Friday, December 20, 2019

कितनी फायदेमंद है जीएसटी कंपोजिशन स्कीम ?  

हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने कंपोजिशन स्कीम की लिमिट को 50 लाख रुपए वार्षिक टर्नओवर से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दिया है। आज बहुत से कारोबारियों के मन में यह सवाल उठ रहे है कि उन्हें जीएसटी में रेगुलर स्कीम में टैक्स भरना चाहिए या कंपोजिशन स्कीम अपनाना चाहिए। कौन सी स्कीम अपनाई जाए इसका कोई स्पष्ट जवाब तो नहीं है बल्कि इसका निर्णय केस दर केस ही हो सकता है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है।

अगर किसी व्यापारी का कुल वार्षिक टर्नओवर 25 लाख रुपए है। उसकी कुल खरीदी 20 लाख है और जीएसटी की दर 5 फीसदी है। अब उसे निर्णय करना है कि वो कंपोजिशन स्कीन अपनाएं या नहीं।

■यह मानते हुए कि विक्रय मूल्य में टैक्स की रकम जोड़कर उसे बढ़ाया नहीं जा सकता है अगर वो कंपोजिशन स्कीम अपनाते हैं तो कर दायित्व और मुनाफे की स्थिति ऐसी होगी हालाकि व्यवहार में ऐसा होता नहीं है.

कुल वार्षिक बिक्री 25 लाख

कुल वार्षिक खरीदी 20 लाख

खरीदी पर 5% जीएसटी 1 लाख

कुल खरीदी मूल्य 21 लाख

मुनाफा 4 लाख

कंपोजिशन टैक्स 1%  यानि 25 हजार

नेट मुनाफा 3.75 लाख

जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाएंगे उन्हें जीएसटी वसूली का अधिकार नहीं रहेगा। इसलिए ऐसे में 25 लाख की विक्रय रकम पर 5 फीसदी जीएसटी अलग से वसूल नहीं कर पाएंगे।

■लेकिन यदि व्यापारी टैक्स को सेल्स प्राइस में जोड़कर माल बेचता है (जेसाकी व्यवहार में होता है), तो कम्पोजीशन सेल व मुनाफे की स्थिति निम्नानुसार रहेगी –

कुल वार्षिक बिक्री 26.25 लाख ( टैक्स को सेल्स प्राइस में जोड़ने के बाद)

कुल वार्षिक खरीदी 20 लाख

खरीदी पर 5% जीएसटी 1 लाख

कुल खरीदी मूल्य 21 लाख

मुनाफा 5.25  लाख

कंपोजिशन टैक्स 1%  यानि  26, 250

नेट मुनाफा 4,98,750

■अगर व्यापारी कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो उनकी स्थिति ऐसी होगी :-

कुल वार्षिक बिक्री- 25 लाख

कुल वार्षिक खरीदी- 20 लाख

कुल मुनाफा- 5 लाख

विक्रय पर 5% जीएसटी 1.25 लाख

खरीदी पर 5% जीएसटी 1 लाख

जीएसटी का दायित्व 25 हजार

नेट मुनाफा 4,75,000

इस तरह व्यापारी अगर कंपोजिशन स्कीम अपनाते हैं तो उनका मुनाफा 3.75 लाख या 4,98,750/- होगा लेकिन अगर वो कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो उनका मुनाफा 4.75  लाख रुपए हो सकता है क्योंकि अगर वो कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो वो 5 फीसदी जीएसटी की वसूली अलग से कर सकते हैं। उपरोक्त गणना को सरलता से समझाने के लिए नीचे चार्ट प्रस्तुत किया जा रहा है-

 स्कीम (बिना टैक्स वसूली के) कम्पोजीशन स्कीम (टैक्स वसूली के साथ ) टैक्सेबल
कुल वार्षिक बिक्री 25 लाख

 

26.25 लाख 25 लाख

 

कुल वार्षिक खरीदी 20 लाख

 

20 लाख 20 लाख
खरीदी पर 5% जीएसटी 1 लाख 1 लाख

 

1 लाख
कुल खरीदी मूल्य 21 लाख

 

21 लाख

 

20 लाख
मुनाफा 4 लाख

 

5.25  लाख

 

5 लाख

 

टैक्स का दायित्व 25,000/- 26, 250/-

 

25,000/-
नेट मुनाफा 3,75,000/- लाख

 

4,98,750/-

 

4,75,000/-

 

 

कैसे करें निर्णय

कंपोजिशन स्कीम को अपनाया जाए या नहीं इसका निर्णय इन पहलुओं पर निर्भर है :-

●विक्रय की जा रही वस्तु किस मूल्य पर बेची जा सकती है क्या उसे एक तय राशि पर बेचना जरूरी है, क्या प्रतिस्पर्धा की वजह से कीमतें बढ़ाना संभव नहीं है। यदि यह स्थिति बनती है तो कंपोजिशन स्कीम अपनाना ठीक नहीं होगा क्योंकि फिर व्यापारी को ही खरीदी मूल्य पर चुकाए गए कर का भार वहन करना होगा।

●माल किससे खरीदा जा रहा है रजिस्टर्ड डीलर से अथवा बिना रजिस्टर्ड डीलर से। अगर बिना रजिस्टर्ड डीलर से भी माल खरीदा जा रहा है तो ऐसी खरीदी पर रिवर्स चार्ज में टैक्स देना होगा। जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाएंगे, वे रिवर्स चार्ज में चुकाए गए टैक्स की इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं ले पाएंगे।

●माल बेचने में उपयोग की जा रही सेवाएं कौन सी है क्या उन पर लग रहे जीएसटी की छूट मिल सकती है। जैसे यदि किसी शॉपिंग मॉल में दुकान हो और उसके किराए पर जीएसटी देना पड़े तो जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाएंगे उन्हें किराए पर चुकाए गए जीएसटी की छूट नहीं मिल पाएगी।

●कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाले व्यापारी को विस्तृत हिसाब नहीं रखना होगा और साल भर में केवल 5 रिटर्न ही जमा करने होंगे। वहीं कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाने वाले व्यापारी को अपने व्यापार का विस्तृत हिसाब रखना होगा और साल भर में कुल 37 रिटर्न इसके लिए भरने  होंगे। इसके लिए उन्हें नियमित एकाउंटेंट रखना होगा और अपने सीए से ज्यादा सेवाए लेनी होंगी। इसलिए कंपोजिशन स्कीम अपनाएं या नहीं इसका कॉस्ट बेनिफिट एनालिसिस भी करना होगा।

●यदि विक्रय की जा रही वस्तु को तय कीमत पर बेचना जरूरी नहीं हो और विक्रय मूल्य ग्राहक के अनुसान बढ़ाए-घटाए जा सकते हो तो कंपोजिशन स्कीम अपनाई जा सकती है। जैसे अगर कोई व्यापारी साड़ी का विक्रय किसी ग्राहक को करता है और वह साड़ी 1 हजार में भी बिक सकती है और 1200 रुपए में भी, तो ऐसी स्थिति में कंपोजिशन स्कीम अपनाई जा सकती है। बशर्ते ऐसे व्यापारी का साल का कुल टर्नओवर 75 लाख या उससे कम होना चाहिए।

●कंपोजिशन स्कीम अपनाने के लिए सालाना बिक्री की अधिकतम सीमा 75 लाख रुपए तो है, लेकिन इसकी गणना के लिए कर-मुक्त बिक्री और कर-योग्य बिक्री, दोनों को जोड़ा जाएगा। यदि दोनों का जोड़ 75 लाख से ज़्यादा होता है तो वह व्यपारी कंपोज़िशन स्कीम का लाभ नहीं ले सकता।

सारांश : 1. जितनी बड़ी टैक्स रेट, व्यापारी को  कम्पोजीशन में उतना ज्यादा फ़ायदा.

2. जितना बड़ा प्रॉफिट मार्जिन, व्यापारी को  कम्पोजीशन में उतना ज्यादा फ़ायदा.

3. जितनी बड़ी टैक्स रेट व जितना  बड़ा प्रॉफिट मार्जिन, व्यापारी को  कम्पोजीशन में बहुत ज्यादा फ़ायदा [ क्योकि व्यवहार में उपभोक्ता को दोनों ही स्थिति (कम्पोजीशन  या  टैक्सेबल) में  एक ही रेट पर माल मिलेगा ].

4. इस उलझन भरे जीएसटी में  कम्पोजीशन स्कीम हर तरह से (छोटे) व्यापारी के लिए फायदेमंद  .

> सोहिल दम्मानी, इन्दोर

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