मोदी नोटबंदी के बाद अब ‘आयकर मुक्त भारत’ (इनकम-टैक्स फ्री इंडिया)
मोदी नोटबंदी के बाद अब ‘आयकर मुक्त भारत’ (इनकम-टैक्स फ्री इंडिया)
अब तक हम सभी ‘मोदी नोटबंदी’ का प्रेक्टिकल (व्यवहार – Practical) देख चुके है. पूरा भारत, एक टक-टकी से प्रधान मंत्री मोदीजी के हर संबोधन में ‘भाइयो-बहनों…’ के बाद किसी नए विचार / धमकी की घोषणा की कल्पना करने लग जाता है. इन कल्पनाओं के तहत ही एक प्रश्न सभी भारतीयों की दिमाग में कौंधता है – नोट बंदी के बाद मोदी जी का अब अगला कदम क्या होगा ? इन सब कल्पनाओं / सम्भावनाओं के बीच एक विचार है – मोदी नोटबंदी के बाद अब आयकर मुक्त भारत (इनकम टैक्स फ्री इंडिया).
बात बिलकुल ही सपने जेसी लगती है कि अब भारत आयकर मुक्त (इनकम टैक्स फ्री) हो सकता है या हो जाएगा. खासतोर पर सोशल मीडिया में ऐसी चर्चा काफी चली जिसे अविश्वसनीय मानते हुए अधिकाँश लोगो ने इस बात को एक अफवाह समझ कर इग्नोर किया. लेकिन यह सिर्फ अफवाह नहीं बल्कि आर्थिक क्षेत्र के कई विशेषज्ञों की राय है कि मोदी जी का अगला कदम अब आयकर मुक्त भारत (इनकम टैक्स फ्री इंडिया) हो सकता है.
कई अखबारों में भी कई रिपोर्ट्स इस विषय पर प्रकाशित हुई है तथा स्वयं मोदी जी उदारवादी विचारधारा रखते है. आयकर मुक्ति इस विचार के निम्न संभावित कारण भी है –
1. ‘मोदी नोटबंदी’ का कदम एक तरह से एक साम्यवादी (वामपंथी) कार्यवाही है जो कि भारतीय जनता पार्टी जेसी दक्षिणपंथी पार्टी द्वारा की गयी जो कि जनता व कई अर्थशास्त्रियो को हजम नहीं हो रही है. अत: यह ‘मोदी नोटबंदी’ का कदम उदारवाद से पहले का कठोर सफाई कार्यक्रम हो सकता है.
- इस साम्यवादी (वामपंथी) कार्यवाही ‘मोदी नोटबंदी’ से मध्यम वर्ग (जिसका बड़ा तबका भारतीय जनता पार्टी का समर्थक है) को तगड़ा झटका लगा है जिससे इस वर्ग में मोदीजी व भारतीय जनता पार्टी के विरूद्ध भारी नाराजगी है, अत: इस वर्ग को राजी करने के लिए ऐसा नया कदम भी अपेक्षित है.
- विदेशी काले धन की डिस्क्लोजर की आयकर योजना, गोल्ड बांड स्कीम, आय घोषणा योजना (IDS) 2016 की असफलता के बाद, इस साम्यवादी (वामपंथी) कार्यवाही ‘मोदी नोटबंदी’ मोदी जी की लगातार चौथी आर्थिक असफल (Fail) कार्यवाही है जिससे पार्टी के अन्दर व पार्टी के बाहर मोदीजी की उदारवादी इमेज को बड़ा धक्का लगा है. इस इमेज को पुनर्स्थापित करने के लिए अगला कदम ‘आयकर मुक्ति’ का हो सकता है.
- जेसा भी था या जितना भी था, हिन्दुस्तान का सारा काला-धन बैंको में आ चुका है तथा सारा पैसा मुख्य धारा में आ चुका है. अत: सारी करेंसी का हिसाब सरकार के पास आ चुका है. अत: अब नयी उदारवादी शुरूआत संभव है.
- मोदीजी ने अभी तक भारतीय जनता को वोटर की नजर से ही देखा था, अब उसकी आर्थिक सोच भी मोदी जी के समझ में आ गयी होगी कि सिर्फ धमकियों व अव्यवहारिक योजनाओ से जनता को न तो डराया जा सकता है और न ही गुमराह किया जा सकता है. अत: अब मोदी जी अपनी नयी उदारवादी नीति के रूप में आयकर मुक्ति को अपना सकते है.
- देश में अभी तक तरह-तरह की जितनी भी सरकारे रही है, सबने अलग-अलग किस्म के कई फोर्मुले अजमा लिए है लेकिन तथाकथित काला-धन की समस्या बढ़ती ही गयी, अत: अब ‘आयकर मुक्त भारत’ का फोर्मुला ही बाकी बचा है.
- सारे साम्यवादी / वामपंथी तरीके अपनाने के बाद, अब सिर्फ पूंजीवादी रास्ता ही बचा है तथा आयकर मुक्ति भी एक सफल पूंजी वादी व विकासवादी रास्ता है. वेसे भी साम्यवाद सिमटता जा रहा है, अब दुनिया में उदारवाद का ही बोलबाला है.
- मोदी जी नए-नए प्रयोग करते रहते है तथा रिस्क उठाने की जबरदस्त क्षमता है, अत: यह नया प्रयोग भी किया जा सकता है.
- आयकर मुक्त इकॉनमी भी विकास का एक मजबूत व कई देशो द्वारा अजमाया हुआ रास्ता है जो कि भारत का भी भाग्य बदल सकता है.
- आयकर मुक्ति से नए काले-धन का उत्पादन स्वत: ही बंद हो जाएगा.
- यदि मोदीजी ‘आयकर मुक्त भारत’ के फोर्मुले पर आगे बढ़ाते है तो आर.एस.एस. की विचारधारा के अनुरूप होगा जिससे आर.एस.एस. का भी पूरा समर्थन मिलेगा.
- आगे आने वाले समय में भारत के राजनीतिक पटल पर ऐसी नयी पार्टी / पार्टिया उदय होने वाली है जो हिन्दुस्तान का अर्थ शास्त्र की प्रचलित विचार धाराओं को बदल कर ‘आयकर मुक्त’ व ‘वेट मुक्त’ भारत का आगाज कर सकती है. यदि ऐसी नयी पार्टी / पार्टिया मैदान में आती है तो भारतीय जनता पार्टी को बड़ी भारी राजनीतिक क्षति होगी. ऐसे नए विचारों को रोकने के लिए स्वयं मोदीजी ही ‘आयकर मुक्त भारत’ का अग्गाज कर सकते है.
लेखक : सीए. के. सी. मूंदडा
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