Friday, December 1, 2017

मोदी सरकार के वादा-खिलाफी यु-टर्न सरकारी अधिकारियों के लिए भी बने अनुकरणीय – विश्वसनीयता खतरे में  

मोदी सरकार के वादा-खिलाफी यु-टर्न सरकारी अधिकारियों के लिए भी बने अनुकरणीय – विश्वसनीयता खतरे में

 नोटबंदी की घोषणा के बाद, मोदी सरकार की वादा-खिलाफी व यु-टर्न बार बार देखने को मिला है. ऐसा चलते-चलते सरकार की विश्वसनीयता ही खतरे में पड़ चुकी है. हद तो तब हो गयी, जब सरकारी अधिकारी भी अपने बचाव में मोदी सरकार की वादा-खिलाफी व यु-टर्न का उदाहरण देने लग गए है.

हुआ यो कि लेखक ने नोट बंदी की घोषणा से पहले एक  आर.टी.आई. आवेदन भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय (Ministry Of Urban Development, Type Special Section)  नई-दिल्ली के समक्ष भेजा.  इस आवेदन में आयकर ट्रिब्यूनल (Income Tax Appellate Tribunal)  के एक वरिष्ठ सदस्य आर.पी. तोलानी (R.P.Tolani) से बकाया किराये की  वसूली से सम्बंधित कुछ सुचनाये माँगी गयी थी. सम्बंधित अधिकारी ने कुछ सूचंनाये जल्दी ही 10.10.2016 को भेज दी लेकिन अन्य सूचनाओं के लिए और शुल्क जमा कराने का निर्देश दिया.

उक्त निर्देश की पालना में आवेदक ने धन्यवाद के साथ कुल रू. 340/- के पोस्टल आर्डर ओर दिनांक 22.10.2016 भिजवा दिए. लेकिन विश्वास के विपरीत शेष बची हुयी नकले नहीं आयी और एक दिन (दिनांक 17.01.2017) नकारात्मक आदेश के साथ सूचनार्थ नकले देने से मना कर दिया और रूपये 400/- वापिस भिजवाने के लिए कैंसिल चेक माँगा. आवेदक को परेशान होकर उस आदेश के विरूद्ध अपील भी करनी पडी.

आवेदक ने अपील से पूर्व सम्बंधित अधिकारी को फ़ोन किया और पूछा,

“ पिछले आदेश में आप स्वयं ने रू. 340/- के पोस्टल आर्डर मंगवाए और नकले देने का लिखित में विश्वास दिलाया, तो फिर अब आप वादा-खिलाफी कर यु-टर्न क्यों ले रहे है ”

लेकिन बाद में अधिकारी आयकर ट्रिब्यूनल (Income Tax Appellate Tribunal)  के एक वरिष्ठ सदस्य आर.पी. तोलानी (R.P.Tolani) के दबाव के कारण नकले नहीं देना चाहता था तो उक्त अधिकारी (Deputy Director Of Estates A-1) का आवेदक के प्रश्न का उत्तर बड़ा ही चोकाने वाला था ,

“ आप देख नहीं रहे है. नोट बंदी के मामले में भारत सरकार ने पूरे देश के सामने कितनी बार वादा-खिलाफी की व यु-टर्न लिए है. हम भी तो उसी सरकार के हिस्से है. नोट बंदी के खिलाफ लोग सुप्रीम कोर्ट भी गए है, आप भी अपील कर लो ”. 

अधिकारियों को हिम्मत तो देखिये, केसे अपनी वादा-खिलाफी की बात को नोट बंदी से जोड़कर सही ठहराने की कोशिश की है. उनकी भी  कोई गलती नहीं है. वो भी सोचते है, जब देश का शीर्ष नेतृत्व भी वादा-खिलाफी से नहीं चूकता, तो उनको कोई क्यों कुछ भी कहेगा.

Letter from Department of Urban Development, Delhi - 2

Letter from Department of Urban Development, Delhi - 1

 

 

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