Monday, September 9, 2019

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-44)  

आधुनिक विज्ञान से विकास हो रहा हैं या विनाश – भारतीय पुरातन ज्ञान (भाग-44)

 

विज्ञान से प्राप्त हर नई चीज नई खोज की श्रेणी में आती हैं। विद्युत की खोज भी विज्ञान की ही देन हैं, पर खोज शब्द का अर्थ हैं- किसी खोई हुई वस्तु को प्राप्त करना। जो भी प्राप्त किया गया याँ किया जा रहा हैं, वो यहीं से ही तो किया जा रहा हैं। कोई भी चीज अन्यत्र से नहीं आ रही हैं।

विद्युत का अहसास भी मानव ने प्रकृति से पाया। यह अहसास बादलों में चमक रही बिजली का हो, चाहे घर्षण से उठी चिंगारी याँ आग हो, चाहे पत्थरों के टकराने से पैदा हुई चमक हो, ऐसे अनेक रूपों में विद्यमान इस विद्युत का साक्षात्कार मानव को प्रकृति ने ही तो कराया था। फिर हमारा जिज्ञासु मानव मन इसकी खोज में जुटा। ऐसी कोई भी खोज नहीं होती, जिसकी उपस्थिति किसीं न किसी रूप में पहले से इस प्रकृति में न हों। उस खोज को विज्ञान जब मानव समाज के लिए उपयोगी बनाने हेतु उसमें आवश्यक रूपांतरण करता हैं, तब वह रूप हमें नया लगता हैं। आज के रूप में विद्युत पहले नहीं थी, इसमें कोई सन्देह नहीं, पर यह कहना गलत होगा कि विद्युत पहले नहीं थी।

भी हम आम जीवन में विद्युत का जो उपयोग देख रहे हैं, और जिसे हम आज केवल विद्युत मान रहे हैं, वह भी हमारी अधूरी जानकारी का द्योतक हैं। विद्युत शब्द शक्ति, रौशनी, प्रकाश, तीव्रता, चमक ऊर्जा तथा आग आदि अर्थ को भी अपने में समाये हुए हैं। हमारे शरीर में भी विद्युत मौजूद हैं। इसी की विद्यमानता के चलते हमारा शरीर अनवरत क्रियाशील रहता हैं। यह विद्युत प्राकृतिक रूप से सभी पंचमहाभूतों में न्युनाधिक मात्रा में विद्यमान हैं। आज का विज्ञान भी पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पनबिजलीघर, न्यूक्लीयर पॉवर, आदि चार महाभूतों से तो विद्युत उत्पादन करने लग ही गया हैं। केवल आकाश महाभूत से विज्ञान अभी तक विद्युत प्राप्त नहीं कर पाया हैं।

प्राचीन इतिहास व हमारे धर्म ग्रंथों में कई जगह पर ऐसे विमानों का उल्लेख मिलता हैं, जिनकी समानता याँ कार्य पद्धति आज के युग के साधनों से मेल खाती नजर आती हैं। देवताओं के राजा इंद्र के पास आकाश मार्ग से गमन करने वाला वाहन था, और आश्चर्यजनक रूप से उस समय भी उसे विमान के नाम से ही सम्बोधित किया जाता था। राजा रावण के पास आकाश मार्ग से यात्रा करने वाले कई विमान थे। शास्त्रों में यह उल्लेख कहीं नहीं हैं कि, यात्रा शुरू करने से पूर्व इन विमानों में ईंधन भराकर, इन्हें तैयार खड़ा किया गया हो। स्पष्ट हैं कि ये विमान अपने समीप के वातावरण से ही ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता रखते थे। हमारा विज्ञान अभी ऐसे विमान याँ साधन नहीं बना पाया हैं, जो वातावरण से सीधे ऊर्जा प्राप्त कर सके। 

भगवान के बनाये हम सभी प्राणी इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। हम अपनी ऊर्जा इस प्रकृति से ही प्राप्त करते हैं। पुरातन ज्ञान में जिसे प्राण वायु कहा गया हैं, वो ही मानव शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं, जिसे पाकर हमारा शरीर उसे ऊर्जा में स्वतः रूपांतरित कर लेता हैं। कई प्रजाति के जानवर, जो जमीन में रहते है, वो इस पृथ्वी से ऊर्जा प्राप्त कर अपने को जीवित रखते हैं। पानी के अंदर रहने वाले जलचर, जल के अंदर से वो ऊर्जा सीधे प्राप्त करते हैं। हम प्रकृति को जब गहनता से देखेंगें, समझेंगें, तब इस अद्भुत, आलौकिक, आश्चर्यजनक, और अविश्वसनीय कारीगरी को देख कर रोमांचित हो जायेंगें। विज्ञान के विकास की बातें करने वाले लोग, तब जान पायेंगें कि प्रकृति द्वारा हमें दिए मुफ़्त उपहारों के समक्ष, विज्ञान प्रदत्त तो कुछ भी नहीं है।

हले तो पूरा मानव समाज केवल दो भागों में बंटा हुआ था। देवता व राक्षस। धर्म के अनुसार अपने कर्तव्यपथ पर चलने वाले लोग देवता कहलाये और धर्म विरुद्ध आचरण करने वाले लोग राक्षस। अब संसार सरहदों में बंट गया। सरहदों में भी जाति, धर्म, पन्त, मजहब आदि अलगाव हो गए। उसमें भी ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, गोरा-काला आदि के भेद हो गए। हर स्तर पर संघर्ष की शुरुआत हो गई। वर्चस्व की होड़ में अपने को आगे रखने के लिए नए नए आयुधों की खोज शुरू हुई।

विज्ञान का उपयोग यहा आतेआते पूर्णतया विनाश की ओर होने लग गया। रोज नए नए हथियार खोजे जा रहे हैं। आज पुरे विश्व में जितना धन हथियारों की खोज उत्पादन में खर्च हो रहा हैं, उतनी रकम से पृथ्वी पर निवास कर रही पूरी आबादी, जो लगभग साढ़े सात अरब हैं, पूरी की पूरी करोड़पति बनाई जा सकती हैं। पूरी मानव जाति दुःख और सन्ताप रहित हो सकती हैं। 

र ऐसा सम्भव नहीं। आज पूरा संसार बारूद के ढेर पर बैठा हैं। हमारे विज्ञान ने पूरी दुनियाँ को पल भर में समाप्त करने का साधन खोज लिया हैं। जगत के लिए विज्ञान का एक ओर अद्भुत विकास!

शेष अगली कड़ी में 

लेखक : शिव रतन मुंदड़ा

 

Related Post

Add a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आदर्श लिक्वीडेटर (Adarsh Liquidator) नियुक्ति आदेश रद्द – किसको खुशी किसको गम

आदर्श  लिक्वीडेटर नियुक्ति आदेश रद्द (Cancellation Of Adarsh Liquidation Order) – किसको खुशी किसको गम (इस विषय का विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करे ...

SiteLock