Saturday, November 23, 2019

जीएसटी में टैक्स से कही ज्यादा हो सकती है पेनेल्टी, कर देगी कई व्यापारियों को अधमरा-घायल.  

जीएसटी में टैक्स से कही ज्यादा हो सकती है पेनेल्टी,  कर देगी कई व्यापारियों को अधमरा-घायल.

 

जीएसटी (GST) से आम व्यापारी (Regular Trader) बड़ा ही चिंताग्रस्त है,जिसमे तो उसे अभी तक जीएसटी  की कई बाते मालूम ही नहीं है. किसी भी सरकार को कोई भी टैक्स क़ानून क्यों नहीं हो, हर क़ानून में ब्याज व पेनल्टी के प्रावधान ( Provisions of Interest and Penalty) होते है. ऐसे ही पेनल्टी के प्रावधान सेल्स टैक्स क़ानून (Sales-tax Law) में भी थे और वैट क़ानून (Vat Law)  में भी थे. लेकिन जीएसटी में ऐसी पेनेल्टियो की संख्या बहुत ज्यादा है.

एक आम व्यापारी को तो अपने व्यापार करने से भी कही ज्यादा एनर्जी / ताकत / खर्चा  ऐसी पेनेल्टियो से बचने में लगानी पड़ेगी. यदि कोई भी व्यापारी, यदि ऐसी पेनेल्टियो से नहीं बच पाया तो भी समझो, वह व्यापारी अधमरा तो अवश्य हो ही जाएगा और उस स्थिति में उसका व्यापार तो भगवान भरोसे ही हो पायेगा. उदाहरण के लिए, एक नियमित व्यापारी को कुल 37 रिटर्न (37 Returns) भरने है, तो इन 37 रिटर्न्स मे से प्रत्येक रिटर्न की देरी (Delay in GST Returns)  के लिए अलग-अलग पेनल्टी है या अन्य कोई दण्ड (Fine)  या नुकसान (Loss or Damage) .

कुछ जिम्मेदारियों की पालना करने के लिए तो के लिए तो मात्र 2 दिनों का ही समय दिया गया है, जिससे रेलवे रिजर्वेशन (Railway Reservation) की लाइन तरह पूरा चोकन्ना रह कर जिम्मेद्दारी निभानी होगी अन्यथा भारी नुकसान हो सकता है. हर महीने की 11 से 15 तारीख तक खरीददार विक्रेता द्वारा डाली गयी बिक्री की एंट्री चेक कर पायेगा तथा यदि कोई गलती या कमी हो तो 15 तारीख तक सुधार कर सकता .

इस सुधार के बाद विक्रेता 2 के अन्दर-अन्दर उस सुधार को approve करेगा, यदि विक्रेता ने 2 दिन में उस सुधार को स्वीकार नहीं किया तो  क्रेता को इनपुट नहीं मिलेगा. सरकारी वेबसाइट का नहीं  चलना (GST Website Failure), बीमारी (Sickness) या मौत-मर्तंग (Death) आदि कारण की छुट भी व्यापारी काम नहीं आयेगी. पेनेल्टियो की पूरी  लिस्ट हम कल प्रकाशित करेंगे लेकिन तदर्थ रूप से आज इतना ही समझ ले कि किन-किन मामलों में पेनेल्टियो की भारी व्यवस्था की गयी है जो कि भारी भरकम 24% तक ब्याज से अलग है –

  1. रजिस्ट्रेशन (GST Registration) नहीं लेने की पेनल्टी
  2. सभी Monthly Purchase Return नहीं भरने की अलग-अलग पेनल्टी.
  3. सभी Monthly Sales Return नहीं भरने की अलग-अलग पेनल्टी.
  4. देरी से पेमेंट करने की पेनल्टी (Delayed Payments).
  5. कम पेमेंट करने की पेनल्टी (Short Payment).
  6. क्लेम गलत साबित हो जाने पर पेनल्टी (Wrong / False Claim).
  7. टैक्स इनवॉइस (Tax Invoice / Bill Of Supply) नहीं काटने की पेनल्टी.
  8. डिलीवरी चालान (Delivery Challan) नहीं काटने की पेनल्टी.
  9. बिना GR माल का परिवहन करने.
  10. HSN code नहीं लिखने की पेनल्टी.
  11. डीलर के फर्म के बोर्ड पर GSTIN नहीं लिखने की पेनल्टी.
  12. 50,000 से ज्यादा कैश बिल पर क्रेता की डिटेल नहीं लेने की पेनल्टी.
  13. सप्लायर  द्वारा टैक्स जमा नहीं करने की वसूली क्रेता से.
  14. URD purchase(RCM Invoice)  Bill नहीं बनाने की पेनल्टी.
  15. किसी भी return के डाटा फीडिंग (Data Feeding) में हुई गलती की पेनल्टी.
  16. समय पर 30.06.17 के स्टॉक डिटेल (Stock Details) नहीं देने की पेनल्टी / नुकसान .
  17. टैक्स चोरी (Tax Evasion) की पेनल्टी, आदि आदि ऐसी अनेको पेनेल्टिया है.

उपरोक्त लिस्ट से एक बात स्पष्ट है कि एक व्यापारी को एक करतब दिखाने वाले नट की तरह रस्सी पर एकाग्रचित होकर चलते जाना है. जहा भी चूक हुई / देरी हुई, दुर्घटना पक्की है.  छोटी से छोटी चूक काफी महंगी साबित हो सकती है, अत: अभी से कमर कस ले और जीएसटी क़ानून (GST Law) के अनुसार अपने आप को अनुशासित (Disciplined) कर ले. कई पेनल्टी तो आटोमेटिक (Automatic Penalty) है जिसके लिए सुनवाई का भी मौका नहीं मिलने वाला है.

अत: तय है जी एस टी में “ नजर हटी – दुर्घटना घटी “ – Lost the Sight – Accident Might.

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