Tuesday, September 17, 2019

कर्नाटक मंत्री पर आयकर की रेड – क्या सी.आर.पी.एफ की उपस्थिति जायज है – दर्ज हो सकती है FIR ?  

कर्नाटक मंत्री पर आयकर की रेड – क्या सी.आर.पी.एफ / पुलिस की उपस्थिति जायज है – दर्ज हो सकती है FIR ? 

03.08.2017 : कल सुबह से ही सारे मीडिया चेनल्स (Media Channels) पर व बाद में राज्य सभा (Rajya Sabha) में कर्नाटक के एक  मंत्री (Karnataka Minister) डी. के. राजकुमार (D.K.Rajkumar) के विरूद्ध आयकर की रेड (Incometax Raid / Search) का मामला छाया रहा. टीवी चेनल्स पर कांग्रेस के कई नेताओं (Congress Leaders) ने एक गंभीर आरोप (Serious Allegation) लगाया कि भारत के इतिहास में पहली (First time in Indian History) बार एक इनकम टैक्स की रेड में सी.आर.पी.एफ. की तेनाती (CRPF in Income-tax Raid / Search) की गयी. एक  दूसरा गंभीर आरोप यह भी लगाया गया है कि बिना राज्य सरकार की अनुमति के सी.आर.पी.एफ. की तेनाती किसी भी राज्य में नहीं की जा सकती.

गुजरात (Gujarat) व कर्नाटक (Karnataka) में चल रही राजनीतिक घटनाक्रम के सन्दर्भ में यह कार्यवाही व आरोप काफी महत्त्वपूर्ण हो जाती है. इस लेख में, आरोपों से हटकर देखने का प्रयास किया जाएगा कि क्या  एक इनकम टैक्स की रेड में सी.आर.पी.एफ. की तेनाती जायज व क़ानून सम्मत है और क्या सी.आर.पी.एफ. के जवानो के विरूद्ध  FIR भी दर्ज करवाकर (FIR Against CRPF Jawans) उन्हें दण्डित भी करवाया जा सकता है.

एक इनकम टैक्स की रेड में सी.आर.पी.एफ. की तेनाती जायज व क़ानून सम्मत है ?  :  मेरे व्यक्तिगत अनुभव के अनुसार आयकर की रेड में सी.आर.पी.एफ या पुलिस  की साधारणतया कोई आवश्यकता नहीं होती है लेकिन करदाता को डराने-धमकाने या दबाव का माहोल बनाने के लिए राइफल धारी पुलिस का दुरूपयोग (Misuse of CRPF) किया जाता है. ऐसा आम व्यापारियों के साथ रोज होता रहता है लेकिन इस बार बड़े नेताओं के साथ हुआ इसलिए मामला चर्चामय हो गया.

आयकर अधिनियम,1961 (Income-tax Act, 1961) की धारा 132(2) के अनुसार रेड / सर्च  के लिए अधिकृत अधिकारी (Authorised Officer) रेड के क्रियान्वयन (बिल्डिंग में प्रवेश करने के लिए, तलाशी लेने के लिए या तलाशी के लिए तोड़फोड़ करने के लिए आदि) में सहयोग करने के लिए किसी भी पुलिस अधिकारी, केंद्र सरकार के किसी भी अधिकारी या दोनों को  बुला सकता है / तलब कर सकता है (Requisition of Police Officers and Central Govt. Officers) तथा ऐसा आदेशित (तलब किया हुआ) अधिकारी , रेड के लिए अधिकृत आयकर अधिकारी के आदेश को मानने के लिए बाध्य है.

अत: इस क़ानून के तहत ही  सी.आर.पी.एफ या पुलिस  की नियुक्ति की जाती है न कि भारत सरकार के किसी भी आदेश से. अत:  कर्नाटक की इस आयकर रेड में  सी.आर.पी.एफ  के अफसरों की उपस्थिति कानूनन जायज है. लेकिन व्यवहार में यह भी देखा गया है कि मात्र  एक पुलिस के अधिकारी को एक पत्र देकर पुलिस संख्या बताकर जवान मांग लिए जाते है जो कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132(2) के प्रावधानों के खिलाफ है क्योकि हर उपस्थित व्यक्ति,  पुलिस या केंद्र सरकार का अधिकारी होना चाहिए तथा हरेक के पास रेड / सर्च  के लिए अधिकृत आयकर अधिकारी का आदेश भी होना चाहिए.

आयकर अधिनियम के किसी भी प्रावधान के अनुसार आयकर विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को सर्च / रेड के दोरान हथियार रखने का अधिकार नहीं है, अत: उनके किसी भी सहयोगी को भी सर्च / रेड के दोरान हथियार रखने की इजाजत नहीं हो सकती क्योकि  आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132(2) के अनुसार रेड के क्रियान्वयन के लिए किसी भी हथियार की कोई जरूरत नहीं होती. कोई भी बताये कि राइफल / AK 47 से रेड का कोन  सा काम किया जा सकता है. अभी कुछ ही दिनों पहले एक सर्वे की अपील की सुनवाई के दोरान आयकर ट्रिब्यूनल (Income-tax Tribunal – ITAT) में खुले तोर पर आयकर ट्रिब्यूनल के सदस्य ने कहा था कि बिना दबाव बनाए कोन सरेंडर करता है ?

लेकिन मेरी स्पष्ट कानूनी राय  है कि AK 47 या अन्य हथियारों का किसी  भी रूप में उपयोग आयकर रेड में करना  गेर-कानूनी है (Illegal)  तथा अधिकृत आयकर अधिकारी के प्रत्येक सी.आर.पी.एफ  जवान के लिए अलग-अलग आदेश के अभाव में, उनकी उपस्थिति भी गेर-कानूनी है. हालाकि कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए, ऐसे आदेश पिछली तारीखों (बेक डेट) अभी भी / कभी भी बनाए जा सकते है.

दर्ज हो सकती है FIR ? : एक तरफ सशस्त्र प्रत्येक सी.आर.पी.एफ  जवान की तेनाती व रेड में हथियारों का उपयोग गेर-कानूनी है  तथा दूसरी तरफ मामला प्रत्यक्षत: राजनीतिक है. अत: यदि पीड़ित करदाता को कर्नाटक की पुलिस मदद करे (जिसकी बहुत ज्यादा संभावना है) तो  सी.आर.पी.एफ  के एक-एक जवान या उन्हें आदेश देने वाले उच्चा अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज हो सकतीहै. यही नहीं करदाता के साथ किसी भी सी.आर.पी.एफ  जवान या आयकर अधिकारी द्वारा की गयी ज्यादती के विरूद्ध भी FIR दर्ज हो सकती है. वर्त्तमान में चल रहे शह-मात के खेल में इस प्रकरण में ऐसी अनेक FIR अगले कुछ दिनों में दर्ज हो सकती है.

वित्त मंत्री का आश्चर्य जनक बयान :  लगभग देश के सभी न्यूज़ चैनल्स पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सफाई दी कि सी.आर.पी.एफ  जवान तो सिर्फ मंत्री को सर्च के काम को पूरा करने के लिए उसे घर पर ले जाने के लिए आये थे. लेकिन आयकर क़ानून में किसी भी करदाता को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कोई अधिकार ही नहीं है. 

सीए के.सी. मूंदड़ा / CA. K.C.Moondra

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