क्यों मोदी जी नहीं बन सकते दुबारा प्रधान मंत्री?
क्यों मोदी जी नहीं बन सकते दुबारा प्रधान मंत्री?
न हमारी पार्टी कोई वक़्त रखती है और न ही हमारी कोई विशेष आवाज है, लेकिन राजनीतिक अनुभव व संबंधो के आधार पर मै हमारी पार्टी का आंकलन आपके समक्ष रख रहा हूँ. हमारा आंकलन है कि ‘मोदीजी नहीं बन सकते दुबारा प्रधान मंत्री’. क्यों ……………….??
हिन्दुस्तान का इतिहास रहा है जब जब पार्टी गौण हुई और व्यक्ति हावी हुआ है, इसे व्यक्तियों का पराभव हुआ और परिणाम पार्टी ने भुक्ता. अटल जी के 2014 के शाइनिंग इंडिया के मुकाबले काफी कमजोर है मोदी जी का विकास का नारा जिसकी वो स्वयं अब बात भी नहीं करते. अटल जी ने कई राजनीतिक दोस्त बनाए और किसी से भी व्यक्तिगत नाराजगी पैदा नहीं की लेकिन मोदी जी ने अपने व्यवहार व भाषा से अधिकाँश ऐसे दोस्तों को खो दिया और तो और कई दुश्मन पैदा कर लिए. मोदी जी के भाषणों में बीजेपी व NDA गौण है सिर्फ मोदी ही मोदी. बीजेपी पर मोदी-शाह के बीजेपी पर कब्जे से भी पार्टी के कई नेता, कार्यकर्ता और संघ भी अन्दर-अन्दर काफी नाराज है.
सत्ता सुख, हालात और परिस्थितियों के कारण जुड़े NDA के घटक दल भी मोदी जी की भाषा व कार्यशेली घबराया हुए है या नाराज है, मोदी जी के नेतृत्व को पसंद नहीं करते. हर क्षेत्रीय दल मोदी जी की भाषा व कार्यशेली से घबराया हुआ है या नाराज है और हर दल राजनीति में अपनी प्रभावशाली भूमिका चाहता है. कोई भी क्षेत्रीय दल मोदी जी के नेतृत्व को पसंद नहीं करता. 5 वे चरण के मतदान के बाद, मोदी जी का जी न्यूज़ को दिए प्रबंधित (Manage) इंटरव्यू – वो लोक-सभा के लिए राष्ट्र स्तर पर सिर्फ दो पार्टी चाहते है – वो क्षेत्रीय दलो को राष्ट्रीय राजनीति में पसंद नहीं करते.
निसंदेह, मोदी जी भीड़ खेचने वाले, तालिया बजवाने में माहिर, मनोरंजक भाषण देने वाले और वीर-रस के वक्ता है और सिर्फ वादों और बातो से पेट भरने वाले नेता है. वेसे उनके भाषणों में अब दम है ही नहीं. कुछ भी बोल देते है, झूठ तक बोल देते है. इसी चैनल पर ‘देश का सबसे बड़ा झूठ’ जरूर देखे. बिना बीजेपी को स्पष्ट बहुमत, यदि NDA को ठीक ठाक बहुमत मिल भी जाता है, जिसकी ठीक-ठाक संभावना है, तो घटक दल भी मोदी जी को पुन: मौक़ा नहीं देना चाहेंगे, खासतोर पर नितीश कुमार आदि .
बीजेपी खुद को बहुमत नहीं : किसी भी राजनीतिक पंडित और निष्पक्ष मतदाता के अनुसार बीजेपी खुद को बहुमत नहीं मिलने जा रहा है. अच्छे से अच्छा बीजेपी समर्थक (जो कि मोदी जी का अंध-भक्त नहीं है) को भी बीजेपी का बहुमत नजर नहीं आ रहा है. खुद बीजेपी के बहुमत या कम से कम 250 सीटे जीतने पर ही मोदी जी को मिलेगा मौक़ा, जिसकी बहुत कम संभावना है. EVM का कोई चमत्कार ही बीजेपी को बहुमत दिला सकता है. हालाकि ……
राहुल गांधी (कमजोर व्यक्तित्व) व कांग्रेस (कमजोर पार्टी) को नकारात्मक पब्लिसिटी देना, मोदी जी की रणनीति का हिस्सा. क्योकि राहुल गांधी न तो PM की रेस में है और न ही कोई मानता है. अदृश्य तीसरा मोर्चा (बीजेपी-कांग्रेस मुक्त) देगा नया PM. बिना बीजेपी को स्पष्ट बहुमत, यदि NDA को ठीक ठाक बहुमत मिल जाता है, तो आरएसएस के लिए व NDA में गडकरी सबसे स्वीकार्य चहरे होंगे. अदृश्य तीसरा मोर्चा यदि सरकार बनाता है, सीटो की संख्या के आधार पर मायावती, ममता, शरद पंवार के सबसे ज्यादा चांस है. प्रयास में तो KCR और नीतिश कुमार भी है.
सारांश : अब बीजेपी में भी मोदी अंध-भक्तो को छोड़कर ‘मोदी जी’ किसी की भी पहली पसंद नहीं है.
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