‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-14)
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‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-14)
‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-11) में आपने पढ़ा कि जब हम साइकिल चलाते हैं, तो घुटने हर स्थिति में एक ही तरह से कार्य करते हैं। समतल, ढलान व चढ़ाई, तीनो ही हालत में पैंडिल घुमाने पर, पाँव व घुटनों का कार्य एक सा ही होता हैं। समतल जगह पर जहाँ लगातार एक ही ताकत से पैंडिल घुमाना पड़ता हैं, वहीं चढ़ाई पर हमें दुगुनी याँ तिगुनी ताकत लगाकर पैंडिल घुमाना पड़ता हैं, और ढलान पर बिना पैंडिल के ही साईकिल चलती रहती हैं।
कार, स्कूटर आदि मोटर वाहनों में भी गियर बदल कर हमें इंजन की क्षमता को आवश्यकतानुसार बढ़ाना पड़ता हैं। यह उदाहरण इसलिए यहाँ दिया जा रहा हैं, ताकि इन क्रियाओं के पीछे का कारण हम प्रमाणिक रूप से समझ सकें, तथा गुरुत्व बल की बात को सिरे से ख़ारिज कर सकें।
इसी तरह समुद्र के पानी पर बड़े-बड़े जहाज चलते हैं। प्रथम तो समुद्रों का पानी ही पृथ्वी के निचले हिस्से में स्थित हैं, दूसरा पानी सदैव नीचे की ओर बहता है, तीसरा पानी के अंदर गुरुत्व बल काम नहीं करता हैं, फिर पानी के ऊपर चलने वाला जहाज किस ताकत या बल से पानी पर टिका हुआ अपनी यात्रा पूरी करता रहता हैं। गुरुत्व बल में इतनी क्षमता किसी भी तरह से सिद्ध नहीं की जा सकती हैं जिससे यह माना जा सके कि समुद्रों की विशाल जलराशि हमारे ग्रह पर इस गुरुत्व बल की वजह से स्थापित हैं।
इस बात को और प्रमाणित करने हेतु, पिछले एक लेख के एक बिंदु में पाठको के लिए एक प्रश्न रखा गया था कि नदियों का पानी क्यों बहता है? शिक्षित लोग तुरन्त कह देते हैं कि नदियां ढलान की वजह से बहती हैं, जबकि समुद्रों का पानी एक विशाल खड्डे में समाया हुआ रहता हैं। यह दोनों बातें अपनी जगह पर सही हैं, परन्तु यह अधूरी सोच हैं। पानी के स्वभाव के अनुसार, नदियाँ ऊपर से नीचे की ओर बहती हैं, तथा ऊपर से निरन्तर आने वाला पानी, नीचे वाले पानी को बराबर गति भी प्रदान करता रहता हैं, परन्तु हम एक गिलास पानी यदि पक्के फर्श पर गिरा दें, तो वो भी ढलान की तरफ बहता हुआ नजर आएगा। इतने से पानी को भी न्यूटन का गुरुत्व बल रोक पाने में समर्थ नहीं हैं?
समुंद्रों का पानी भी पृथ्वी पर स्थित विशाल व गहरे खड्डों में ही समाया हुआ हैं, यह बात भी अपनी जगह सही हैं, परन्तु आप इस बात को नजरअंदाज क्यों कर रहे हैं कि यह खड्डे हमारे ग्रह के नीचे की ओर स्थित हैं। उनमें समाया हुआ पानी भी लटकी हुई अवस्था में हैं, न की टिकी हुई अवस्था में। जब आप इस बात पर ध्यान देंगे तो आपके मन में भी स्वतः ही कई प्रश्न उठने लगेंगे।
यहां जो भी चर्चा हम कर रहे हैं, उसमें यदि गुरुत्त्व बल का सिद्धांत कार्य नहीं कर रहा हैं, तो फिर अन्य कौनसा कारण या बल कार्य कर रहा हैं? अब हम इसी बात पर आगे की चर्चा करने जा रहे है। (यदि इस लेख विवेचित तथ्य / बात में आपको रुचिकर लगा हो या जिज्ञासा पैदा हुई हो, इस सीरीज की पिछली कडिया भी पढ़ने का कष्ट करे तथा खासतोर पर भाग- 11 से , ताकि पूरी बात एक साथ दिमाग में ले सके. आप को हर लेख के नीचे ही अन्य लेखो के लिंक मिल जायेंगे) .
शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा
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