Saturday, December 2, 2017

उदयपुर में भी आयकर सर्च के कागजात तक देकर नहीं गए (आयकर सर्च भाग – 9)  

उदयपुर (Udaipur) में भी आयकर सर्च (Income-tax Search) के कागजात तक देकर नहीं गए (आयकर सर्च भाग – 9)

कल की पोस्ट “राजसमन्द (राजस्थान) में भी आयकर सर्च में अमानवीयतापूर्ण जोर-जबरदस्ती  (आयकर सर्च भाग- 8)”  में मेने लिखा था कि किस तरह से राजसमन्द (Rajasamand) में आयकर सर्च-सर्वे ( Incometax Search-survey) के दोरान  में आयकर अफसरों द्वारा अमानवीयतापूर्ण जोर-जबरदस्ती की गयी थी. मेने राजसमन्द (Rajasamand) की सर्च के सम्बन्ध में यह भी लिखा था, “ सर्च संबंधी एक भी कागजात सर्च स्थल के किसी भी कर्मचारी को नहीं दिया गया. कर्मचारियों से सिर्फ सेकड़ो हस्ताक्षर लिए लेकिन कागज़ एक नहीं दिया. यहाँ तक कि लाखो रूपयों की रोकड़ जब्ती की रसीद भी नहीं देकर गए. इन हालातो में किसी भी कागज़ पर किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा करना ऐसे अधिकारियों के लिए संभव हो सकेगा”. 

ठीक ऐसी ही पुनर्रावर्ती उदयपुर (Udaipur) में भी की गयी. ताजा जानकारी के अनुसार उदयपुर (Udaipur) में रिद्धि-सिद्धि इन्फ्रा के ऑफिस पर भी 21.03.2017 को सर्वे किया गया था, जो कि उसी दिन हर तरह से पूरा कर लिया गया था लेकिन कागजो में उसे पूरा नहीं दिखाया गया और दूसरे दिन उस सर्वे को सर्च में बदला गया. सारा व्यवहारिक कार्य 21.03.2017 को ही पूरा हो चुका था लेकिन आयकर विभाग की टीम बिना किसी काम के 24.03.2017 की शाम तक वही जमी रही  और सर्च की समाप्ति 24.03.2017 को दिखाई गयी. 

यही नहीं राजसमन्द (Rajasamand) की तरह ही सर्च संबंधी मात्र एक दस्तावेज को छोड़कर अन्य कोई भी कागजात सर्च स्थल के किसी भी कर्मचारी या प्रबंध से जुड़े किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया गया. उन लोगो से सिर्फ सेकड़ो हस्ताक्षर लिए लेकिन कागज़ एक नहीं दिया. यहाँ तक कि लाखो रूपयों की रोकड़ जब्ती की रसीद भी नहीं देकर गए. हालाकि इस पोस्ट के प्रकाशन के बाद, सम्बंधित करदाता पक्ष को दबाकर पिछली तारीखों में रसीद ली जा सकती है तथा सारी कार्यवाही को सही दिखाने का प्रयास किया जा सकता है. 

यहाँ पर उल्लेखनीय है कि दिया गया एक दस्तावेज भी मनमर्जी, दादागिरी व गेर-कानूनी तरीके से बनाया गया आदेश / Prohibitory Order (PO) अंतर्गत आयकर धारा 132(3) है. सभी पाठको कि जानकारी के लिए यह बताना उचित होगा कि  रिद्धि-सिद्धि इन्फ्रा के यहाँ सर्वे-सर्च में मिले कुछ काजजातो को एक कमरे में यो ही बंद कर उसे सील कर आदेश (PO) अंतर्गत आयकर धारा 132(3) जारी किया गया जो कि एक गेर-कानूनी कृत्य है. 

इस मामले में एक बड़ा ही गंभीर व रोचक तथ्य यह है कि आदेश / Prohibitory Order (PO) अंतर्गत आयकर धारा 132(3) किस पार्टी / पक्ष के विरूद्ध जारी किया गया है, पता ही नहीं चल रहा है क्योकि इस आदेश में किसी भी पार्टी का नाम तक नहीं है. मजाक की बात यह भी है कि  इस आदेश को सौरभ टाक द्वारा लेना बताया गया जबकि सौरभ टाक के स्वयं के घर पर 24.03.2017 तक सर्च की कार्यवाही चल रही थी. इससे ऐसा भी प्रतीत होता है कि  कमरे को सील करने की कार्यवाही रिद्धि-सिद्धि इन्फ्रा (Ridhi Sidhi Infra) के ऑफिस में की गयी होगी तथा बाद में सौरभ टाक (Saurabh Tak)  के घर पर सौरभ टाक के हस्ताक्षर लिए गए होंगे. 

पूर्व की एक पोस्ट में, मै यह भी लिख चुका है कि उदयपुर (Udaipur) के इस सर्वे-सर्च स्थल पर दो लोगो की पिटाई तक की गयी तथा सर्वे-सर्च स्थल की CCTV केमरों की दोनों मशीन गेरे कानूनी तरीको से खोल कर सर्च टीम ले गयी जो कि आयकर अधिकारियों की ज्यादतियों व गेर-कानूनी कृत्यों के लाइव गवाह थे. इन हालातो में एक तरफ  CCTV केमरों की दोनों मशीन को बंद कर / हटा कर सभी सबूतों को मिटाया गया और दूसरी तरफ रोकड़ की रसीद सहित सारे देने लायक दस्तावेज (एक को छोड़कर) माँगने पर भी देकर नहीं गए जिससे फर्जीवाड़े की पूरी पूरी संभावना बन जाती है.

     

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