Wednesday, September 4, 2019

आयकर अधिकारी (आई.टी.ओ.) राजेंद्र बोथरा को गंभीर आरोपों के चलते चार्जशीट मिली  

आयकर अधिकारी (आई.टी.ओ.) राजेंद्र बोथरा को गंभीर आरोपों के चलते चार्जशीट मिली

(पूरी रिपोर्ट व सबूत नीचे देखे / पढ़े)

हाल ही में मिली ताजा जानकारी के अनुसार जोधपुर (राजस्थान) में कर वसूली अधिकारी के पद पर कार्यरत आयकर अधिकारी राजेंद्र बोथरा को उनके विरूद्ध गंभीर आरोपों के चलते आयकर विभाग द्वारा आखिरकार चार्ज शीट दे दी गयी है.

इस कार्यवाही की सत्यता की जानकारी के लिए कई अधिकारियों से संपर्क साधा गया लेकिन सभी ने चुप्पी साध ली. आयकर अधिकारी राजेंद्र बोथरा का इतना खौंफ है कि उसके सम्बन्ध में कोई कुछ बोलने को तेयार ही नहीं. अंतत: स्वयं  बोथरा से बात की तो उसने चार्ज शीट की बात को सही बताया.

राजेंद्र बोथरा ने बताया , “आदर्श ग्रुप के मुखिया मुकेश मोदी के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंधो के कारण उसको झूठा फसाया गया है. उसने बताया कि सीए के.सी. मूंदड़ा व मुकेश मोदी के बीच गहरा विवाद चल रहा है व मुकदमे बाजी तक चल रही है. अत: के.सी. मूंदड़ा ने आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मेरे खिलाफ झूठी शिकायते करवा कर मुझे फंसाया गया है. मै आयकर विभाग का सबसे ईमानदार अफसर हूँ और सरकार को खूब रेवेन्यु कमा कर दिया है. मेरी ईमानदारी से भी मेरे कई साथी भ्रष्ट अधिकारियों की नाराजगी के कारण भी मेरे खिलाफ षडयंत्र किया गया है. कल के आये छोकरे सिंगल स्टेशन पर गाडी के साथ आयकर अधिकारी बना दिए गए जबकि मेरे  जेसे सीनियर व क़ानून जानने वाले इमानदार व्यक्ति को पिछले तीन साल से नॉन-असेसमेंट में लगा रखा है “.

जब बोथरा को उस पर लगे आरोपों के बारे में पूछा तो कुछ भी बताने से मना कर दिया. हालाकि चार्जशीट का आधार तो पता नहीं चला  लेकिन मेरी स्वयं की जानकारी व पड़ताल के अनुसार बोथरा के खिलाफ ठेर सारे गंभीर आरोप लगे है, उनमे से कुछ निम्न है –

  1. जालोर के एक उद्यमी की शिकायत के अनुसार बोथरा ने डरा-धमका कर 5.00 लाख रूपये मांगे और जब उसने मना कर दिया तो उसके खिलाफ सर्वे कर डाला. जब उस सर्वे का विरोध कर बोथरा की उच्च स्तर पर शिकायत की तो बोथरा ने उस उद्यमी के 6-7  केसों को री -ओपन कर डाला. उन सभी मामलों में झूठे कारणों के आधार पर केस री-ओपन किये थे. बाद में इस प्रकरण की शिकायत होने पर बोथरा के उतराधिकारी अधिकारी ने उस उद्यमी के सभी केसों में रिटर्न में दिखाई आय को स्वीकार करते हुए यह भी माना कि री-ओपन के कारण सही नहीं थे.
  1. यही नहीं, बोथरा ने वर्ष 2011–12 में कुछ ही महीनो में 72 केस री-ओपेन कर डाले थे जबकि उससे सम्बंधित बाड़मेर रेंज में बोथरा को छोड़कर री-ओपेन का औसत लगभग मात्र तीन (3) केस प्रति अफसर था. यहाँ पर उल्लेखनीय है उस समय कंप्यूटर स्क्रूटिनी के अलावा किसी केस विशेष को स्क्रूटिनी में लेने लिए मुख्य आयकर आयुक्त की परमिशन लेनी होती थी लेकिन री-ओपन के मामले में यह शर्त लागू नहीं थी जिससे बोथरा ने मुख्य आयकर आयुक्त को दर-किनार कर कुल 72 केसो को री-ओपन कर दिया जिसमे स्क्रूटिनी / कर-निर्धारण की अनिवार्य कार्यवाही की जाती है. 72 केसो को री-ओपन करना पूरे राजस्थान में एक अनूठा कारनामा था.
  1. वर्ष 2011–12 में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT), नई दिल्ली द्वारा जारी एक परिपत्र के अनुसार रू. 15.00 लाख तक की आय वाले रिटर्न का असेसमेंट करने का अधिकार आयकर अधिकारी को दिया गया था और उससे बड़े मामलों में यह अधिकार सहायक आयकर आयुक्त  को दिया गया था लेकिन राजेंद्र बोथरा ने मात्र एक आयकर अधिकारी होते हुये एक या दो  ऐसे मामलो का कर-निर्धारण कर डाला जिसकी रिटर्न में आय 15.00 लाख  से ज्यादा थी, इस तरह से बोथरा ने केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक परिपत्र के विरूद्ध कार्य कर डाला.
  1. सुमेरपुर के बाद बोथरा को आयकर अधिकारी, वार्ड-1, पाली लगाया था. एक मामले में बोथरा के खिलाफ यह भी आरोप लगा है कि आयकर अधिकारी, वार्ड-1 होते हुए बोथरा ने अपने आप को आयकर अधिकारी, सुमेरपुर बताते हुए कोई कार्यवाही की थी. एक तरह से पाली में रहते हुए उसने आयकर अधिकारी, सुमेरपुर का प्रतिरूपण करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में सुमेरपुर के एक कोर्ट में बोथरा के खिलाफ एक फोजदारी प्रकरण भी लंबित है.
  1. बोथरा के खिलाफ सुमेरपुर (राजस्थान) के दो कोर्ट में कुल तीन फोजदारी प्रकरण लंबित है. जिन में से 2 प्रकरण बतोर आयकर अधिकारी चल रहे है. एक मामले में तो बोथरा के साथ-साथ आदर्श-मोदी ग्रुप के मुखिया मुकेश मोदी, पूर्व सीबीआई एस.पी., जोधपुर, पूर्व आयकर आयुक्त (प्रथम), जोधपुर भी शामिल है. इस मामले में बोथरा के खिलाफ षडयंत्र करने का भी आरोप लगाया गया है.
  1. बोथरा ने एक सीए के.सी.मुंदडा के खिलाफ सीए इंस्टिट्यूट (आई.सी.ए.आई.) नई दिल्ली को एक झूठी व अनाधिकृत सरकारी शिकायत की. बाद में उस शिकायत के विरूद्ध आपत्ति होने पर, उस में  काम में लिए गए सरकारी दस्तावेजो सहित पूरी शिकायत को अपनी निजी शिकायत में परिवर्तन कर सरकारी शिकायत का निजी हित में काम लेकर सरकारी सम्पति का भी दुरूपयोग किया. इस शिकायत को भी बाद में सीए इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली द्वारा खारिज कर दिया गया था.

7. जालोर (राजस्थान) पोस्टिंग के दोरान, राजेंद्र बोथरा के उत्पीडन से तंग आकर, वहा के ग्रेनाईट  उद्यमियों ने बोथरा के खिलाफ न केवल लिखित शिकायते की थी बल्कि उसे जालोर से हटाने के लिए एक आन्दोलन तक किया था.  परिणाम स्वरुप ग्रेनाईट  उद्यमियों की नाराजगी व गुस्से को शांत करने के लिए तब के तात्कालीन मुख्य आयकर आयुक्त को जालोर जाना पडा था. इस आन्दोलन व अन्य शिकायतो के चलते उसका ट्रान्सफर सुमेरपुर कर दिया गया था. लगभग 8 माह -10 माह में कुल 3 ट्रान्सफर कर उसे बीकानेर TRO बना कर बिठाया गया था.

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