Friday, September 20, 2019

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-40)  

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-40)

 

संचार में आई इस क्रांति से जो परिवर्तन आज देखने को मिल रहे हैं, उससे हम विनाश की ओर ही बढ़ते जा रहे हैं।

टीवी के आने से बचपन मारा गया। बच्चे घरों में टीवी के आगे बैठे रहते हैं। बाहर खेलना कूदना पहले की अपेक्षा काफी कम हो गया। इससे उनका शारीरिक विकास अवरुद्ध होने लगा हैं। बच्चे टीवी में आने वाले कई दृश्यों से मनोविकार ग्रस्त हो रहे हैं। कई तरह के पूर्वाग्रह, बच्चों के भीतर पनपने लग जाते हैं। इनका पता तब ही चल पाता हैं, जब वो विकार, कर्म के रूप में बाहर दिखाई पड़ने लगते हैं। युवा व बुजुर्ग भी टीवी के साथ चिपके रहते हैं। फर्क इतना ही हैं कि सबकी इच्छा अपनी अपनी रूचि का कार्यक्रम देखने में रहती हैं।

मानव जीवन में इस टीवी के कारण कितने श्रम घण्टों का नुकसान हो रहा हैं, समय व्यर्थ किया जा रहा हैं? यह आज विचारणीय बिंदु हैं।

मोबाईल ने तो सभी अवस्थाओं (बचपन जवानी व बुढ़ापा) को बदल डाला। नवजात व अबोध बच्चे भी मोबाईल की तरफ पूरे आकृष्ठ रहते हैं। युवा पूर्णतया इसी में संलग्न हैं। बुढ़ापे का यह सहारा हो गया हैं। मोबाईल के सहयोग से हमारा काम काफी सरल व सुगम हो गया। व्यापार में सुविधा हो गई। आने जाने का समय बच गया। पल पल की खबरें, बाजार भाव रिपोर्ट आदि घर बैठे ही मिलने लगी। किसी को बुलाने जाने की जरूरत नहीं, मिलने जाने की जरूरत नहीं। सब कुछ मोबाईल से ही किया जा सकता हैं। मोबाईल हर उम्र का खिलौना हैं। इसमें हर उम्र के खेल हैं। आज हर व्यक्ति इसकी गिरफ्त में हैं। व्यक्ति को जिस तरह नशे की लत हो जाती हैं, उसी तरह इसकी लत पड़ रही हैं। अब तो कइयों ने  दो-दो चार-चार मोबाईल रखना शुरू कर दिया हैं। कइयों को अपने पास एक्सट्रा बैटरी रखनी पड़ती हैं।

यह सब बदलाव जो आज हमें देखने को मिल रहे हैं, वो सब संचार के क्षेत्र में विज्ञान द्वारा ईजाद इन नई तकनीको का ही परिणाम हैं। हमने मोबाईल की सुविधा से जो भी समय बचाया, वो पुनः इसी मोबाईल की दूसरी चीजो में,  व्यर्थ करना शुरू कर दिया, बल्कि उससे भी ज्यादा समय की बात कहें, तो भी गलत नहीं होगा।

कोई इस पर गेम्स खेल रहा हैं, तो कोई चेट कर रहा हैं, कोई व्हाट्सअप पर लगा हैं, तो कोई ट्वीटर व फेसबुक पर। मोबाईल की सुविधा से हमारा जो भी समय बचा, उससे डबल समय वापस मोबाईल पर ही हमने व्यर्थ गंवाना शुरू कर दिया। हर व्यक्ति, हर सुचना को, बिना सोचे-समझे व बिना देखे-परखे आगे भेजने में लगा हुआ हैं। फोटो, वीडियो, इलाज के नुस्खे, टोने-टोडके, ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, योग, धर्म, शास्त्र, तन्त्र-मन्त्र, राजनीति, अपराध, दुर्घटनाये, निजी जानकारियां, अफवाये, खौफनाक दृश्य, भड़काऊ बातें, विवादित तथ्य, झूठे व फर्जी वीडियो, अंध विश्वास, सेक्स, विज्ञापन, ज्ञान-विज्ञान आदि सभी कुछ मोबाईल के जरिये आदान-प्रदान हो रहा हैं। इस पर कोई अंकुश या नियन्त्रण नहीं हैं। यह वर्तमान जीवन का आवश्यक अंग बन गया हैं। परिवार, रिश्ते-नाते, सभ्यता, संस्कार, शर्म-लिहाज, धर्म- कर्म, सब कुछ ढ़हने लगे हैं। अपराध की दुनियाँ में मोबाईल बड़ा मददगार हथियार साबित हुआ हैं। हर व्यक्ति के हाथ में पाये जाने वाले इस मोबाईल से हमें फायदा हुआ या नुकसान, इसका आंकलन हर बुद्धिजीवी व्यक्ति स्वयं ही कर सकता हैं।

भी इसकी तकनीक में रोज नए नए बदलाव आ रहे हैं। आगे भी भारी बदलाव आते रहेंगें। देखा जाय तो मोबाईल, हर हाथ में पहुँचने वाला एक कम्प्यूटर बन गया हैं। समय के साथ साथ इसके भी दुष्परिणाम सामने आने लग गए है। अभी तो हर व्यक्ति अंधानुकरण में लगा हुआ हैं। हर बात को मानव समाज नजर अंदाज करते हुए चल रहा हैं, परन्तु समय आने पर इसके लिए भी हमें पछताना पड़ेगा।

शेष अगली कड़ी में—-

  

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