Friday, September 20, 2019

‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-11)  

‘ न्यूटन’ द्वारा प्रतिपादित ‘गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त’ गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-11)

Earth.लगभग हम सभी ने अपनी शिक्षा के दौरान विज्ञान विषय में यह पढ़ा था कि ‘सर आइजक न्यूटन’ एक बार सेव के पेड़ के नीचे बैठे थे। उनके सिर पर एक सेव पेड़ से टूटकर गिरा। उनके दिमाग में यह विचार आया कि यह सेव नीचे की ओर ही क्यों आया? स इसी विचार के मन्थन और शोध से उनके द्वारा गुरूत्त्वाकर्षण के सिद्धान्त को जन्म दिया गया जिसे हम सभी आज भी मानते व पढ़ते आ रहे हैं, परन्तु हमारे पुरातन ज्ञान के अनुसार आप इस बात पर विचार करें तो ज्ञात होगा की यह सिद्धान्त गलत हैं, लेकिन फिर भी विज्ञान के क्षेत्र में इस बात का विरोध आज तक नहीं हुआ।

मैं मूल बात, सेव नीचे यानि जमीन पर ही क्यों गिरी?, केवल इसी बात को आधार मानते हुए ही आगे की सम्पूर्ण चर्चा करूंगा जिससे यह साबित हो सके कि वास्तव में इसके पीछे गुरुत्त्वाकर्षण नहीं, बल्कि मूल में कोई अन्य कारण मौजूद हैं। स अन्य कारण की बात करने से पहले,  मैं आपके समक्ष कुछ सवाल व  बिंदु रखना चाहता हूँ, जिस पर आप स्वयं मनन करें ताकि आप स्वयं न्यूटन के सिद्धांत की त्रुटियों व अर्थहीनता को समझ सके –

(1) इस सिद्धान्त के अनुसार हमारी पृथ्वी किसी भी वस्तु को अपने गुरुत्त्व बल से अपनी ओर खिंचती हैं। जिससे हर वस्तु नीचे यानि पृथ्वी की ओर ही आयेगी लेकिन इस बात को मानने से पहले मेरा प्रश्न यह हैं कि क्या पूरी पृथ्वी पर यह गुरुत्त्व बल समान रूप से कार्य करता हैं?

(2) हमारी पृथ्वी पर सात महासागर हैं। ग्लोब को आप ध्यान से देखें तो लगभग सभी महासागर हमारे इस पृथ्वी ग्रह के नीचे के हिस्से में स्थित हैं। ये  महासागर विशाल जलराशि को अपने में समेटे हुए हैं। इनकी गहराई कहीं-कहीं दस किलोमीटर तक भी हैं। क्या इस गहराई के नीचे स्थित जमीन का गुरुत्त्व बल भी उतना ही कार्य करता हैं जितना कि खुली जमीन पर करता हैं?

(3) आप अपने मकान के भूतल पर अपना वजन करें, फिर उसी मशीन से सौ वी मंजिल पर जाकर अपना वजन करें। क्या आपके वजन में कुछ फर्क आएगा?

(4) हम समतल जमीन पर रोज चलते हैं, लेकिन यदि ढलान वाली जगह हों तो कुछ आसानी महसूस करते हैं व चढ़ाई हों तो काफी कठिनाई महसूस करते हैं, ऐसा क्यों?

(5) हम वाहन की भी बात करें, तो समतल जगह पर बिना ब्रेक लगाये व बिना गियर में डाले भी वाहन को खड़ा या  स्थिर रख सकते हैं, जबकि ढलान पर वाहन को बन्द करके भी यात्रा चालू रखी जा सकती हैं और चढ़ाई हो तो वाहन को हैवी गियर में डालना पड़ता हैं। साईकिल तो सबने ही चलाई होगी। इन बातों के परीक्षण में उस अनुभव को भी याद किया जा सकता हैं। ऐसा क्यों होता हैं?  क्या इन तीनो स्थितियों में गुरुत्त्व बल अलग-अलग क्षमता से कार्य करता है?

(6) सारे महासागरों, जो कि ग्लोब के अनुसार नीचे की ओर स्थित हैं, की विशाल जलराशि क्या गुरुत्त्व बल से पृथ्वी पर स्थित हैं? इन पर चलने वाले जहाज भी क्या गुरुत्त्व बल की वजह से पानी पर टिके हुए चलते हैं?

(7) यदि महासागरों की विशाल जलराशि गुरुत्त्व बल से हमारे ग्रह पर टिकी हुई है, तो फिर नदियों का पानी क्यों बहता हैं? वो गुरुत्त्व बल से रुक क्यों नहीं जाता हैं? नदियों की बात को छोड़ दें, मैंने तो समतल जमीन पर जानवर के पेशाब को भी बहते हुए देखा हैं। क्या वहाँ गुरुत्त्व बल कार्य नहीं करता हैं?

शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा

Earth.

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