Thursday, November 21, 2019

जीएसटी के मामले में व्यापारी की कद्र / वैल्यू क्यों नहीं है ?  

जीएसटी के मामले में व्यापारी की कद्र / वैल्यू क्यों नहीं है ?  

अब आम व्यापारी के सोच के अनुसार (कुछ बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर) नए  जीएसटी क़ानून के लिए ही नहीं, बल्कि किसी भी मामले में मोदी सरकार की नजर में व्यापार-व्यापारी की कोई कद्र / वैल्यू नहीं है. पहली बार मोदी सरकार के खिलाफ व्यापारिक समाज ने बड़े ही गंभीर नारों के साथ आलोचना कर रहा है. आज ही एक बंद के दोरान कुछ बड़े ही गंभीर नारे प्रकाशित हुए देखे, उस बेनर को आप सभी पाठको से शेयर करना चाहूंगा

, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मोदी सरकार की सोच (गलतफहमी) में व्यापार-व्यापारी की कोई कद्र / वैल्यू क्यों नहीं है. एक व्यापारिक नेता के अनुसार इसके निम्न कारण है –

  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी दलित नहीं है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी गरीब नहीं है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी किसान नहीं है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी की कोई चुनाव जिताऊ जाति नहीं है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी एक बीजेपी का वोट बैंक है जो कभी कांग्रेस को वोट दे ही नहीं सकता.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारियो / उद्यमियो के वोट मात्र 4-5% तक ही है,जिससे अब बीजेपी लिए उतने जरूरी नहीं है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी एक स्वार्थी प्राणी है जिनमे कभी एकता नहीं हो सकती है तथा इन्हें आराम से बांटा जा सकता है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी एक ऐसी गाय है जो डंडा भी खायेगी तथा दूध भी देगी क्योकि वो किसी भी हालत में अपने मालिक (सरकार) को नहीं छोड़ेगी.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी एक स्वदेशी व्यापारी है, वह एक विदेशी या अमेरिकन व्यापारी नहीं है जिनको आमंत्रण देने के लिए मोदी जी विदेश भ्रमण करते रहते है.
  • क्योकि सरकार की नजर में व्यापारी / उद्यमी सबसे ज्यादा रिश्वत देता है, अत: ऐसे कमाऊ व्यापारी / उद्यमी को  जीएसटी से केसे मुक्त किया जा सकता है. सरकार चाहे तो बिना राजस्व को कम किये, 80% से भी ज्यादा व्यापारियो / उद्यमियो  को जीएसटी से आजाद कर सकती है लेकिन सरकार को आजाद मानसिकता वाले नागरिक नहीं बल्कि गुलाम / बिकाऊ मानसिकता वाले नागरिक चाहिए.

 

  • सीए. के.सी.मूंदड़ा  ( कैलाश चंद्रा )

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