राजसमन्द (राजस्थान) में भी आयकर सर्च में अमानवीयतापूर्ण जोर-जबरदस्ती (आयकर सर्च भाग- 8)
राजसमन्द (Rajasamand) में भी आयकर सर्च (Income-tax Search) में अमानवीयतापूर्ण जोर-जबरदस्ती (आयकर सर्च भाग-8)
जेसा कि मेने मेरे पिछले कुछ लेखो में एक ग्रुप विशेष से जुडी 21 से 24 मार्च को हुई आयकर सर्च में हुई ज्यादतियों के सम्बन्ध में काफी जानकारिया दी थी. खासतोर पर आयकर सर्च भाग – 3 व आयकर सर्च भाग – 1 में मेने बताया था कि किस तरह से उदयपुर (Udaipur) व सिरोही (Sirohi) में आयकर अफसरों द्वारा मारपीट तक की गयी.
तहकीकात को आगे बढाने पर ज्ञात हुआ कि राजसमन्द में एक स्थान पर रिद्धि सिद्धि एसोसिएट्स (रॉयल्टी ठेकेदार) के विरूद्धू आयकर सर्वे की कार्यवाही की गयी थी जबकि दूसरे स्थान पर शराब के व्यापारियो के एक ग्रुप के विरूद्ध सर्च की कार्यवाही की गयी थी. उदयपुर व सिरोही की तरह धमकियों के बावजूद मारपीट नहीं की गयी और न ही मारपीट करवाई गयी. राजसमन्द में विभागीय लोगो के द्वारा की गयी दादागिरी के द्वारा निम्न गेर-कानूनी / अमानवीय कृत्य किये थे –
- सर्च स्थल से अलग शराब की दो दुकानों को जबरदस्ती बंद करवाकर ताला लगाकर चाबी अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले ली.
- शराब की एक दूकान के सेल्समेन को दूकान बंद करवाकर जबदस्ती सर्च स्थल पर लाया गया तथा उसे डराया-धमकाया गया. यही नहीं उसे टार्चर करने के लिए फिल्मी स्टाइल से 15 – 20 मिनट तक एक बंद पुराने जालो व मकड़ियो से भरे टॉयलेट में बंद करके टार्चर किया गया . उस टॉयलेट में एक खिड़की तक नहीं थी.
- सर्च स्थल के एक प्रमुख कर्मचारी (जो रात में चड्डा-बनियान में ही सोया था) को 21 मार्च को पूरे दिन भर चड्डे-बनियान में ही रखा गया, सबसे सीनियर अफसर के शाम के समय बाहर निकलने के बाद ही दूसरे एक सहयोगी अधिकारी ने उसे कपडे पहनने की इजाजत दी.
- सर्च व सर्वे स्थलों पर कम से कम 4 अलमारियो व कमरों के तालो को सर्च व सर्वे स्थलो के कर्मचारियो से जोर-जबरदस्ती कर तुड़वाया गया.
- 21 मार्च को कुल दो स्थानों पर सर्च / सर्वे की कार्यवाहिया अल-सुबह लगभग 5.30 बजे प्रारम्भ की गयी थी, उन दोनों स्थानों पर CCTV केमरों की व्यवस्था थी लेकिन अपने गेर-कानूनी कृत्यों को छिपाने के लिए उन कैमेरो को जबरदस्ती बंद कर दिया गया था या बंद करवा दिया गया.
- हद तो तब कर दी जब सर्च संबंधी एक भी कागजात सर्च स्थल के किसी भी कर्मचारी को नहीं दिया गया. कर्मचारियों से सिर्फ सेकड़ो हस्ताक्षर लिए लेकिन कागज़ एक नहीं दिया. यहाँ तक कि रोकड़ जब्ती की रसीद भी नहीं देकर गए. इन हालातो में किसी भी कागज़ पर किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा करना ऐसे अधिकारियों के लिए संभव हो सकेगा.
- सर्च टीम के सदस्यों ने न तो प्रवेश के समय कोई अपनी-अपनी तलाशी दी और न ही सर्च की समाप्ति पर तलाशी दी बल्कि दिन भर, ये लोग आराम से बिना किसी रोकटोक के सर्च स्थल से अन्दर-बाहर आ-जा रहे थे. यही सिलसिला दोनों रातो में भी चला.
एक सर्च स्थल पर तो कोई कागज़ या रसीद भी छोड़कर नहीं गए जिससे मालूम ही नहीं पड़ रहा है की सर्च में क्या हुआ और क्या मिला ? मेरे स्वयं के 36 वर्ष के अनुभव में ऐसी कार्यवाही पहली बार देखी गयी जहा कोई कागजात / रसीद देकर ही नहीं गए. ऐसी परिस्थितियों उन बनाए हुए कागजातों की विश्सनीयतता ही क्या रह जाती है ?
इस तरह से आयकर सर्च टीम के सदस्यों ने अपने दादा-गिरी पूर्ण गेर-कानूनी कृत्यों से आयकर विभाग की सुधरती इमेज (image) को बड़ा नुकसान पहुचाया है तथा एक तरह से राजस्थान पुलिस को आयकर विभाग से अच्छा साबित करने का एक मौका भी दिया है.
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