Friday, December 1, 2017

‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-15)  

‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-15)

हमने अभी तक ‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-11) में दिए गए बिंदुओं पर चर्चा की हैं।  बाकी बिंदु ‘न्यूटन’ का गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धान्त गलत हैं ? – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-12) में अंकित हैं, जिस पर हम आज चर्चा करेंगें।

किसी भी एक जगह पर  पानी का लेवल सदा एक समान ही रहता हैं। यदि किसी ओवर हेड टैंक में पाँच हजार लीटर पानी भरा हैं और उसमें से हमने मात्र एक इंच का पाइप लगाकर पानी निकालना शुरू किया, तो पानी पूरी गति से बाहर निकलना शुरू हो जाता हैं। यदि उस पाइप को हम ऊपर की ओर उस स्तर तक ले जावें, जहाँ तक टैंक में पानी भरा हैं, तो पानी बाहर निकलना बन्द हो जायेगा। पाइप थोडा और ऊपर कर दें, तो पाइप का ऊपर का हिस्सा खाली दिखने लगेगा। पाँच हजार लीटर पानी का दबाब, उस एक इंच की पाइप में, पानी का थोड़ा सा भी स्तर बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं। इसका कारण यही हैं कि एक जगह में स्थित पानी का स्तर एक सा ही होगा।
ब इसी बात को आधार मानकर यदि हम महासागरों में स्थित जलराशि की बात करें, तो वो एक लेवल में नहीं होता हैं। महासागरों का पानी यदि एक लेवल में होता तो हमें समुद्र तट पर खड़े होकर सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा देखने को नहीं मिलता तथा  हमें समुद्र के दूसरे छोर पर क्षितिज भी दिखाई नहीं देता।
ससे यह स्पष्ट हो रहा हैं कि महासागरों का पानी एक लेवल में नहीं हैं, बल्कि पृथ्वी के आकार के अनुरूप आकार ग्रहण किया हुआ हैं। यह बात भी आगे के तथ्यों की प्रमाणिकता के लिए बताई जा रही है।
सी तरह, यदि हम पानी का भरा हुआ गिलास उल्टा करते हैं, तो सारा पानी नीचे की ओर गिर जायेगा, परन्तु उस लबालब भरी गिलास पर एक कागज को हाथ से दबाकर तुरन्त गिलास को उल्टा कर दें, फिर अपना हाथ हटा लें, तो आप देखेंगें कि गिलास का पानी एक बूँद भी नीचे नहीं गिरेगा। उस पानी का वजन, गिलास पर लगाये कागज से कई गुना ज्यादा हैं, फिर भी पानी नहीं गिरता हैं। क्या कागज लगाने मात्र से न्यूटन का गुरुत्त्व बल खत्म हो गया या  इस सिद्धांत में कहीं न कहीं त्रुटि हैं?
जिनको अंतरिक्ष यात्रा के लिए भेजने हेतु ट्रेनिंग दी जाती हैं, उनको भारहीन अवस्था का अनुभव इसी धरती पर कराया जाता हैं। भारहीनता का तात्त्पर्य, गुरुत्त्व बल से मुक्त करना होता हैं। इस कार्य के लिए जहा पर प्रशिक्षण दिया जाता हैं, उस स्थान को वायु रहित किया जाता हैं। वायु के हटते ही व्यक्ति का शरीर भार रहित होकर उस जगह में तैरने लग जाता हैं। यानि हमने जहा से वायु हटा दी, वहा गुरुत्त्व बल भी हट गया। यदि वास्तव में कोई गुरुत्त्व बल हैं, तो वायु रहित अवस्था में भी हमारे पैर जमीन पर उसी मजबूती से टिके रहने चाहिए जैसे वायु सहित अवस्था में टिके हुए थे।
कुए से पानी निकालने वाले प्रसंग से आपको इस बात का प्रमाण दिया गया हैं कि पानी में गुरुत्त्व बल कार्यरत नहीं रहता हैं, वर्ना पानी से भरी हुई बाल्टी पानी के अंदर पूरी डूबी रहने तक इतनी आसानी से नहीं खींची जा सकती।
न्यूटन के अनुसार गुरुत्त्व बल किसी भी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचता हैं। जबकि हर गिरने वाली भारी वस्तु सीधी रेखा में ही गिरती हैं। अब यह तो पता नहीं हैं कि कुँए के अंदर स्थित चारों तरफ की खुली जमीन में केंद्र के नजदीक का हिस्सा या केंद्र की तरफ का हिस्सा कौनसा हैं, परन्तु यह अवश्य पता हैं कि प्रत्येक कुए (well) में डोली को खींचने पर सीधे रूप से ही बाहर की तरफ आती हुई नजर आती हैं।
शेष अगली कड़ी में……………… लेखक व शोधकर्ता : शिव रतन मुंदड़ा
Water Pressure

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