आयकर सर्वे में नकदी (रोकड़) रू.10 लाख से कम ही क्यों मिलती है ?
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यह एक आयकर विभाग का बड़ा ही रोचक तथ्य तथा सर्वविदित सत्य है कि पूरे भारत में प्रत्येक आयकर सर्वे में रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) से कम ही मिलती है. अब यह जानना ज्यादा रूचिकर होगा कि आयकर सर्वे में नकदी (रोकड़) रू.10 लाख से कम ही क्यों मिलती है ?
आयकर विभाग में प्रचलित प्रैक्टिस व स्थापित इतिहास के अनुसार, पिछले 5 वर्ष तथा खासतोर पर 30.09.2014 के बाद आपको कोई आयकर सर्वे का कोई अपवाद स्वरुप ही उद्दाहरण मिलेगा जिसमें रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) या ज्यादा मिली हो. आयकर विभाग के इस अखिल भारतीय षडयंत्र युक्त घोटाले के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड का निर्देश दिनांकित 30.09.2014 जवाबदार है जिसकी प्रतिलिपि यहाँ इस रिपोर्ट के साथ नीचे दी जा रही है. इस निर्देश के अनुसार यदि आयकर सर्वे में रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) या ज्यादा मिलती है तो उस सर्वे को अनिवार्य रूप से सर्च (रेड) में बदलना होता है . साथ ही यदि किसी भी सर्वे को सर्च में बदला जाता है तो पूरा केस, उसका क्षेत्राधिकार व यश (क्रेडिट) नियमित आयकर अधिकारियों से आयकर विभाग की इन्वेस्टीगेशन विंग के पास से चला जाता है.
30.09.2014 के पहले भी, यह नियम अस्तित्व में था लेकिन केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से नीचे के स्तर पर. करदाता का नियमित, आयकर अधिकारी बड़ी मेहनत से सर्वे का केस तेयार करता है, अत: वह तथा उसके तत्काल उच्च अधिकारी कभी नहीं चाहेंगे कि सर्वे पूरा केस, उसका क्षेत्राधिकार व यश (क्रेडिट) इन्वेस्टीगेशन विंग के पास चला जाए. जाता है. अत: सर्वे केस, उसका क्षेत्राधिकार व यश (क्रेडिट) को बचाने के लिए, सर्वे में रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) से कम दिखा कर केस को ट्रान्सफर होने से रोका जाता है. इसके ठीक उलट, कई बार सर्वे में रोकड़ मामूली सी होने के बावजूद से सर्वे में रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) से कुछ कम घोषित करवाई जाती है क्योकि रोकड़ सरेंडर को अच्छा सरेंडर माना जाता है.
सर्वे में रोकड़ (नकदी) रू. 10 लाख (बड़े शहरों में रू. 15 लाख) से कुछ कम झूठी घोषित करने के परिणाम –
- ज्यादा मिली रोकड़ को छिपाने के लिए मोके पर ही करदाता से बड़ी रिश्वत ली जाती है.
- ज्यादा मिली रोकड़ को छिपाने के लिए उसके स्थान पर किसी अन्य शीर्षक के अंतर्गत आय की झूठी घोषणा करवाई जाती है जो साधारणतया मोके पर मिली रोकड़ से कम होती है.
- आयकर अधिकारी सर्वे को सर्च में बदलने से रोकने में सफल हो जाते है.
- रोकड़ जब्त (सीज) होने से बच जाती है जिससे करदाता को फ़ायदा हो जाता है.
- इस सम्पूर्ण कार्यवाही से सरकार को भारी नुकसान होता है जबकि करदाता को फ़ायदा.
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