट्र होने के साथ बहुत चतुर देश है. जो भी टेक्नोलॉजी व माल जापान के हिसाब से पुराना हो जाता है, जापान दूसरे देश को बेच देता है. आज दिन तक हिन्दुस्तान में पुरानी तकनीक व पुराना माल ही रंग-रोगन करके बेचा है. यही जापान का इतिहास रहा है. पूरा हिन्दुस्तान जानता है, हिन्दुस्तान को लेटेस्ट तकनीक कोई नहीं बेचता. हमारे पास हर तकनीक देरी से आती है, हमें वो ही माल मिलता है जो विकसित राष्ट्रों में भ्रंगार (Scrap) हो चुका है या होने वाला है.

कई चीजे / प्रोडक्ट / प्लांट तो ऐसे होते है जो विकसित देशो में प्रतिबंधित है, उन्हें भी भारत को बेच दिया जाता है. फोटोग्राफी व फोटोकोपिएर्स की सारी मशीने तो जापान से पुरानी या बंद टेक्नोलॉजी की ही भारत को एक्सपोर्ट होती है. यह भी एक वर्तमान व स्वीकार्य  सत्य है.

अहमदाबद से मुंबई के बीच चलाई जाने वाली बुलेट ट्रेन का शिलान्यास हुआ है. इसी परिद्रश्य में आजकल मारुती भी पुन: चर्चा में है. समर्थक विशेषग्य लोग यह बताते है कि केसे मारूति का उस समय विरोध हुआ और आज वो देश की सबसे प्रमुख कंपनी है लेकिन यह बात नहीं बताई जातीहै  कि उस समय मारुती को पूर्ण संरक्षण प्राप्त था और कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी. लेकिन बहुत कम लोगो को मालूम है कि जब हिन्दुस्तान को Maruti Suzuki -800 जापान द्वारा निर्यात करके दी जा रही थी, तब वह कार जापान के बाजार से बाहर हो चुकी थी और उसका सारा पुराना स्टॉक तथा पुरानी तकनीक भारत को दी, जिसे हम सराह रहे है, यह ही तो हमारा संतोष है और विकास का तरीका भी.

यही हाल बुलेट ट्रेन के मामले में होने वाला है. जापान 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार की ट्रेन टेस्ट कर चुका है और उसकी  Maglev Train ने अप्रेल, 2015 में ही 603 किलोमीटर प्रतिघंटा से ट्रेन दोड़ा कर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. जापान को अपनी 300-350 की हाई स्पीड की जगह 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार वाली Maglev Train चलानी है, जिससे उसकी पुरानी टेक्नोलॉजी व डिब्बे भ्रंगार (Scrap) हो जायेंगे.

कुछ ही वर्षो में जापान में भ्रंगार (Scrap) होने वाली 300-350 की हाई स्पीड की trains , भारत 1 लाख करोड़ में खरीद कर अपने आप को धन्य समझ रहा है, यही तो जापान का खेल है. हमारे देश को तो इसी में संतोष है. कोई पूछने वाला नहीं है कि अभी-अभी चीन में Wuhan-Guangzhou बुलेट ट्रेन / लाइन 1.80 करोड़ डॉलर प्रति किलोमीटर से बनाई है तो हम जापान से 3.30 करोड़ डॉलर  प्रति किलोमीटर वाली पुरानी ट्रेन क्यों खरीद रहे ?

हकीकत में जापान भारत को सदेव अपना हितेषी मानता आया है क्योकि जापान का सारा भ्रंगार (Scrap) अच्छी कीमत में भारत ही खरीदता है, अन्यथा जापान इस भ्रंगार (Scrap) रखेगा कहां. वेसे भी वहा की हटाई गयी ट्रेन भारत में वापिस assemble हो जाने से देश का Make In India का सपना भी पूरा हो जाएगा और हम अपने पड़ोसियों को दिखा पायेंगे कि भारत की गरीब जनता की यात्रा के लिए भारत के पास बुलेट ट्रेन भी है. भारत में बुलेट ट्रेन को देख-देख कर हमारी पुरानी ट्रेन शर्म से एक्सीडेंट करना भी बंद कर देगी तथा कुछ दिनों तक नोटबंदी व GST का दर्द भी याद नहीं आयेगा.

Related Post

Add a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जीएसटी (GST) से सरकारी ठेकेदार (Civil Contractors) बर्बादी के कगार पर – कई विकास कार�...

जीएसटी (GST) से सरकारी ठेकेदार (Civil Contractors) बर्बादी के कगार पर – कई विकास कार्य रुके (Development Held Up).   बेचारे असहाय सिविल ठेकेदारों ...

SiteLock