बजट 2017 से बिज़नसमेन सावधान हो जाइये !!
Posted: 6:21 am, February 14, 2017 by Kailash Moondra
बजट 2017 से बिज़नसमेन सावधान हो जाइये !!
बजट 2017 के प्रावधानों के पर नजर डालेंगे तो हर कोई कहेगा “बजट 20 17 से बिज़नस मेन सावधान हो जाइये” वरना बहुत बड़ा नुकसान एक बिज़नस मेन को भुगतना पड़ सकता है. गरीबो की इस मसीहा सरकार ने बिज़नस मेन के लिए इतने कड़क / सख्त प्रावधान बना दिए है कि “सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी” .
एक हिन्दी अखबार ने तो यहाँ तक लिख दिया कि अब इंस्पेक्टर राज की वापसी हो सकती है. लेकिन मै यहाँ नीचे आपका ध्यान उन सख्त प्रावधानों तरफ ले जाना चाहूँगा जो कि हकीकत में व्यापारियों के लिए चिंताजनक है. देश का व्यापार पहले से ही मंदी की मार झेल रहा है, इन सख्त प्रावधानों से व्यापार की गति ओर धीमे हो सकती है –
- अब आयकर की 132(1) व धारा 132(1A) के तहत की जानी वाली सर्च (रेड) से पहले दर्ज किये जाने कारणों को किसी को भी बताने की कोई आवशयकता नहीं रहेगी जिससे आयकर अधिकारियों को फर्जीवाड़े व मनमर्जी करने की पूरी आजादी मिल जायेगी.
- सर्च केस में अब अधिकृत अधिकारी राजस्व हित में किसी भी सम्पति को अधिकतम 6 महीने के लिए अस्थाइ तोर पर कुर्क कर सकेंगे.
- अब यदि किसी सर्च केस में 50 लाख से ज्यादा की छिपी हुई आय / सम्पति पुराने वर्षो की उजागर होती है तो अधिकतम पिछले 10 वर्ष तक के केस पुन: खोले जा सकेंगे. यानी की अब इसे मामलों में कुल 11 वर्ष का कर-निर्धारण किया जा सकता है. जबकि वर्तमान में यह सीमा मात्र 7 वर्ष की ही थी. Earlier governments reduced such period from 16 years to 6 years. Now, government is increasing the period again.
- अब सर्वे की कार्यवाही धर्मार्थ संस्थानों (स्कूल, कॉलेज आदि) के विरूद्ध भी हो सकेगी.
- किसी भी आयकर रिटर्न में भूल सुधार करने के के समय में 1 वर्ष की कटोती कर दी गयी है जिससे देरी से गलती का पता चलने पर वह मामला भूल के स्थान पर कर-चोरी का बन जाएगा.
- बिना लेट फीस (पेनल्टी) के रिटर्न जमा कराने की मयाद घटा दी गयी है तथा 5000 की पेनल्टी की जगह 10,000/- तक की लेट फीस का प्रावधान कर दिया गया है.
- बिना कर-निर्धारण के धारा 143(1) में किसी का भी रिफंड बनता है तो अब सरकार राजस्व हित के बहाने रिफंड को रोक सकेगी. जिससे भ्रष्टाचार बढ़ सकता है.
- कोई भी व्यक्ति / व्यापारी / Businessmen किसी एक सोदे के पेटे एक दिन में 3.00 लाख या ज्यादा का भुगतान नकदी स्वीकार नहीं कर सकेगा. क़ानून के उल्लंघन पर 100% प्रतिशत पेनल्टी लगेगी.
- अब खर्चो के लिए 10,000 रू. से ज्यादा नकद भुगतान पर एक तरह से पाबंदी लगा दी गयी है. पूर्व में यह छूट सीमा 20,000/- रू. थी.
- अब पूंजीगत खर्चो के लिए 10,000 रू. से ज्यादा नकद भुगतान पर, उस डेप्रिसिएशन लायक सम्पति पर कोई डेप्रिसिएशन नहीं मिलेगा. पूर्व में ऐसी कोई शर्त नहीं थी.
- यदि किसी कंपनी (company in which the public are substantially interested व कुछ और मामलों को छोड़कर) की 50% से ज्यादा शेयर होल्डिंग बदल जाती है तो उस कंपनी को Loss Carry फॉरवर्ड का फ़ायदा नहीं मिलेगा.
- यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को किसी प्रॉपर्टी से बेचान से सम्बंधित किसी अग्रीमेंट के लिए किसी भी राशि का भुगतान करता है तो उस राशि पर 10% की दर से TDS की कटोती TDS जमा कराना होगा. कोई न्यूनतम सीमा नहीं रखी गयी है.
- TCS – यदि जिससे TCS होना है, वह व्यक्ति भूलवश भी अपना सही PAN नहीं देता है तो दोगुनी रेट या 5% (जो भी ज्यादा हो) की दर से TCS करना होगा.
- यदि कोई जमीन या बिल्डिंग किसी विशेष अग्रीमेंट (डेवेलोपेर्स अग्रीमेंट) के तहत ट्रान्सफर करता है तो जिस वर्ष में अग्रीमेंट के तहत बिल्डिंग का निर्माण पूरा हो जाएगा, करदाता के हिस्से पर उस वर्ष की स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू पर, उस वर्ष में कैपिटल गेन की आय पर बिना माल बेचे ही tax लगेगा. इस प्रावधान से रियल एस्टेट मार्किट को धक्का लगेगा.
- अनलिस्टेड shares के ट्रान्सफर पर कैपिटल गेन की गणना के लिए सरकारी फोर्मुले से fair market वैल्यू की गणना की जायेगी जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.
- यदि कोई भी व्यक्ति (Individual) या HUF किसी भी व्यक्ति को रू. 50,000/- मासिक किराये से ज्यादा भुगतान करता है तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति (Individual) या HUF को 5% दर से TDS की कटोती कर TDS जमा कराना होगा.
सीए के.सी.मूंदड़ा (CA. K.C.Moondra)
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