रिज़र्व बैंक से पुराने बंद नोट 31.03.2017 तक केसे बदलवाए ?
रिज़र्व बैंक से पुराने बंद नोट 31.03.2017 तक केसे बदलवाए ?
नोट बंदी के तहत पुराने 500-1000 रूपयों के नोट बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है. नोट बदलने की अंतिम तिथि 30.12.2016 थी. इस दरम्यान यह भी क़ानून बना कि दस या पचीस से जयादा पुराने 500-1000 रूपयों के नोट रखना गेर कानूनी है. इसका यह अर्थ है कि अब आप पुराने 500-1000 रूपयों के नोट बैंक में जमा भी नहीं करवा सकते और अपने पास भी नहीं रख सकते. लेकिन हमारी सरकार ने यह भी नहीं बताया कि आपके पास बच गए नोटों का करना क्या है.
यही नहीं 30.12.2017 को भारत राष्ट्रपति द्वारा जारी एक अध्यादेश के जरिये दो अपवादों को छोड़कर रिज़र्व बैंक को पुराने 500-1000 रूपयों के नोट के भुगतान की जिम्मेदारी से व भारत सरकार को पुराने 500-1000 रूपयों के नोट की गारंटी से भी मुक्त कर दिया गया है.
ऐसी स्थिति में आपने पास निम्न option उपलब्ध है –
- यदि आपके पास पुराने 500-1000 रूपयों के 10 / 25 (विशेष मामलों में) या 10 / 25 25 (विशेष मामलों में) से कम नोट है तो आप अपने कलेक्शन या लाइब्रेरी या मेमोरी या इतिहास के लिए अपने पास संजो कर रख सकते है लेकिन भरोसा नहीं है सरकार इन्हें भी कब गेरकानूनी घोषित कर देगी. अत: अपनी रुचि / आनंद के लिए एक 500 रूपये व एक 1000 रूपये के ज्यादा नोट अपने पास रखना बिलकुल ही व्यर्थ है तथा नहीं रखने चाहिए तथा / अथवा
- सरकारी सीमा से ज्यादा पुराने 500-1000 रूपयों के नोटों को किसी भी तरह गोपनीय तरीके से नष्ट कर देने चाहिए या
- यदि आप भारतीय नागरिक है या एन.आर.आई (NRI) है तथा नोट बंदी की घोषणा के 30.12.2016 तक भारत से बाहर रहे है तो रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई. / RBI) की मात्र 5 कार्यालयों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकत्ता व नागपुर) में जमा करवा सकते है.
- नोट बंदी की मूल योजना के अनुसार 31.03.2017 तक पुराने 500-1000 रूपयों के नोटों को जमा कराने की छूट का वादा किया गया था लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर चुकी / यूं turn ले चुकी है, अत: शेष आम भारतीय को अपने पास बच गए पुराने 500-1000 रूपयों के नोटों को सिर्फ रद्दी ही नहीं समझे बल्कि दंड योग्य आपराधिक श्रेणी की सम्पति भी समझे जिसके लिए कम से कम 10,000/- रू. आर्थिक दंड भुगतने के लिए तेयार रहना चाहिए.
- यह सपना भी नहीं देखे कि रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई. / RBI) कभी भी बंद नोटों को अपवाद स्वरुप भी स्वीकार करेगी या बदल देगी या बदल देगी.
सारांश यह है कि आम भारतीय (उपर विविचित अपवाद को छोड़कर) को नोट बदलने की इच्छा अब छोड़ देनी चाहिए और जल्दी से जल्दी ऐसे नोटों को गले में पडा ज़िंदा सर्प / साप समझ कर उसे गले से बाहर निकाल फेकना चाहिए.