व्यापार जगत को गेर-जरूरी जीएसटी के रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आर.सी.एम.) का दंश क्यों भोगना पड़ेगा – इससे सरकार को क्या मिलेगा ?
जीएसटी (GST) में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम. (Reverse Charge Mechanism – RCM) नामक एक नई व्यवस्था जोड़ी गयी है जिससे लगभग हर डीलर-व्यापारी प्रभावी होगा, या यो कहे कि RCM का दंश GST में रजिस्टर्ड प्रत्येक डीलर को भोगना पडेगा. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम. शब्दों में कही भी टैक्स शब्द का इश्तेमाल नहीं हुआ है, फिर भी इस व्यवस्था में ऐसा क्या है जिससे हरेक रजिस्टर्ड डीलर प्रभावित होगा.
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम. को समझने के लिए थोड़ा इतिहास को देखना होगा. इतिहास में आर.सी.एम के समकक्ष व्यवस्था सेल्स टैक्स के जमाने में Purchase Tax (पी.टी) के नाम से जानी जाती थी तथा वैट के जमाने में Reverse Tax (रिवर्स टैक्स) के नाम से. लेकिन दोनों पूर्व क़ानून व्यवस्थाओं में टैक्स(Tax) शब्द स्पष्ट था, जबकि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम. में ‘टैक्स’ शब्द शामिल नहीं है. सही अर्थो में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम. एक टैक्स की लेवी नहीं है जबकि Purchase Tax (पी.टी ) व Reverse Tax (रिवर्स टैक्स) स्पष्टत: टैक्स लेवी थे.
जीएसटी (GST) राज में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम क्या है – जीएसटी (GST) भी एक तरह से VAT (वैट) आधारित टैक्स व्यवस्था ही है, जिसमे अंतिम बिक्री (उपभोक्ता को) मूल्य पर सेल्स टैक्स की वसूली की जाती है. इसी व्यवस्था में इनपुट की व्यवस्था है जिसमे खरीद पर लगे टैक्स का इनपुट बिक्री पर वसूले गए टैक्स के सामने की जाती है. यह एक मल्टीप्ल लेवल टैक्स होते हुए भी फाइनल टैक्स उतना ही देना होता है जितना अंतिम सेल्स (बिक्री) पर बनता हो. इसी प्रक्रिया के अनुसार एक रजिस्टर्ड डीलर को उसकी सारी अन-रजिस्टर्ड डीलर से की गयी सभी तरह की खरीदी (माल व सेवा) पर रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम के तहत उस माल व सेवा पर एक बार अपनी जेब से RCM भरना होता है जिसका इनपुट उसे कुल देय टैक्स के सामने मिल जाता है. यह RCM (टैक्स) एक बार रजिस्टर्ड डीलर की जेब से जाता है लेकिन दूसरी तरफ देय टैक्स में से उसे कम करके ही भरना होता है, इस तरह से रजिस्टर्ड डीलर की जेब से रिवर्स टैक्स कुछ दिनों के लिए जाता है जो उसे वापिस मिल जाता है. स्पष्ट है कि Purchase Tax (पी.टी ) व Reverse Tax (रिवर्स टैक्स) की तरह इसको रजिस्टर्ड डीलर से वसूला नहीं जाता है.
इन तीनो व्यवस्थाओं को नीचे दिए जा रहे चार्ट से समझा जा सकता है, जिसमे उदाहरण के लिए माना जा रहा है कि तीनो व्यवस्थाओं में टैक्स रेट एक सामान 5 प्रतिशत है –
Transaction | रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम | Reverse Tax (रिवर्स टैक्स) व्यवस्था | Purchase Tax (पी.टी) व्यवस्था |
Gross Turnover | 1,00,00,000/- | 1,00,00,000/- | 1,00,00,000/- |
Output Tax @ 5% | 5,00,000/- | 5,00,000/- | 5,00,000/- |
URD Purchases | 10,00,000/- | 10,00,000/- | 10,00,000/- |
PT/RT/RCM @5% | 50,000/- | 50,000/- | 50,000/- |
Total Tax Payable | 5,50,000/- | 5,50,000/- | 5,50,000/- |
Input Credit of PT/RT/RCM (-) | 50,000/- | 0/- | 0/- |
Final Tax Payable | 5,00,000/- | 5,50,000/– | 5,50,000/– |
इस चार्ट से स्पष्ट है कि पुरानी दोनों व्यवस्था में सरकार को आउटपुट टैक्स तो रू. 5,00,000/- ही मिलता था लेकिन कुल / फाइनल राजस्व (Revenue) रू. 5,50,000/- (5,00,000/- + 50,000/-) मिलता था लेकिन जीएसटी (GST) में रू. 5,00,000/- का ही राजस्व मिलता है. इसी आधार पर सरकार का दावा है कि जीएसटी (GST) से उपभोक्ता को सामान सस्ता मिलेगा.
जीएसटी (GST) में सरकार को आर.सी.एम. से क्या मिला – उपरोक्त सरल उदाहरण से स्पष्ट है कि इस पेचीदा रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम व्यवस्था से सरकार को कोई अतिरिक्त राजस्व नहीं मिलता और कोई भी दूसरा राज्य का भी राजस्व भी प्रभावित नहीं होता है, तो इस व्यवस्था का क्या लाभ ? यह सत्य है कि इस व्यवस्था से न तो सरकार को कुछ मिला और नहीं व्यापारी का कुछ गया तो फिर ऐसी व्यवस्था एक ही कारण हो सकता है – व्यापारी के साथ ज्यादती (HARASSMENT).
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम एक तरह से एडवांस टैक्स की व्यवस्था है : जेसा ऊपर लिखा गया कि सरकार को एक रूपये का अतिरिक्त राजस्व नहीं मिलेगा लेकिन रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम्ए के तहत एक बार व्यापारी को अपनी जेब से टैक्स कुछ दिनों-महीनो के लिए आयकर के एडवांस-टैक्स की तरह से भरना होगा जिस पर सरकार कोई ब्याज नहीं देगी. इससे स्पष्ट है कि मात्र टैक्स की एडवांस में वसूली के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम लाया गया.
सारांश : उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि मात्र टैक्स की एडवांस में वसूली के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म – आर.सी.एम का जो भी मकडजाल बुना गया है वो व्यापार जगत के साथ ज्यादती (HARASSMENT) के अलावा और कुछ भी नहीं है. व्यापार जगत को तंग करने में ही सभी सरकारो को आनंद आता है क्योकि सरकार की नजर में अल्पसंख्यक व्यापारी न तो गरीब की श्रेणी के वोट बैंक में आता है और न ही किसी पिछड़ी जाति में के वोट बैंक में.
- सीए के.सी.मूंदड़ा / CA. K.C.Moondra
kya RCM Bharna anivarya hai ya nahi ?
jankari de
RCM (if applicable) is compulsory to be deposited once.